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मेरा दिल ही टूट गया, मां को ऐसे नहीं देख सकती; शेख हसीना की बेटी हुई भावुक

  • बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की बेटी साइमा वाजिद ने गुरुवार को कहा कि वह अपने देश में लोगों की जान जाने से बेहद दुखी हैं। इसके साथ ही ऐसे कठिन समय में अपनी मां को ‘‘देख नहीं पाने से, उन्हें गले नहीं लगा पाने से बेहद दुखी हैं।’

मेरा दिल ही टूट गया, मां को ऐसे नहीं देख सकती; शेख हसीना की बेटी हुई भावुक
Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तानThu, 8 Aug 2024 07:40 AM
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की बेटी साइमा वाजिद ने गुरुवार को कहा कि वह अपने देश में लोगों की जान जाने से बेहद दुखी हैं। इसके साथ ही ऐसे कठिन समय में अपनी मां को ‘‘देख नहीं पाने से, उन्हें गले नहीं लगा पाने से बेहद दुखी हैं।’ साइमा वाजिद ने एक्स पर लिखा, 'जिस बांग्लादेश से मैं प्यार करती हूं वहां लोगों की जान जाने से मेरा दिल टूट गया है। इस कठिन समय में अपनी मां को देख नहीं सकती, उन्हें गले नहीं लगा सकती। इस बात से मैं बेहद दुखी हूं। मैं आरडी के तौर पर अपनी भूमिका निभाती रहूंगी।’ बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन के चलते शेख हसीना ने 5 अगस्त को पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और आनन-फानन में ही भारत चली आई थीं।

शेख हसीना की बेटी साइमा वाजिद दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक हैं। इसके अलावा उनके बेटे सजीब अमेरिका में रहते हैं। उनका कहना है कि शेख हसीना शायद अब कभी वापस बांग्लादेश नहीं जाएंगी। इसके अलावा वह राजनीति से भी संन्यास ले रही हैं। अब तक शेख हसीना दिल्ली में ही हैं और यह जानकारी नहीं मिल सकी है कि वह किस देश में शरण के लिए जाएंगी। अब तक की जानकारी के अनुसार ब्रिटेन ने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया है। वहीं अमेरिका से भी झटका लगा है।

ऐसी स्थिति में इस बात की संभावना अधिक है कि वह शायद लंबे वक्त तक भारत में रहें। उनके बेटे सजीब ने भी बुधवार को कहा था कि शेख हसीना अब भारत में ही लंबे समय तक रह सकती हैं। इस बीच बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन पर फैसला हो गया है। इस सरकार के मुखिया नोबेल विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद युनूस होंगे। गौरतलब है कि बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर 15 जुलाई के आसपास हिंसक आंदोलन शुरू हुए थे। ये आंदोलन इतने उग्र हो गए कि पीएम को ही देश छोड़कर निकलना पड़ा। अब तक इस हिंसा में करीब 480 लोग मारे जा चुके हैं। यही नहीं अब भी हिंसा का दौर जारी है।

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