रूस से दूरी बनाने लगा भारत? ट्रे़ड डील वार्ता में शामिल ट्रंप के करीबी अमेरिकी दूत का बड़ा दावा
संक्षेप: अमेरिकी राज्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ग्रीयर और विदेश मंत्री मार्को रुबियो भारत के साथ करीबी संवाद बनाए हुए हैं ताकि रूसी ऊर्जा आयात में कमी लाने पर सहमति बन सके।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीयर ने कहा है कि भारत ने रूस से ऊर्जा आपूर्ति पर निर्भरता कम करना शुरू कर दिया है और इस दिशा में उसकी कोशिशें स्पष्ट रूप से दिख रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक मतभेदों के समाधान की दिशा में सकारात्मक प्रगति हो रही है। ग्रीयर ने यह टिप्पणी न्यूयॉर्क के इकोनॉमिक क्लब में एक कार्यक्रम के दौरान की। उन्होंने कहा, “रूस से ऊर्जा खरीद भारत की अर्थव्यवस्था की कोई स्थाई नींव नहीं है। हमें लगता है कि भारत इसके बिना भी आगे बढ़ सकता है। वास्तव में, हम देख रहे हैं कि वे अब विविधीकरण शुरू कर चुके हैं।”
ग्रीयर ने कहा कि भारत ने 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ही रूस से तेल खरीद बढ़ाई थी, लेकिन अब वह धीरे-धीरे वैकल्पिक स्रोतों की ओर रुख कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह कुछ ऐसा है जो हमें लगता है कि भारत कर सकता है और करना भी चाहिए। सच कहूं तो मुझे लग रहा है कि वे इसे समझ चुके हैं।”
अमेरिकी प्रतिनिधि ने जोर देकर कहा कि अमेरिका भारत के विदेशी संबंधों पर नियंत्रण या हस्तक्षेप नहीं चाहता, बल्कि केवल रूस की ऊर्जा बिक्री से मिलने वाले राजस्व को सीमित करना चाहता है, जिससे रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए वित्तीय मदद मिल रही है। उन्होंने कहा, “स्पष्ट रूप से भारत एक संप्रभु देश है, वह अपने निर्णय स्वयं लेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप इस समय केवल रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के मुद्दे पर केंद्रित हैं। हमारा मकसद यह तय करना नहीं है कि भारत किसके साथ संबंध रखे या न रखे।” उन्होंने कहा, “हम बस यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि व्लादिमीर पुतिन पर अधिकतम दबाव बने।”
ग्रीयर ने भारत को व्यवहारिक देश बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ताएं ट्रंप प्रशासन की शुरुआत से ही चल रही हैं।
सितंबर में उन्होंने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान मुलाकात की थी, जहां दोनों पक्षों ने 50% टैरिफ विवाद के समाधान पर चर्चा की। अमेरिकी राज्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ग्रीयर और विदेश मंत्री मार्को रुबियो भारत के साथ करीबी संवाद बनाए हुए हैं ताकि रूसी ऊर्जा आयात में कमी लाने पर सहमति बन सके।
भारत पर 50% टैरिफ का असर
भारत इस समय अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% आयात शुल्क का सामना कर रहा है जो दुनिया में सबसे ऊंचे दरों में से एक है। इसमें 25% प्रतिशोधात्मक कर और अतिरिक्त 25% दंडात्मक कर शामिल है, जो रूसी तेल खरीद से जुड़ा है। यह टैरिफ भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, झींगा और समुद्री उत्पादों को प्रभावित कर रहा है।
व्यापार संतुलन और संभावित समझौता
2024 में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार 212.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत को 40-45 अरब डॉलर का अधिशेष रहा। ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य इस व्यापार असंतुलन को घटाना है। अमेरिका के संभावित अगले भारत राजदूत सर्जियो गोर ने पिछले महीने संकेत दिया था कि दोनों देश एक समझौते के अंतिम चरण में हैं। उन्होंने कहा था कि “वार्ताएं अब ‘निट्टी-ग्रिट्टी’ (सूक्ष्म विवरणों) के स्तर पर पहुंच चुकी हैं और समझौते की घोषणा जल्द हो सकती है।”

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