डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन फिर मिलाएंगे हाथ, इस देश की खुफिया एजेंसी का दावा
संक्षेप: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन एक-दूसरे से मिलने के इच्छुक दिख रहे हैं। अगर सब कुछ योजनानुसार चला तो दोनों नेता जल्द ही वाशिंगटन में आमने-सामने हो सकते हैं। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया सेवा की ओर से ऐसा दावा किया गया है
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन एक-दूसरे से मिलने के इच्छुक दिख रहे हैं। अगर सब कुछ योजनानुसार चला तो दोनों नेता जल्द ही वाशिंगटन में आमने-सामने हो सकते हैं। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया सेवा (NIS) की ओर से दावा किया गया है। एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच एक शिखर सम्मेलन की प्रबल संभावना है। एनआईएस का मानना है कि किम जोंग उन की ओर से महीनों तक दिखाई गई उदासीनता के बाद, अगले साल दोनों देशों के बीच वार्ता फिर से शुरू हो सकती है। बता दें कि ट्रंप ने उत्तर कोरियाई नेता के साथ प्रत्यक्ष कूटनीति को पुनर्जीवित करने की इच्छा कई बार जाहिर की है, हालांकि पिछले सप्ताह एशिया यात्रा के दौरान वे इसमें सफल नहीं हो सके थे।

दरअसल, दक्षिण कोरिया की मुख्य जासूसी एजेंसी ने आकलन किया है कि किम जोंग उन अमेरिका के साथ संवाद करने के मूड में हैं और अनुकूल परिस्थितियों में संपर्क साधेंगे। विपक्षी सांसद ली सुंग-क्वोन, जो संसदीय खुफिया समिति के सदस्य भी हैं, के अनुसार, यह शिखर सम्मेलन मार्च में अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास के बाद आयोजित हो सकता है। उत्तर कोरिया इन अभ्यासों को हमले के पूर्वाभ्यास के रूप में निशाना बनाता रहा है, जबकि अमेरिका और दक्षिण कोरिया इसे खारिज करते हैं। ली ने बताया कि एनआईएस ने सांसदों को सूचित किया है कि उत्तर कोरिया पर्दे के पीछे अमेरिका के साथ वार्ता की तैयारी में जुटा है और किम अपनी बयानबाजी को संयमित कर रहे हैं।
बता दें कि ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में उन्होंने किम के साथ तीन शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया था, अंतिम 2019 में हुआ था। लेकिन परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता अमेरिका-नीत प्रतिबंधों पर मतभेदों के कारण विफल रही। उसके बाद किम ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल तथा परमाणु कार्यक्रमों को तेजी से बढ़ाया है और रूस के साथ सुरक्षा गठबंधन के जरिए फायदा उठाया है, जिसमें यूक्रेन युद्ध में मॉस्को को तोपखाने तथा सैनिक प्रदान करना शामिल है। किम और उत्तर कोरियाई अधिकारियों ने स्पष्ट कहा था कि वे अमेरिका से तब तक बात नहीं करेंगे, जब तक वाशिंगटन उत्तर कोरिया को परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता न दे।

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