अफगानिस्तान: छात्राओं के सपोर्ट में आए छात्र, कहा- जब तक लड़कियां स्कूल नहीं आती, हम स्कूल नहीं जाएंगे
काबुल पर तालिबान के कब्जे के करीब 35 दिनों के बाद अफगानिस्तान में वापस से स्कूल खुल रहे हैं। तालिबान ने कहा है कि अभी सिर्फ लड़के स्कूल जा सकेंगे। लड़कियों के स्कूल जाने को लेकर तालिबान ने अब तक...
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काबुल पर तालिबान के कब्जे के करीब 35 दिनों के बाद अफगानिस्तान में वापस से स्कूल खुल रहे हैं। तालिबान ने कहा है कि अभी सिर्फ लड़के स्कूल जा सकेंगे। लड़कियों के स्कूल जाने को लेकर तालिबान ने अब तक साफ-साफ नहीं कहा है लेकिन अब तक लड़कियां स्कूलों से दूर हैं। ऐसे में अफगानिस्तान के लड़के, लड़कियों के सपोर्ट में स्कूल नहीं जा रहे हैं।
हालांकि तालिबान द्वारा 12 सालों तक की लड़कियों को स्कूल जाने दिया जा रहा है लेकिन इससे अधिक उम्र की लड़कियों को मासिक धर्म आदि का हवाला देते हुए स्कूल से दूर किया जा रहा है। 18 साल के रोहुल्लाह वॉल स्ट्रीट जर्नल से बात करते हुए बताते हैं कि मैं तालिबान के साथ अपनी असहमति जताते हुए लड़कियों के स्कूल जाने से मना करने का विरोध करने के लिए आज स्कूल नहीं गया था।
विरोध कर रहे लड़कों का कहना है कि महिलाएं इसी समाज का हिस्सा है। आधी आबादी को सारे हक मिलने चाहिए। लड़कियों को स्कूल से दूर रखकर तालिबान ने साबित किया है वह नहीं बदले हैं। हम तब तक स्कूल नहीं जाएंगे जब तक कि लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत नहीं दी जाती।
कुदसिया कांबरी काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले अफगानिस्तान के स्कूलों में पढ़ाती रही हैं। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि अगर मैं एक लड़का होती तो तब तक स्कूल नहीं जाती जब तक कि मेरी बहन भी स्कूल नहीं जा सकती।
तालिबान के सत्ता में आने से पहले देश छोड़ने वाले अफगानिस्तान के एक कार्यकर्ता और लेखक आर्यन अरुण ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया है कि लड़कियों को स्कूल जाने से रोकना उन्हें जिंदा दफनाने जैसा है।