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नैन्सी पेलोसी के जाते ही ताइवान में मंडराने लगे चीनी फाइटर जेट, 27 विमान एयर डिफेंस जोन में घुसे

चीन स्व-शासित द्वीप को अपना हिस्सा मानता है। बुधवार को ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा,

नैन्सी पेलोसी के जाते ही ताइवान में मंडराने लगे चीनी फाइटर जेट, 27 विमान एयर डिफेंस जोन में घुसे
Amit Kumarएजेंसी,ताइपेWed, 03 Aug 2022 08:11 PM

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अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी के रवाना होते ही चीन के फाइटर जेट ताइवान के एयर डिफेंस जोन में घुस गए। 27 चीनी युद्धक विमानों ने बुधवार को ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन  जोन में उड़ान भरी। दरअसल चीन के भारी विरोध के बीच पेलोसी ने ताइवान यात्रा की थी। अब उनके जाते ही चीन के युद्धक विमान ताइवान के रक्षा जोन में मंडराने लगे। 

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चीन स्व-शासित द्वीप को अपना हिस्सा मानता है। बुधवार को ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, "27 पीएलए विमान 3 अगस्त, 2022 को (चीन गणराज्य) के आसपास के क्षेत्र में घुस गए।" इससे पहले, ताइवान की यात्रा पर पहुंचे अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने कहा था कि अमेरिका स्वशासी द्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे नहीं हटेगा।

पेलोसी पिछले 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की पहली अध्यक्ष हैं। ताइवान को अपना क्षेत्र बताने वाले चीन ने द्वीप के चारों ओर कई सैन्य अभ्यासों की घोषणा की और कई कड़े बयान भी जारी किए।

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चीन ने मंगलवार को चेतावनी दी कि उसकी चेतावनियों के बावजूद हो रही अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का द्विपीक्षय संबंधों पर ‘गंभीर असर’ पड़ेगा क्योंकि यह क्षेत्र की शांति और स्थिरता को ‘गंभीर रूप से कमजोर’ करता है। उसकी सरकारी मीडिया ने कहा कि सेना उनकी यात्रा का मुकाबला करने के लिए ‘लक्षित’ अभियान चलाएगी। चीन ने राजनयिक स्तर पर विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि पेलोसी की यात्रा ‘एक चीन सिद्धांत’ का उल्लंघन करती है। उसने अमेरिका पर उसे नियंत्रित करने के लिए ताइवान कार्ड खेलना का आरोप लगाया।

इससे पहले पेलोसी ने बुधवार को कहा कि ताइवान की यात्रा पर पहुंचा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश दे रहा है कि अमेरिका स्वशासी द्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे नहीं हटेगा। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ मुलाकात के बाद एक संक्षिप्त बयान में उन्होंने कहा, ‘‘आज विश्व के सामने लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच एक को चुनने की चुनौती है। ताइवान और दुनियाभर में सभी जगह लोकतंत्र की रक्षा करने को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता अडिग है।’’

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