भारत से विभाजन के समय पाकिस्तान में थे 20 फीसदी हिंदू, धर्मांतरण और उत्पीड़न के बाद अब कितने बचे
- साल 1998 में हुई जनगणना के समय पाकिस्तान में सिर्फ 1.6 फीसदी ही हिंदू बचे थे। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पिछले दो दशकों में इस आंकड़े में भी बहुत कमी आ गई होगी और पड़ोसी देश में हिंदुओं की संख्या और भी कम हो गई है।
पाकिस्तान आज अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। एक दिन बाद यानी कि 15 अगस्त को भारत भी अपना स्वतंत्रता दिवस मनाने वाला है। भारत से अलग होकर बने पाकिस्तान में विभाजन के समय 20 फीसदी से ज्यादा हिंदू थे, लेकिन धर्मांतरण और उत्पीड़न के बाद पड़ोसी देश में हिंदुओं की संख्या दिन-पर-दिन कम होती गई। लंबे समय तक अंग्रेजों के शासन के बाद भारत को साल 1947 में आजादी मिली थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बटवारा हुआ और भारत हिंदू बहुसंख्यक और पाकिस्तान मुस्लिम बहुसंख्यक देश बन गया। हालांकि, दोनों ओर ही बड़ी संख्या में मुस्लिम और हिंदू अपनी मर्जी से रुक गए। पाकिस्तान में तेजी से धर्मांतरण के मामले सामने आए और हिंदुओं के खिलाफ बड़े स्तर पर उत्पीड़न हुआ। साल 1998 में हुई जनगणना के बाद पाकिस्तान में सिर्फ 1.6 फीसदी ही हिंदू बचे। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पिछले दो दशकों में इस आंकड़े में भी बहुत कमी आ गई होगी और पड़ोसी देश में हिंदुओं की संख्या और भी कम हो गई है।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक समय विभिन्न धर्मों के लोग रहते थे, लेकिन वहां भी तेजी से धर्मांतरण किया गया। इसी वजह से अल्पसंख्यक या तो देश छोड़कर चले गए या फिर धर्मांतरण को स्वीकार कर लिया। लगभग सभी हिंदुओं को पाकिस्तान में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सरकारी संस्थानों में भी हिंदुओं की संख्या काफी कम है। वहीं, कई हिंसक घटनाओं की वजह से भी हिंदुओं की आबादी कम हो गई है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व पाकिस्तानी सांसद और अभी वॉशिंगटन स्थित एक रिसर्च ग्रुप धार्मिक स्वतंत्रता संस्थान में वरिष्ठ फेलो फराहनाज इस्पहानी ने इस बारे में बात करते हुए बताते हैं कि हम लोग अल्पसंख्यकों के साथ अमानवीय व्यवहार, कमजोर अर्थव्यवस्था, हिंसा या भूख से बचने के लिए या बस एक और दिन जीने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित होते हुए देख सकते हैं।"
इस्पहानी ने सिंध प्रांत में साल 2010 में आई भीषण बाढ़ को भी याद किया और बताया कि तब हजारों लोग बेघर हो गए थे और उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था। उस दौरान भी सूप किचन में मुस्लिमों के साथ हिंदू बैठ नहीं सकते थे। इसके अलावा, जब पाकिस्तान सरकार ने बाढ़ पीड़ितों की मदद भी की तो उसमें भी मुस्लिमों की तुलना में हिंदुओं को कम सहायता दी गई। इस्पहानी ने यह भी कहा कि मुझे नहीं लगता कि वे (हिंदू) अपने पूरे दिल और मन से धर्मांतरण करते हैं? मुझे ऐसा नहीं लगता है। पूरे पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों को जबरदस्ती किडनैप करके और शादी करके उनका धर्मांतरण करवाने के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा, कई हिंदू अल्पसंख्यक गरीबी की वजह से भी आर्थिक रूप से इतने परेशान हो जाते हैं कि मजबूरी में आकर धर्मांतरण करना पड़ता है।
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