दिल्ली को नसीहत देने लगा जमात-ए-इस्लामी, कही भारत से दोस्ती की बात; शर्त भी रखी
- रहमान ने दलील दी कि जमात-ए-इस्लामी को भारत विरोधी मानने की नई दिल्ली की धारणा गलत है। उन्होंने कहा, 'जमात-ए-इस्लामी किसी देश के खिलाफ नहीं है; यह एक गलत धारणा है। हम बांग्लादेश के समर्थक हैं और केवल बांग्लादेश के हितों की रक्षा करने में रुचि रखते हैं।'
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफीकुर रहमान ने कहा है कि उनकी पार्टी भारत के साथ सौहार्दपूर्ण और स्थिर संबंध चाहती है, लेकिन साथ ही कहा कि नई दिल्ली को पड़ोस में अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, क्योंकि द्विपक्षीय संबंधों का मतलब एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करना नहीं है।
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर (प्रमुख) रहमान ने ‘पीटीआई’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि उनकी पार्टी भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंधों का समर्थन करती है, लेकिन यह भी मानती है कि बांग्लादेश को 'अतीत को पीछे छोड़कर' अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ मजबूत और संतुलित संबंध बनाए रखना चाहिए।
रहमान (65) ने दलील दी कि जमात-ए-इस्लामी को भारत विरोधी मानने की नई दिल्ली की धारणा गलत है। उन्होंने कहा, 'जमात-ए-इस्लामी किसी देश के खिलाफ नहीं है; यह एक गलत धारणा है। हम बांग्लादेश के समर्थक हैं और केवल बांग्लादेश के हितों की रक्षा करने में रुचि रखते हैं।' उन्होंने जोर दिया कि इस धारणा को बदलने की जरूरत है।
जमात-ए-इस्लामी ने सुझाव दिया कि बेहतर होता यदि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अशांति के कारण इस्तीफा देने के बाद भारत नहीं भागतीं। उन्होंने कानून का सामना करने के लिए उनके बांग्लादेश लौटने की वकालत की। उन्होंने कहा, 'भारत हमारा पड़ोसी है और हम अच्छे, स्थिर और सामंजस्यपूर्ण द्विपक्षीय संबंध चाहते हैं। हालांकि, भारत ने अतीत में कुछ ऐसे काम किए हैं जो बांग्लादेश के लोगों को पसंद नहीं आए।'
उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए, 2014 के बांग्लादेश चुनावों के दौरान, एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक ने ढाका का दौरा किया और निर्देश दिया कि किसे भाग लेना चाहिए और किसे नहीं। यह अस्वीकार्य था, क्योंकि यह पड़ोसी देश की भूमिका नहीं है। हमारा मानना है कि भारत अंततः बांग्लादेश के संबंध में अपनी विदेश नीति का पुनर्मूल्यांकन करेगा। हमारा मानना है कि एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए।'
रहमान ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी चाहती है कि भारत उसका 'मित्र बने और द्विपक्षीय संबंधों में जिम्मेदार भूमिका निभाए', साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी पार्टी संबंधों को बेहतर बनाने की अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार करती है, लेकिन चाहती है कि ये संबंध 'एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप न करने वाले' होने चाहिए।
उन्होंने ढाका में ‘पीटीआई’ से कहा, 'साथ मिलकर काम करना और हस्तक्षेप करना दो अलग-अलग बातें हैं। साथ मिलकर काम करना सकारात्मक अर्थ रखता है, जबकि हस्तक्षेप नकारात्मक है। द्विपक्षीय संबंधों का मतलब सहयोग और आपसी सम्मान होना चाहिए। भारत हमारा सबसे करीबी पड़ोसी है; हम जमीन और समुद्री दोनों सीमाएं साझा करते हैं, इसलिए हमारे बीच अच्छे संबंध होने चाहिए क्योंकि आप अपने पड़ोसी से दूर नहीं रह सकते।'
बांग्लादेश में जमात कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदुओं पर हमले के आरोपों से संबंधित प्रश्न का उत्तर देते हुए रहमान ने इन्हें 'निराधार' बताते हुए इनका खंडन किया। रहमान ने जमात-ए-इस्लामी के नकारात्मक चित्रण के लिए दुर्भावनापूर्ण मीडिया अभियान को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पिछले 15 वर्षों में शेख हसीना सरकार द्वारा किए गए अत्याचारों का सबसे ज्यादा शिकार होने के बावजूद, 'हम अब भी डटे हैं और जमात को अब भी लोगों का समर्थन प्राप्त है।'
पाकिस्तान के साथ संबंधों पर रहमान ने कहा, 'हम उनके साथ भी अच्छे संबंध चाहते हैं। हम उपमहाद्वीप में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमा, भूटान और श्रीलंका सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ समान और संतुलित संबंध चाहते हैं। स्थिरता बनाए रखने के लिए यह संतुलन बहुत जरूरी है।' बांग्लादेश को पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था और वह 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया।
अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ राजनयिक संबंधों के बारे में रहमान ने कहा, 'हम अमेरिका और चीन जैसी विश्व शक्तियों के साथ संतुलित और स्थिर संबंध चाहते हैं, क्योंकि इस वैश्वीकृत दुनिया में हम विभिन्न तरीकों से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।'
शेख हसीना के भारत जाने के फैसले के बारे में उन्होंने कहा, 'बेहतर होता अगर वह भागती नहीं। मैं प्रत्यर्पण शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहता, लेकिन हमारा मानना है कि उन्हें वापस लौटना चाहिए और बांग्लादेश में कानून का सामना करना चाहिए।'
अभूतपूर्व सरकार विरोधी प्रदर्शनों के पांच अगस्त को चरम पर पहुंचने के बाद हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। वह पांच अगस्त को भारत पहुंचीं और फिलहाल वहीं रह रही हैं, जिससे बांग्लादेश में विभिन्न प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना और उनके पूर्व मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों के राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर चुकी है। रहमान ने कहा कि जब भी बांग्लादेश में चुनाव होंगे, जमात उनमें भाग लेगी। उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि अंतरिम सरकार को समय दिया जाना चाहिए, लेकिन यह अनिश्चितकालीन नहीं होना चाहिए। हम नए चुनाव होने पर अपनी स्थिति समय रहते स्पष्ट कर देंगे। लेकिन जब भी चुनाव होंगे, हम भाग लेंगे।'
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