Hindi Newsविदेश न्यूज़Record 39 candidates for president not a single woman How interesting is the fight for power in Sri Lanka

राष्ट्रपति पद के लिए रिकॉर्ड 39 उम्मीदवार, एक भी महिला नहीं; कितनी दिलचस्प है श्रीलंका में सत्ता की लड़ाई

  • श्रीलंका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिकॉर्ड 39 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन इसमें कोई महिला प्रत्याशी नहीं है। वर्तमान राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने भी अपनी उम्मीदवारी दर्ज कराई है, जबकि राजापक्षे परिवार को भी इस चुनाव में जीत की उम्मीद है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 15 Aug 2024 02:52 PM
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श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए 21 सितंबर को चुनाव होने जा रहे हैं, जिसमें कुल 39 उम्मीदवार मैदान में हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कोई भी महिला उम्मीदवार नहीं है। यह जानकारी गुरुवार को श्रीलंका के चुनाव आयोग ने दी। इस बार के चुनाव में 39 उम्मीदवारों में तीन तामिल अल्पसंख्यक और दो बौद्ध संत भी शामिल हैं।

वर्तमान राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने भी राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी दर्ज कराई है। साथ ही, राजापक्षे परिवार के नमल राजापक्षे, मुख्य विपक्षी नेता सजीत प्रेमदासा, और कई प्रमुख चेहरे चुनावी दौड़ में शामिल हैं। यह चुनाव श्रीलंका के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि देश वर्तमान में एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जो 1948 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का सबसे गंभीर संकट माना जा रहा है।

राजापक्षे परिवार को सत्ता में वापसी की उम्मीद

राजापक्षे परिवार, जिसने श्रीलंका के हालिया आर्थिक संकट के दौरान सत्ता खो दी थी, अब राजनीति में वापसी की कोशिश कर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजापक्षे और पूर्व राष्ट्रपति गोताबाया राजापक्षे के सत्ता से बाहर होने के बाद, उनके बेटे नमल राजापक्षे चुनावी मैदान में हैं।

पिछले राष्ट्रपति चुनाव में 2019 में 35 उम्मीदवार थे लेकिन इस बार उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 39 हो गई है। चुनाव आयोग के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 15 अगस्त थी। कुल 40 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे लेकिन एक उम्मीदवार ने अपना नाम वापस ले लिया। इसके अलावा तीन अन्य नामांकन पर आपत्ति उठाई गई थी लेकिन वे खारिज कर दी गई।

आर्थिक संकट और जनता की नाराजगी

श्रीलंका हाल ही में एक गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी और विदेशी मुद्रा की कमी जैसी समस्याएं शामिल हैं। इस संकट ने जनता के बीच असंतोष को जन्म दिया है, और यह असंतोष चुनावी नतीजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। विपक्षी दल इस असंतोष को अपनी राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रहे हैं और सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।

चुनाव को लेकर क्या कहते हैं विश्लेषक

विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव के परिणाम श्रीलंका की राजनीतिक दिशा को काफी हद तक बदल सकते हैं। जनता इस उम्मीद से वोट करेगी कि आने वाली सरकार की नई आर्थिक नीतियों और सामाजिक सुधारों की वजह से श्रीलंका की स्थिति में सुधार होगा। जनता की आशा को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार उनके विश्वास को हासिल करने के लिए आपस में होड़ करेंगे।

कुल मिला कर 2024 का चुनाव श्रीलंका के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है और यह देखना दिलचस्प होगा कि श्रीलंका की सत्ता का ताज किसके सिर आता है। 

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