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शेख हसीना को शरण देने से नाराज हैं बांग्लादेशी, खालिदा जिया की पार्टी ने भारत को चेताया

  • हुसैन ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बधाई संदेश का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि भारत सरकार अब अवामी लीग और शेख हसीना को समर्थन देना जारी नहीं रखेगी।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, ढाकाFri, 9 Aug 2024 02:18 PM
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंध केवल अवामी लीग पर निर्भर नहीं हैं। उन्होंने भारत को चेताते हुए कहा कि हसीना को शरण देने से बांग्लादेश के लोग नाराज हैं। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण दिए जाने पर बांग्लादेश में ‘प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं आना स्वाभाविक’ है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री खांडकर मुशर्रफ हुसैन ने बांग्लादेश के लिए भारत को ‘बहुत महत्वपूर्ण’ करार देते हुए कहा कि ‘यह द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने का सही समय है’।

'बेहतर होता कि हसीना भारत नहीं भागतीं'

हुसैन ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बधाई संदेश का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि भारत सरकार अब अवामी लीग और शेख हसीना को समर्थन देना जारी नहीं रखेगी, जिन्हें बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बीएनपी के उपाध्यक्ष अब्दुल अवल मिंटू ने भी ऐसी ही राय जताते हुए कहा कि बेहतर होता कि हसीना भारत नहीं भागतीं। उन्होंने कहा, ‘‘बेहतर होता कि वह भारत नहीं भागतीं, क्योंकि हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। बांग्लादेश और इसके लोग भारत को दोस्त की तरह मानते और देखते हैं।’’

उन्होंने हालांकि रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक भारत का अधिकार है कि वह जिसे चाहे उसे शरण दे सकता है। हुसैन ने कहा, ‘‘शेख हसीना के भारत में शरण लेने का असर बिल्कुल स्वाभाविक है। उदाहरण के लिए, यदि मैं आपको पसंद नहीं करता हूं और कोई अन्य व्यक्ति आपका समर्थन कर रहा है तो स्वाभाविक रूप से मुझे वह व्यक्ति पसंद नहीं आएगा। प्रतिकूल प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है। लेकिन तथ्य यह है कि भारत-बांग्लादेश के बीच हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं, भले ही अवामी लीग सत्ता में हो या शेख हसीना।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब बीएनपी सत्ता में थी, मैं बांग्लादेश सरकार में मंत्री था। हमने देखा कि दोनों देशों के बीच शानदार संबंध रहे। भारत, बांग्लादेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने हमेशा बांग्लादेश के लोगों का समर्थन किया है। दोनों देशों के बीच अच्छे द्विपक्षीय संबंध बने रहेंगे।’’ सतहत्तर वर्षीय नेता ने कहा कि बांग्लादेश के लोग उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार अवामी लीग जैसे भ्रष्ट और तानाशाहीपूर्ण शासन का हमेशा समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि भारत के लोगों को भी इसका एहसास है।’’

हसीना को बांग्लादेश को सौंप दिया जाए?

यह पूछे जाने पर कि क्या बीएनपी चाहती है कि हसीना को बांग्लादेश को सौंप दिया जाए, उन्होंने कहा, ‘‘यह अंतरिम सरकार को तय करना है। बीएनपी के रूप में, हमने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।’’ हुसैन ने यह भी उम्मीद जताई कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत लोगों के सामान्य और लोकतांत्रिक अधिकार जल्द से जल्द बहाल होंगे। प्रोफेसर यूनुस ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में बृहस्पतिवार को शपथ ली। ढाका में राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 84 वर्षीय यूनुस को पद की शपथ दिलाई।

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नौकरियों में विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़कर चली गईं। उन्होंने सोमवार को बांग्लादेश के सैन्य विमान से दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस के लिए उड़ान भरी। बीएनपी के वरिष्ठ नेता हुसैन ने बृहस्पतिवार को अंतरिम सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में ढाका में भारतीय उच्चायुक्त का स्वागत किया और नए शासन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बधाई संदेश के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा, ‘‘द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने का यह सही समय है।’’

पड़ोसी के चलते सत्ता में बनी रहीं हसीना

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय प्रधानमंत्री ने नयी अंतरिम सरकार को बधाई दी है। ढाका में भारतीय उच्चायुक्त ने समारोह में भाग लिया। इसलिए हमें लगता है कि भारत नई अंतरिम सरकार का समर्थन करता है और देश से भागने वालों का समर्थन नहीं करता।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने बृहस्पतिवार को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में मोहम्मद यूनुस को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने जल्द सामान्य स्थिति बहाल होने और बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद जताई।

मिंटू ने कहा कि बांग्लादेश में यह ‘सर्वविदित तथ्य’ है कि अपने बड़े पड़ोसी के समर्थन के कारण ही अवामी लीग अपनी सरकार के खिलाफ गहरी नाराजगी के बावजूद इतने लंबे समय तक सत्ता में बनी रह सकी। अवामी लीग के साथ भारत की निकटता पर मिंटू ने कहा, ‘‘इसका द्विपक्षीय संबंधों पर कम और अस्थायी असर पड़ सकता है, लेकिन यह बांग्लादेश के हित में है कि यह लंबे समय तक नहीं रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह बांग्लादेश के हित में है कि हमारे भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध हों। यदि यह भूटान या नेपाल जैसा कोई अन्य पड़ोसी देश होता तो मैं ऐसा नहीं कहता, लेकिन भारत एक बहुत बड़ा देश है और विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अच्छे द्विपक्षीय संबंधों की खातिर दोनों देशों को बैठकर बातचीत करनी चाहिए और मतभेदों को सुलझाना चाहिए।’’

बांग्लादेश में ‘इंडिया आउट’ अभियान के पीछे कौन?

बांग्लादेश में ‘इंडिया आउट’ अभियान के बारे में पूछे जाने पर हुसैन और मिंटू दोनों ने कहा कि ये ‘छिटपुट और अस्थायी घटनाएं’ हैं और न तो बांग्लादेश के लोग और न ही बीएनपी ऐसे अभियानों का समर्थन करते हैं। मिंटू ने कहा कि बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार को सभी मुद्दों के समाधान के लिए भारत के साथ तुरंत बातचीत करनी चाहिए।

शेख हसीना के बेटे सजीब वाजिद जॉय द्वारा ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में दिए गए इस बयान पर कि लोकतंत्र बहाल होते ही उनकी मां बांग्लादेश लौट आएंगी, मिंटू ने कहा, ‘‘वह लौटना चाहती हैं या नहीं, यह उन पर निर्भर है। हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते। बांग्लादेश का कानून अपना काम करेगा। अवामी लीग के शासन के दौरान भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामले सामने आए।’’

मिंटू ने हालांकि कोई समयसीमा नहीं बताई लेकिन उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली उनकी पार्टी चाहती है कि चुनाव जल्द से जल्द हों ताकि लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना हो सके। जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से लगभग तीन हफ्तों में बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में कम से कम 469 लोग मारे गए हैं।

(इनपुट भाषा)

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