Hindi Newsविदेश न्यूज़Investigation into allegations of mass murder against Hasina begins in the same tribunal which she created with her own

जिसे अपने हाथों से बनाया, उसी ट्रिब्यूनल में हसीना पर लगे आरोपों की जांच शुरू; सौ को दे चुका है सजा-ए-मौत

  • बांग्लादेश छोड़े शेख हसीना को पंद्रह दिन हो चुके हैं, इन पंद्रह दिन में काफी कुछ बदल गया है। 2010 में शेख हसीना ने जिस अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण की स्थापना पाकिस्तान के अत्याचारों की जांच के लिए की थी, वह आज उन्हीं के खिलाफ सामूहिक हत्या की जांच कर रहा है।

Upendra Thapak हिन्दुस्तान टाइम्सMon, 19 Aug 2024 05:44 PM
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना देश छोड़े 15 दिन हो चुके हैं। इन पंद्रह दिनों में बांग्लादेश की राजनीति में जमीन आसमान का अंतर आ चुका है। शेख हसीना के खिलाफ लगभग दर्जन भर केस दर्ज हो चुके हैं। बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार लगातार शेख हसीना को कानून के शिकंजे में जकड़ती जा रही है। एएफपी ने सोमवार को बताया कि बांग्लादेश में युद्ध अपराधों की जांच के लिए पूर्व पीएम शेख हसीना ने एक न्यायाधिककरण स्थापित किया था। अब उसी ट्रिब्यूनल में उनके खिलाफ कथित सामूहिक हत्या के आरोपों की जांच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

हसीना के 15 साल के शासन के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में एक महीने के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 450 से अधिक लोग मारे गए। वह प्रधान मंत्री पद से हट गईं और 5 अगस्त को भारत भाग गईं। ट्रिब्यूनल के जांच सेल के उपनिदेशक अताउर रहमान ने कहा कि वे इस स्तर पर प्रारंभिक सबूत एकत्र कर रहे थे और यह मामले सामूहिक हत्या के हैं। उन्होंने कहा कि तीन मामले निजी व्यक्तियों द्वारा शुरू किए गए थे और हसीना के कई पूर्व सहयोगियों के नाम भी इसमें दर्ज हैं।स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, देश भर में स्थानीय पुलिस इकाइयों ने हसीना के खिलाफ कम से कम 15 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से कुछ मामले हालिया अशांति से पहले के हैं और उनमें हत्या और "मानवता के खिलाफ अपराध" के आरोप शामिल हैं।

2010 में हसीना द्वारा स्थापित बांग्लादेश का अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण, पाकिस्तान के खिलाफ देश के मुक्ति संग्राम में हुए अत्याचारों की जांच करता है। हसीना के नेतृत्व में इस ट्रिब्यूनल ने कई राजनीतिक विरोधियों सहित 100 से अधिक व्यक्तियों को मौत की सजा सुनाई है। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का पालन न करने के लिए आईसीटी को मानवाधिकार समूहों की आलोचना का सामना करना पड़ा है। हसीना की सरकार पर व्यापक मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया है, जिसमें हजारों राजनीतिक विरोधियों की न्यायेतर हत्या भी शामिल है।

शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र ने इस बात के पुख्ता संकेत दिए कि बांग्लादेशी सुरक्षा बलों ने छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह का जवाब देने के लिए अत्यधिक बल का प्रयोग किया। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस बात के कई सबूत हैं कि प्रदर्शनकारी छात्रों के ऊपर अनावश्यक और भारी मात्रा में बल प्रयोग किया गया।

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