
भूकंप से उठी चिंगारी कैसे बन गई ज्वाला? नेपाल में जेन Z के लीडर की अद्भुत कहानी
संक्षेप: हाल के आंदोलनों ने हामी नेपाल की इस विरासत को एक राजनीतिक आंदोलन में बदल दिया। जब नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, तो जेन Z को लगा कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है।
नेपाल में जेन Z आज भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, बेरोजगारी और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर है। इस आंदोलन की जड़ें एक दशक पहले आई उस त्रासदी से जुड़ी हैं, जिसने हिमालयी राष्ट्र को हिलाकर रख दिया था। वह था 2015 का विनाशकारी भूकंप। इस भूकंप ने न केवल घरों और जिंदगियों को तोड़ा, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति को भी गढ़ा, जो आज जेन Z के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक है- सुदन गुरुंग।

भूकंप ने बदली जिंदगी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 38 वर्षीय सुदन गुरुंग कभी थमेल के नाइटलाइफ और पार्टी सर्किट का जाना-माना चेहरा थे। वे थमेल की पार्टी सर्किट में डीजे सेट्स और क्लब आयोजनों से जुड़े थे लेकिन उनका जीवन 2015 के भूकंप के बाद पूरी तरह बदल गया। गुरुंग ने उस समय कहा था, "मेरी बाहों में एक बच्चे ने दम तोड़ा। मैं उस पल को कभी नहीं भूल सकता।" इसी असहायता से जन्म हुआ 'हामी नेपाल' का। यह एक स्वयंसेवी संगठन है जो चावल की बोरियों के दान से शुरू हुआ और धीरे-धीरे संगठित रूप लेने लगा। एक दशक बाद, यही संगठन नेपाल के जेन Z की पहचान बन चुका है।
पार्टी से समाज सेवा तक
भूकंप से पहले गुरुंग का जीवन क्लब, डीजे सेट और इवेंट्स के इर्द-गिर्द घूमता था। नेपाली रॉक सिंगर-सॉन्गराइटर और 'अभया एंड द स्टीम इंजन्स' बैंड की फ्रंटवुमन अभया सुब्बा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "नाइटलाइफ में उनकी पृष्ठभूमि ने उन्हें लोगों की नब्ज पढ़ने की कला सिखाई थी। अब वे इस कौशल का उपयोग युवा स्वयंसेवकों को एकजुट करने में करते हैं।"
25 अप्रैल 2015 को आए भूकंप के तुरंत बाद, गुरुंग ने सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाई। इसके जवाब में करीब 200 स्वयंसेवक जुट गए। उन्होंने गांवों में चावल पहुंचाया, स्कूलों में तंबू लगाए, और उधार की मोटरसाइकिलों पर घायलों को अस्पतालों तक ले गए। इस अस्थायी नेटवर्क ने 'हामी नेपाल' (हम नेपाल हैं) का रूप लिया, जो 2020 तक 1,600 से अधिक सदस्यों वाला एक पंजीकृत एनजीओ बन चुका था।
"अनुशासित और केंद्रित नेतृत्व"
प्रसिद्ध नेत्र सर्जन और हामी नेपाल के मेंटर डॉ. संदूक रुइत कहते हैं, “सूदन गुरुंग एक असामान्य रूप से अनुशासित ग्रासरूट लीडर हैं। उनकी ताकत बयानबाजी में नहीं, बल्कि लॉजिस्टिक्स पर ध्यान देने में है, यही कारण है कि युवा उन पर भरोसा करते हैं।”
सोशल मीडिया बैन और जेन Z का विद्रोह
हाल के आंदोलनों ने हामी नेपाल की इस विरासत को एक राजनीतिक आंदोलन में बदल दिया। जब नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, तो जेन Z को लगा कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है। गुरुंग ने स्कूल यूनिफॉर्म और किताबें हाथ में लेकर सड़कों पर उतरने का आह्वान किया। प्रदर्शनकारियों ने एक अनोखा प्रतीक चुना- जापानी एनीमे 'वन पीस' का 'स्ट्रॉ हैट जॉली रोजर' झंडा उठाया। यह इस एनीमे के कैरेक्टर मंकी डी. लफी की पहचान है। यह झंडा उनकी किताबों के साथ लहराया, जो उनकी पीढ़ी का एक सांस्कृतिक कोड बन गया। यह सिर्फ एक कार्टून का प्रतीक नहीं था, बल्कि भ्रष्ट सत्ता के खिलाफ विद्रोह का एक सांस्कृतिक कोड था, जिसे पूरी पीढ़ी तुरंत समझ गई।
न तो भीड़ में, न ही सत्ता का हिस्सा
गुरुंग आज एक अनोखे स्थान पर खड़े हैं- वे न तो भीड़ में मौजूद टीनेएजर हैं और न ही राजनीतिक सत्ता के समझौतों से दबे हुए हैं। वे राजशाही और विद्रोह के दौर को याद करते हैं, लेकिन साथ ही उन लोगों की बेचैनी को भी समझते हैं, जो इन दोनों के बाद पैदा हुए। उनकी इंस्टाग्राम पोस्ट सीधी और स्पष्ट हैं: "हम अपनी मुट्ठियां उठाएंगे। हम एकता की ताकत दिखाएंगे, उन लोगों की ताकत जो भ्रष्टाचार के सामने झुकने से इनकार करते हैं। चुप न रहें। घर पर न बैठें।"
हामी नेपाल: जेन Z का आधार
हामी नेपाल आज नेपाल के जेन Z का आधार बन चुका है। यह संगठन न केवल एक स्वयंसेवी समूह है, बल्कि एक ऐसी ताकत है, जो युवाओं को एकजुट कर रही है। भूकंप से शुरू हुई यह यात्रा अब भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ एक बड़े आंदोलन में बदल चुकी है। गुरुंग और उनकी सेना की यह कहानी नेपाल के भविष्य को नई दिशा दे रही है।

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