Sebastien Lecornu was named France Prime Minister by President Emmanuel Macron सेबेस्टियन लेकोर्नु बने फ्रांस के प्रधानमंत्री, इमैनुएल मैक्रों ने फिर जताया भरोसा; सामने कई चुनौतियां, International Hindi News - Hindustan
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सेबेस्टियन लेकोर्नु बने फ्रांस के प्रधानमंत्री, इमैनुएल मैक्रों ने फिर जताया भरोसा; सामने कई चुनौतियां

कुछ दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद प्रधानमंत्री की फिर से नियुक्ति हुई है। इसे आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे देश में एक साल से अधिक समय से जारी सियासी गतिरोध को हल करने की उनकी एक और कोशिश माना जा रहा है।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानSat, 11 Oct 2025 08:08 AM
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सेबेस्टियन लेकोर्नु बने फ्रांस के प्रधानमंत्री, इमैनुएल मैक्रों ने फिर जताया भरोसा; सामने कई चुनौतियां

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने सेबेस्टियन लेकोर्नु को दोबारा प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। इससे पहले, सोमवार को लेकोर्नु ने नए मंत्रिमंडल की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद ही अचानक इस्तीफा दे दिया था। इस घटनाक्रम के चलते मैक्रों पर राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने या नेशनल असेंबली को भंग करने का दबाव फिर से तेज होने लगा। हालांकि, उन्होंने ऐसा कोई भी कदम उठाने से एक बार फिर इनकार कर दिया। इस तरह, कुछ दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद प्रधानमंत्री की फिर से नियुक्ति हुई है। इसे आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे देश में एक साल से अधिक समय से जारी सियासी गतिरोध को हल करने की उनकी एक और कोशिश माना जा रहा है।

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प्रधानमंत्री की नियुक्ति को मैक्रों के लिए अपने दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल में जान फूंकने के आखिरी मौके के तौर पर भी देखा जा रहा है, जो 2027 में समाप्त होने वाला है। मैक्रों के पास अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नेशनल असेंबली (फ्रांसीसी संसद का निचला सदन) में बहुमत नहीं है। इसके अलावा, उन्हें न सिर्फ विपक्ष की बल्कि अपने ही खेमे के सदस्यों की भी तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल मैक्रों के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार को लगातार अस्तित्व के संकट से जूझना पड़ा है, जिससे यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था फ्रांस राजनीतिक गतिरोध में उलझकर रह गई है और उस पर ऋण संकट गहराता जा रहा है।

फ्रांस के सामने खड़ी हैं कई चुनौतियां

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के अंत में फ्रांस का सार्वजनिक ऋण 33.46 खरब यूरो (लगभग 39 खरब अमेरिकी डॉलर) था, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 114 फीसदी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक, फ्रांस में गरीबी दर भी 2023 में 15.4 फीसदी तक पहुंच गई, जो 1996 में दस्तावेजीकरण शुरू होने के बाद से सर्वाधिक है। बहरहाल, नए प्रधानमंत्री को तुरंत अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से बचने के लिए कुछ समझौते करने पड़ेंगे। यहां तक ​​कि उन्हें पेंशन सुधार की योजना टालने के लिए भी मजबूर होना पड़ सकता है, जिसके तहत सेवानिवृत्ति की आयु को धीरे-धीरे 62 से बढ़ाकर 64 साल किए जाने का प्रावधान है। मैक्रों ने भारी विरोध के बावजूद 2023 में इस प्रस्ताव को कानून का रूप देने पर मुहर लगाई थी।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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