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सरेंडर नहीं करेगा पंजशीर, अहमद मसूद की तालिबान को दो टूक; कहा- युद्ध के लिए हैं तैयार

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। लेकिन अब भी यहां पर एक जगह ऐसी है, जहां कब्जा करने में तालिबान को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं। इस जगह का नाम है पंजशीर प्रांत। यहां पर लड़ाई का अगुआ है अहमद...

Deepak हिंदुस्तान टाइम्स, Mon, 23 Aug 2021 12:37 AM
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सरेंडर नहीं करेगा पंजशीर, अहमद मसूद की तालिबान को दो टूक;  कहा- युद्ध के लिए हैं तैयार

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। लेकिन अब भी यहां पर एक जगह ऐसी है, जहां कब्जा करने में तालिबान को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं। इस जगह का नाम है पंजशीर प्रांत। यहां पर लड़ाई का अगुआ है अहमद मसूद। अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध का चेहरा और नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के प्रमुख नेता अहमद मसूद ने रविवार को समाचार एजेंसी रॉयटर्स और दुबई स्थित चैनल अल-अरबिया को इंटरव्यू दिया। इस दौरान उसने तालिबानी विरोधी फोर्स के विजन के बारे में विस्तार से बताया। 

पंजशीर आत्मसमर्पण नहीं करेगा
रेजिस्टेंस फोर्स के अन्य नेताओं की तरह अहमद मसूद ने भी कहा कि पंजशीर आत्मसमर्पण नहीं करेगा। उसने कहा कि पंजशीर ने आजतक किसी के सामने सरेंडर नहीं किया है और तालिबान के सामने भी नहीं करेगा। लेकिन अगर तालिबान बातचीत के लिए तैयार नहीं होता है तब तो युद्ध टालना असंभव हो जाएगा।

केवल पंजशीर के लिए नहीं है ये लड़ाई 
मसूद ने रॉयटर्स से कहा कि रेजिस्टेंस फोर्स केवल पंजशीर प्रांत के लिए लड़ाई नहीं लड़ रही है। उसने कहा कि विभिन्न प्रांतों से सैन्यबल पंजशीर में पहुंचा हुआ है। अब हम सभी मिलकर एक प्रांत से पूरे देश की रक्षा कर रहे हैं। मसूद ने बताया कि उसकी सेना में स्पेशल फोर्सेज से लेकर लोकल मिलिशिया तक शामिल हैं। 

तालिबान की सरकार से कोई समस्या नहीं 
मसूद ने दुबई के अल-अरबिया चैनल से बातचीत में कहा कि उसे तालिबान की सरकार बनने से कोई समस्या नहीं है। लेकिन यह एक ऐसी सरकार होनी चाहिए जिसमें पूरे देश से प्रतिनिधित्व हो। उसने कहा कि लड़ाई बस इसी बात के लिए चल रही है। 

पहली बार की फ्यूचर प्लान पर बात 
गौरतलब है कि काबुल पर तालिबान पर कब्जे के बाद यह पहली बार है जब मसूद ने नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स की भविष्य की योजनाओं पर बात की है। 18 अगस्त को उसने वॉशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा था, जिसमें उसने अंतर्राष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई थी। इसमें उसने अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों से अपील की थी। इसमें उसने कहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होना केवल यहां के लिए समस्या नहीं होगी। ऐसा होने पर यह इस्लामिक आतंकवाद का गढ़ बन जाएगा। 

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