
जुमला निकला मुहम्मद यूनुस का वादा, बांग्लादेश में हिंदू शिक्षकों से जबरन लिया जा रहा इस्तीफा
संक्षेप: - बांग्लादेशी दैनिक प्रोथोम अलो के अनुसार, बरिशाल के बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर को भी अपना इस्तीफा देना पड़ गया है। 29 अगस्त को छात्रों और बाहरी लोगों की भीड़ ने उनके कार्यालय पर धावा बोल दिया और उनसे इस्तीफा देने की मांग की।
शेख हसीना सरकारी की बर्खास्तगी के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ताजा मामला वहां बच्चों को पढ़ाने वाले हिंदू शिक्षकों से जुड़ा है। उन्हें अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उनसे जबरन इस्तीफा लिया जा रहा है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पड़ोसी देश में अब तक कम से कम 50 हिंदू शिक्षकों को अपनी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया है।
बांग्लादेशी दैनिक प्रोथोम अलो के अनुसार, बरिशाल के बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर को भी अपना इस्तीफा देना पड़ गया है। 29 अगस्त को छात्रों और बाहरी लोगों की भीड़ ने उनके कार्यालय पर धावा बोल दिया और उनसे इस्तीफा देने की मांग की। कई घंटों तक डराने-धमकाने के बाद परेशान हलदर ने एक सादा कागज पर सिर्फ "मैं इस्तीफा देती हूं" लिखकर सरकारी नौकरी छोड़ दी।
इससे पहले 18 अगस्त को अजीमपुर गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल और कॉलेज की करीब 50 छात्राओं ने प्रिंसिपल गीतांजलि बरुआ को घेर लिया और उनसे सहायक प्रधानाध्यापक गौतम चंद्र पॉल और शारीरिक शिक्षा शिक्षिका शहनाजा अख्तर से इस्तीफा मांगा। बरुआ ने डेली स्टार को बताया, "18 अगस्त से पहले उन्होंने कभी मेरा इस्तीफा नहीं मांगा। उस सुबह उन्होंने मेरे कार्यालय में धावा बोला और मुझे अपमानित किया।"
नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के वादों के बावजूद बांग्लादेश में हिंदू विरोधी घटनाएं हो रही हैं। इसकी वजह से बांग्लादेश में हिंदू शिक्षकों के बीच भय और असहायता की भावना स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
काबी नज़रुल विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन और शासन अध्ययन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर शांजय कुमार मुखर्जी ने इंडिया टुडे से कहा, “मुझे प्रॉक्टर और विभागाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। हम इस समय बहुत असुरक्षित हैं।”
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र ओइक्या परिषद ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इन कार्रवाइयों की निंदा की और हिंदू समुदाय द्वारा सामना की जा रही बढ़ती असहिष्णुता पर बात की।
लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सेना समर्थित मुहम्मद यूनुस सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "बांग्लादेश में शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पत्रकार, मंत्री, पूर्व सरकार के अधिकारी मारे जा रहे हैं, परेशान किए जा रहे हैं, जेल में बंद किए जा रहे हैं। जनरल जेड ने अहमदिया मुसलमानों के उद्योगों को जला दिया। सूफी मुसलमानों की मजारें और दरगाहें इस्लामी आतंकवादियों द्वारा ध्वस्त कर दी गईं। यूनुस इसके खिलाफ कुछ नहीं कहते।"

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