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भूखे रहने को मजबूर हैं इस देश में 2 करोड़ से ज्यादा लोग, फंड की कमी से हालत खराब; रिपोर्ट में दावा

2 करोड़ से ज्यादा लोग इस देश में भूख से परेशान। इन लोगों को यहां दो जून की रोटी भी मयस्सर नहीं है। अब तक कुछ मानवाधिकार संगठन यहां भूख से बिलखते लोगों को मदद कर रहे थे लेकिन इतनी बड़ी संख्या में यहां...

भूखे रहने को मजबूर हैं इस देश में 2 करोड़ से ज्यादा लोग, फंड की कमी से हालत खराब; रिपोर्ट में दावा
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 27 Jan 2022 04:52 PM

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2 करोड़ से ज्यादा लोग इस देश में भूख से परेशान। इन लोगों को यहां दो जून की रोटी भी मयस्सर नहीं है। अब तक कुछ मानवाधिकार संगठन यहां भूख से बिलखते लोगों को मदद कर रहे थे लेकिन इतनी बड़ी संख्या में यहां लोगों का पेट पालना इन संगठनों के लिए भी अब मुश्किल हो चुका है। हम बात कर रहे हैं अफगानिस्तान की। उस अफगानिस्तान की जिसपर पिछले साल अगस्त के महीने में तालिबान ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया था। अफगान में तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं मिली है। देश की आर्थिक गतिविधियां बिल्कुल ही ठहर सी गई है। ऐसे में यहां आम नागरिकों के लिए जीवन बेहद मुश्किल हो चुका है।

गुरुवार को The Norwegian Refugee Council (NRC)ने कहा कि इस देश में 23 मिलियन लोग जबरदस्त भूखमरी का सामना कर रहे हैं। एनआरसी ने कहा कि यहां तत्काल तौर पर आर्थिक बाधाओं को खत्म करने और अर्थव्यवस्था में धन का संचलन बढ़ाने की जरूरत है। 'Tolo News' ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एनआरसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से सहयोगी एजेंसी अफगानिस्तान में फंड नहीं पहुंचा पा रहे हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक मानवाधिकार संगठनों के लिए इतनी संख्या में लोगों तक अब राहत पहुंचा पाना नामुमकिन है। हालत यह है कि जब तक यूएस ट्रेजरी विभाग और अन्य दानकर्ता एजेंसी इस सिलसिले में जल्द से जल्द एक्शन नहीं लेते हैं तब तक इन लोगों को मदद नहीं मिल पाएगा। इस रिपोर्ट में बैंको से अपील की गई है कि वो मानवता के आधार पर फंड ट्रांसफर की इजाजत दें और अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक की मदद करें।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एनआरसी के महासचिव वार्नड जन एगेलैंड ने कहा, 'पैसों की कमी सबसे बड़ी वजह है जिससे यहां हालात ऐसे बने हैं। हमने इस भूखमरी का सामना करने के लिए 4.4 बिलियन डॉलर की मांग की है। यह मदद मानवता के इतिहास में शायद सबसे बड़ी होगी। लेकिन जब तक यूएस ट्रेजरी और अन्य पश्चिमी फाइनेंसियल अथॉरिटी यह सहयोग राशि ट्रांसफर नहीं करते हम इनकी मदद सही ढंग से नहीं कर सकते।'

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यूएस ट्रेजरी विभाग द्वारा लाइसेंस जारी किया जाना और यूएन द्वारा मानवीय आधार पर मदद देना एक अच्छा कदम है। इससे अफगानिस्तान के लोगों को मदद तो मिल रही है लेकिन यह काफी नहीं है। जब तक अफगानिस्तान का सेंट्रल बैंक पूरी तरह काम नहीं करता तब तक यहां लोगों को बुरी हालात का सामना करना पड़ेगा। यहां की अर्थव्यवस्था लगातार बुरी स्थिति में है।

एनआरसी ने यूएस और यूरोपियन सरकार से आग्रह किया है कि बैकों को मदद की जाए और अफगानिस्तान में पैसे ट्रांसफर की अनुमति दी जाए। सहयोगी एजेंसियों को इन पैसों को निकालने की इजाजत भी दी जाए ताकि वो अफगानिस्तान तक पहुंच सके।
 

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