अंतिम सीमा पर खड़े धरती के ग्लेशियर 100 साल में 30 फीसदी पिघल जाएंगे
धरती का सुरक्षा कवच कहे जाने वाले ग्लेशियर या हिम खंड, अंतिम सीमा पर खड़े हैं। वैज्ञानिक अध्ययन में दावा किया गया है कि ग्लेशियर में हुए नुकसान को अगले 100 साल में भी थामना नामुमकिन है। आज से भी...
धरती का सुरक्षा कवच कहे जाने वाले ग्लेशियर या हिम खंड, अंतिम सीमा पर खड़े हैं। वैज्ञानिक अध्ययन में दावा किया गया है कि ग्लेशियर में हुए नुकसान को अगले 100 साल में भी थामना नामुमकिन है। आज से भी अगर कार्बन उत्सर्जन में कमी की जाए तो भी इसका असर होते-होते एक सदी बीत जाएगी।
पिघलने से नहीं रोक सकते 30 फीसदी ग्लेशियर
दो यूरोपीय विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने कहा कि अब चाहे जो भी कदम उठाए जाएं, 30 फीसदी ग्लेशियर को पिघलने से नहीं रोका जा सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने कहा कि आज इनसान के उठाए कदमों का असर लंबे समय में नजर आएगा। वैज्ञानिकों का यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हो चुका है।
दो डिग्री से अधिक तापमान बड़ने नहीं देने की शपथ
पेरिस समझौता में 195 देशों ने वैश्विक औसत तापमान में हो रही बढ़ोतरी को कम करने की शपथ ली है। इस सम्मेलन मे शामिल देशों ने तापमान में बढ़ोतरी को औद्योगिकरण के दौर से पहले के तापमान से दो डिग्री से अधिक नहीं बढ़ने देने का संकल्प लिया है।
2118 तक नहीं होगा किसी उपाय का असर
इस नई रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह से जलवायु परिवर्तन के खतरे को धीरे-धीरे घटाया जा सकता है। इस अध्ययन में जुटे विशेषज्ञ यह देखना चाहते थे ग्लेशियर किस तरह प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि 2118 तक किसी तरह के उपाय का कोई असर ग्लेशियर पर नहीं होगा। सौ वर्षों के बाद इन उपायों का असर पिघलते हुए ग्लेशियरों पर देखने को मिल सकता है।
एक किलो कार्बन उत्सर्जन पर 15 किलो ग्लेशियर पिघलता है
इस अध्ययन में शामिल ग्लेशियोलॉजिस्ट जॉर्ज कैसर का कहना है कि समुद्र का जल स्तर बढ़ने में ग्लेशियर के पिघलने का बहुत बड़ा योगदान होगा। अपने अध्ययन में हमने दुनिया के सभी ग्लेशियर को शामिल किया है। इस अध्ययन में कहा गया है कार्बन उत्सर्जन की मात्रा जब एक किलो के करीब होती है तो 15 किलो ग्लेशियर पिघल जाता है। शोधकर्ता बेन मार्जिओन ने कहा कि आज ग्लेशियर में जितनी भी बर्फ है, उसका 36 फीसदी बिना कार्बन उत्सर्जन में जरा भी इजाफा हुए पिघल जाएगी। इसका अर्थ हुआ कि हम चाहे कितना भी जोर लगा लें, लेकिन एक तिहाई से अधिक बर्फ पिघलनी ही पिघलनी है।