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जब 8 देशों से अकेला लड़ा इजरायल, 6 दिन में ही जीत ली जंग; 57 साल बाद आज फिर वही संकट

  • इजरायल पर आज फिर वही संकट है, जो 57 साल पहले था। हमास के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ रहे इजरायल पर अब लेबनान के हिजबुल्लाह आतंकी, ईरान और हूती विद्रोही बड़े हमले को आतुर हैं।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 25 Aug 2024 05:25 PM
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Israel Six Day War History: यहूदी राष्ट्र इजरायल पर आज फिर वही संकट है, जो 57 साल पहले था। हमास के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ रहे इजरायल पर अब लेबनान के हिजबुल्लाह आतंकी, ईरान और हूती विद्रोही बड़े हमले को आतुर हैं। हिजबुल्लाह ने तो युद्ध का आगाज भी कर दिया है। इजरायल तीन मोर्चों पर बुरी तरह घिर गया है लेकिन, उसके कदम नहीं डगमगा रहे। वो आज भी अपनी आन-बान और शान के लिए किसी भी सूरत पर झुकने को तैयार नहीं है। ठीक 57 साल पहले भी इजरायल के सामने यही स्थिति थी, तब तो उस पर एक साथ 8 मुल्कों ने हमला बोल दिया था और उसने महज 6 दिन में जंग जीत ली थी। उस महा युद्ध में इजरायल ने अरब देशों के 15 हजार सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। 

1967 में हुए इजरायल-अरब युद्ध को दुनिया 6 दिन के युद्ध (Six Day War) के रूप में भी जानता है। उस समय भी जंग की शुरुआत इजरायली हमले से हुई थी। 57 साल पहले हुए उस युद्ध को इजरायल-अरब के बीच तीसरा युद्ध कहा जाता है। अरब मुल्क 1948 में इजरायल के खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के बाद से चिढ़े हुए थे और इजरायल पर लगातार प्रतिबंधों की झड़ी लगा रहे थे। दरअसल, इजरायल की सीमा उत्तर में लेबनान और सीरिया, पूर्व में वेस्ट बैंक और जॉर्डन, दक्षिण-पश्चिम में गाजा पट्टी और मिस्र तथा पश्चिम में भूमध्य सागर से लगती है। यही वजह रही कि बार-बार पड़ोसी दुश्मन देशों के व्यापार रोकने और जहाजों को बंदी बनाने की घटना से इजरायल तिलमिला गया था और करो या मरो के लिए युद्ध के मैदान में उतर गया। अरब मुल्क भी तब इस मुगालते में थे कि इजरायल के खिलाफ हमारी ताकत ज्यादा है और उसे आसानी से हरा लेंगे लेकिन, नतीजा कुछ और ही निकला।

सिक्स डे वॉर में क्या हुआ?

यह युद्ध 5 जून 1967 से 11 जून 1967 तक चला। दुनिया इसे अरब-इजरायल युद्ध या तीसरा अरब-इजरायल युद्ध के रूप में भी जानती है। इजरायल के खिलाफ जॉर्डन, मिस्र, इराक, कुवैत, सीरिया, सऊदी अरब, सूडान और अल्जीरिया ने एक साथ हमला बोल दिया था। हालांकि मुख्य रूप से मिस्र, सीरिया और जॉर्डन ही इजरायल से सीधे लड़ा, बाकी 5 देशों ने उन्हें हथियार और अपने सैनिकों की मदद भेजी।

इजरायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच खराब संबंधों के बीच सैन्य शत्रुता के बीज 1949 के युद्धविराम समझौतों से ही पड़ गए थे। 1948 में इजरायल ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया तो अरब देशों ने इजरायल पर हमला बोल दिया। इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से युद्धविराम हुआ।

1967 में जब इजरायल ने मिस्र पर इजरायली शिपिंग के लिए समुद्री मार्ग बंद करने के कारण आक्रमण किया, तो बाकी अरब देश भड़क गए और मिस्र के साथ इजरायल पर एक साथ हमला बोल दिया। इससे पहले मई 1967 में मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर ने घोषणा की कि तिरान जलडमरूमध्य फिर से इजरायली जहाजों के लिए बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद उन्होंने मिस्र की सेना को इजरायल की सीमा पर तैनात कर दिया।

इजरायल ने सबसे पहले हमला किया

5 जून 1967 को जब संयुक्त राष्ट्र के सैनिकों ने इस क्षेत्र को खाली करना शुरू कर दिया तो इजरायल ने 400 लड़ाकू विमानों के साथ मिस्र के हवाई क्षेत्रों पर कई हवाई हमले किए, जिससे साफ हो गया कि इजरायल युद्ध करने को तत्पर है। मिस्र पर अचानक हुए हवाई हमले का परिणाम यह निकला कि उसकी लगभग सभी सैन्य हवाई संपत्तियां नष्ट हो गईं और यह इजरायल के लिए बड़ी कामयाबी थी। इसके साथ ही इज़रायली सेना ने मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के साथ-साथ मिस्र के कब्जे वाले गाजा पट्टी पर भी जमीनी हमला कर दिया। इजरायल के तेवर देख बाकी देश घबरा गए।

दुश्मन देशों ने घुटने टेके

मिस्र और जॉर्डन 8 जून को युद्ध विराम पर सहमत हुए, सीरिया 9 जून को युद्धविराम की शर्त मान गया। इस तरह 11 जून को इजरायल के साथ अरब देशों ने संधि हस्ताक्षर पर साइन किए। छह दिवसीय युद्ध में परिणाम यह निकला कि इजरायल ने कुल 70,000 किलोमीटर क्षेत्र तक अपना कब्जा कर लिया। इस युद्ध में 15000 से अधिक अरब सैनिक मारे गए, जबकि इजरायल को 1000 से कम सैनिकों की मौत का नुकसान उठाना पड़ा। इसके अलावा, यरुशलम पर अरब सेना के हवाई हमलों में 20 इजरायली नागरिक मारे गए।

शर्मिंदगी में मिस्र के राष्ट्रपति को छोड़ना पड़ा पद

युद्ध समाप्त होने के बाद इजरायल ने सीरिया से गोलान हाइट्स, जॉर्डन से पूर्वी यरुशलम सहित वेस्ट बैंक और मिस्र से सिनाई प्रायद्वीप और गाजा पट्टी पर कब्ज़ा कर लिया। हालांकि दुखद यह रहा कि लगभग 280000 से 325000 फिलिस्तीनी और 100000 सीरियाई क्रमशः वेस्ट बैंक और गोलान हाइट्स से भाग गए। मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपित नासिर ने इजरायल की जीत के बाद शर्मिंदगी में इस्तीफा दे दिया। हालांकि नाटकीय रूप से उन्हें फिर पद पर बहाल किया गया।

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