
सच्चाई से नहीं बच सकते; जयशंकर ने ट्रंप को दिखाया आईना, बोले- कुछ देश अपनी…
संक्षेप: S Jaishankar: विदेश मंत्री ने कहा कि बदलती दुनिया के साथ हर देश को ग्लोबल वर्कफोर्स की जरूरत है। कोई भी देश इस सच्चाई से भाग नहीं सकता कि उनकी राष्ट्रीय जनसांख्यिकी ग्लोबल वर्कफोर्स की मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं होती है।
ट्रंप द्वारा एच1-बी वीजा पर बढ़ाई गई फीस को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना नाम लिए अमेरिका के राष्ट्रपति को आईना दिखाया है। जयशंकर ने कहा कि बदलती दुनिया में सभी देशों को ग्लोबल वर्क फोर्स की जरूरत है। कोई भी देश इस सच्चाई से बच नहीं सकता कि राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के कारण कई देशों में ग्लोबल वर्कफोर्स की मांग पूरी नहीं की जा सकती। यह वास्तविकता है कि सभी को ग्लोबल वर्कफोर्स की जरुरत है। विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब अमेरिका की तरफ से भारत के ऊपर लगातार दबाव बनाने की रणनीति अपनाई जा रही है, इसी के तहत एच1-बी वीजा के नियमों में भी बदलाव किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका पहुंचे विदेश मंत्री ने बुधवार को ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘एट द हार्ट ऑफ डेवलपमेंट: एड, ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी’ नामक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान विदेश मंत्री ने दुनिया के देशों से एक ऐसी ग्लोबल वर्कफोर्स के निर्माण का आह्वान किया जो अधिक आज के समय के हिसाब से काम करने में सक्षम हो और अपने काम में कुशल हो। उन्होंने कहा, "उस ग्लोबल वर्क फोर्स को कहां रखा जाएगा और वह कहां काम करेंगे, यह एक राजनीतिक बहस का विषय हो सकता है। लेकिन इससे बचा नहीं जा सकता। अगर आप मांग और देशों की जनसांख्यिकी को देखें, तो कई देशों की मांग को सिर्फ उनकी राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के आधार पर पूरा नहीं किया जा सकता। उन्हें ग्लोबल वर्क फोर्स की जरूरत पड़ती ही है।”
अपनी बात को आगे रखते हुए विदेश मंत्री ने कहा, "यह एक वास्तविकता है। आप इस वास्तविकता से भाग नहीं सकते, तो हम ग्लोबल वर्कफोर्स का एक अधिक स्वीकार्य, समकालीन, कुशल मॉडल कैसे बना सकते हैं, जो एक विकेंद्रित, वैश्विक कार्यस्थल में तैनात किया जा सके? मुझे लगता है कि यह आज एक बहुत बड़ा प्रश्न है जिसका समाधान अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को करना है।”
दरअसल, विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा यह बात अमेरिका द्वारा कुशल भारतीय कामगारों को उपलब्ध कराए जाने वाले वीजा पर फीस बढ़ाने को लेकर है। राष्ट्रीय जनसांख्यिकी से तात्पर्य किसी देश की जनसंख्या कितनी है और वहां पर काम करने योग्य लोग कितने इसके आधार पर तय होती है। अमेरिका और यूरोप के और अन्य विकसित देशों में ग्लोबल वर्कफोर्स की जरूरत ज्यादा पड़ती है। क्योंकि इन देशों में कुशल कामगारों की संख्या कम है, जबकि भारत में युवा आबादी तो ज्यादा है लेकिन उनके पास स्किल्स की कमी है। ऐसे में ग्लोबल वर्क फोर्स यानि की ऐसे लोग जो कि कुशल कामगार हों चाहें फिर वह किसी भी फील्ड में हों उनकी जरूरत पडे़गी ही।
अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापारिक टैरिफ पर परोक्ष रूप से बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि व्यापार अपना रास्ता खोज ही लेता है। उन्होंने कहा, "तेजी से बदलती हुई इस दुनिया में हम देखेंगे कि की देशों के बीच में नए और अलग तरह के व्यापारिक समझौते होंगे, ऐसे फैसले लिए जाएंगे, जो सामान्य परिस्थितियों में शायद नहीं लिए जाते हैं। कई देश आज नई साझेदारियां और नए क्षेत्रों में अपने काम को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इस क्षेत्र में भले ही अनिश्चतता है लेकिन व्यापार अंततः अपना रास्ता खोज ही लेता है।

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Upendra Thapakलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




