1948 में जो हुआ, दोबारा होने ना देंगे; फिलिस्तीनी राष्ट्रपति ने नेतन्याहू के 'गाजा प्लान' पर फेरा पानी: मिस्र भी आग बबूला
Proposal for transfer of Gaza civilians to Egypt: इजरायल के इस गुप्त प्लान पर फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबू रूडीनेह ने दो टूक कहा कि 1948 में जो हुआ,वह दोबारा नहीं होने देंगे
पिछले चार सप्ताह से इजरायल गाजा पट्टी पर हमले कर रहा है। इससे वहां के 23 लाख लोगों पर मानवीय संकट खड़ा हो गया। इजरायली हमले में अब तक कुल 8500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें एक चौथाई बच्चे हैं। इजरायल पर गाजा में संघर्ष विराम करने का अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है लेकिन इजरायली प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि संघर्ष विराम का मतलब हमास के आगे घुटने टेकने के बराबर होगा। इससे साफ जाहिर है कि इजरायल गाजा पट्टी में लंबे समय तक सैन्य ऑपरेशन चलाने के मूड में है।
इस बीच, खबर है कि इजरायल अंतरराष्ट्रीय दबावों से बचने के लिए इजरायली सरकार के खुफिया मंत्रालय ने गाजा पट्टी के 23 लाख लोगों को मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप में स्थानांतरित करने के लिए एक युद्धकालीन प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया है, जिसकी फिलिस्तीनियों ने निंदा की है। इस मुद्दे पर इजरायल का काहिरा के साथ भी तनाव बढ़ गया है। हालांकि, प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने खुफिया मंत्रालय की इस रिपोर्ट को एक काल्पनिक अभ्यास करार दिया है।
इजरायल के गुप्त गाजा प्लान ने पड़ोसी देश मिस्र के डर को और गहरा कर दिया है कि इजरायल गाजा को मिस्र की समस्या बनाना चाहता है। उधर, गाजा प्लान ने फिलिस्तीनियों को 1948 के सबसे बड़े आघात की यादें ताजा कर दी हैं, जब इजरायल गठन के समय संघर्ष की वजह से हजारों हजार लोगों को अपना घर-द्वार छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा था।
1948 दोहराने नहीं देंगे
इजरायल के इस गुप्त प्लान पर फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबू रूडीनेह ने दो टूक कहा कि 1948 में जो हुआ, वह दोबारा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा, "हम किसी भी स्थान पर, किसी भी रूप में स्थानांतरण के खिलाफ हैं और हम गाजा को एक लाल रेखा मानते हैं, जिसे हम हरगिज पार नहीं होने देंगे।" अबू रूडीनेह ने कहा, "बड़े पैमाने पर विस्थापन एक नए युद्ध की घोषणा के समान होगा।"
गाजा के लिए तीन प्लान क्या
इजरायल के खुफिया मंत्रालय (एक कनिष्ठ मंत्रालय जो अनुसंधान करता है लेकिन नीति निर्धारित नहीं करता है) ने अपनी रिपोर्ट में गाजा पट्टी में नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में तीन विकल्प पेश किया है। रिपोर्ट तैयार करने वालों ने गाजा पट्टी से लोगों के विस्थापन को इजरायल की सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी बताया है। इसके मुताबिक, गाजा की नागरिक आबादी को उत्तरी सिनाई में तम्बू शहरों में स्थानांतरित करने, फिर स्थायी शहरों और एक मानवीय गलियारे का निर्माण करने का प्रस्ताव है।
फ्रांस-24 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विस्थापित फ़िलिस्तीनियों को प्रवेश से रोकने के लिए इजरायल के अंदर एक सुरक्षा क्षेत्र स्थापित किया जाएगा। हालांकि, रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि गाजा से लोगों का विस्थापन करने के बाद उसका क्या होगा। मिस्र के विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट पर टिप्पणी नहीं की लेकिन स्पष्ट कर दिया है कि वह फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों की भीड़ को अपने साथ नहीं लेना चाहता है।
मिस्र को किस बात का डर
मिस्र को लंबे समय से डर सताता रहा है कि इजरायल फिलिस्तीनियों को अपने क्षेत्र से स्थायी रूप से निष्कासित करना चाहता है, जैसा कि 1948 में इजरायल की स्वतंत्रता के आसपास युद्ध के दौरान हुआ था। मिस्र ने 1948 और 1967 के बीच गाजा पर शासन किया था, जब इज़राइल ने वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम के साथ-साथ इस क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया था। गाजा की अधिकांश आबादी फिलिस्तीनी शरणार्थियों के वंशज हैं, जो अब इजरायल से उखाड़े गए हैं।
आग बबूला मिस्र ने दिए नए विकल्प
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने कहा है कि गाजा से बड़े पैमाने पर शरणार्थियों की आमद फिलिस्तीनी राष्ट्रवाद को ही खत्म कर देगी। उन्होंने कहा, इससे सिनाई में आतंकवादियों को लाने का भी जोखिम बढ़ जाएगा, जहां से वे इज़रायल पर हमले शुरू कर सकते हैं। इससे दोनों देशों की 1979 की शांति संधि खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि मिस्र में भेजने की बजाय इज़रायल फ़िलिस्तीनियों को अपने नेगेव रेगिस्तान में, जो गाजा पट्टी का पड़ोसी है, तब तक रखे, जब तक वह अपना सैन्य अभियान समाप्त नहीं कर लेता।
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