हम भारत सरकार के प्रतिनिधि नहीं; टैरिफ तनाव को लेकर थरूर के दावे पर प्रवासी भारतीय नेता
संक्षेप: Shashi Tharoor: हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक सुहाग ए शुक्ला ने कहा कि शशि थरूर ने जिस तरीके से भारतीय-अमेरिकियों के बारे में टिप्पणी की है, वह अमेरिका में उनकी कड़ी मेहनत से अर्जित विश्वसनीयता को कमजोर करता है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कुछ दिन पहले ही ट्रंप टैरिफ तनाव और एच1-बी वीजा फीस में वृद्धि होने के फैसलों पर अमेरिकी-भारतीय प्रवासियों की चुप्पी पर सवाल उठाया था। अब उनकी टिप्पणियों का एक भारतीय-अमेरिकी नेता ने जवाब दिया है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक सुहाग ए शुक्ला ने कहा कि केरल सांसद ने जिस तरीके से प्रावासी भारतीयों की छवि को बताया है, वह अमेरिका में उनकी कड़ी मेहनत से अर्जित विश्वसनीयता को कमजोर करता है।
द प्रिंट में लिखे अपने एक लेख में सुहाग ने अमेरिका में मौजूद भारतीय समुदाय को लेकर थरूर के दावों का कड़ा विरोध किया। गौरतलब है कि थरूर ने अमेरिकी महिला सांसद के हवाले से कहा था कि भारत पर टैरिफ लगाने के बाद किसी भी भारतीय प्रवासी नेता ने इसे रोकने के लिए ट्रंप प्रशासन को फोन तक नहीं किया। सुहाग ने इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “अमेरिकी कांग्रेस में 535 सदस्य हैं, जिनमें 100 सीनेटर और 435 प्रतिनिधि हैं। लेकिन थरूर ने उस पूरे समूह के केवल एक सदस्य के शब्दों के आधार पर भारतीय अमेरिकी प्रवासियों को लेकर व्यापक दावे किए हैं।”
शुक्ला ने प्रवासी भारतीयों की महत्वता पर जोर देते हुए लिखा, “प्रवासी भारतीय समुदाय ने भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने के लिए शुरुआत से ही शांत लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह हमेशा पर्दे के पीछे और अमेरिकी कानून की सीमाओं के भीतर होती है।”
सुहाग ने प्रवासी भारतीय समुदाय की दोहरी पहचान का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में नागरिक होना भारत के साथ सांस्कृतिक या भावनात्मक संबंधों के विरोध में नहीं है। उन्होंने लिखा, “जिस तरह से भारत और भारतीय नागरिकों का अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाना कर्तव्य है ठीक उसी तरह से संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके नागरिकों, जिनमें प्रवासी भारतीय भी शामिल हैं, का कर्तव्य अमेरिकी राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाना है। यह एक फैक्ट है और यह फैक्ट हमारी विरासत के साथ एक विश्वासघात नहीं बल्कि नागरिकता का एक साधारण तथ्य है।”
शुक्ला में प्रवासी भारतीय समुदाय पर पड़ रहे बाहरी दबावों की तरफ भी इशारा किया। इसमें कैलिफोर्निया के विवादास्पद एसबी509 जैसे विधायी प्रयास और इंटरनेशनल इमीग्रेशन को टारगेट करने वाले प्रस्तावित अमेरिकी विधेयक शामिल हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की बातों से भारतीय और हिंदू अमेरिकियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “थरूर जैसे बयान न केवल प्रवासी समुदाय को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं, बल्कि उन लोगों को भी प्रोत्साहित करते हैं, जो शुरुआत से यह नहीं मानते कि हम सच्चे अमेरिकी हैं।”
शुक्ला ने लिखा, “हम यह मानते हैं कि भारत वैश्विक मंच पर एक बेहतर और मजबूत आवाज का हकदार है। लेकिन दोनों ओर से बढ़ते हमलों के शिकार भारतीय अमेरिकियों से यह उम्मीद करना कि वह इसके लिए त्याग और कीमत चुकाने के लिए तैयार रहेंगे, यह एक अच्छी रणनीति नहीं है। थरूर एक अनुभवी राजनेता और विचारक हैं। उनकी बात बड़े स्तर पर सुनी जाती है। यही कारण है कि उन्हें तौलकर बोलना चाहिए।”
भारतीय राजनेताओं के प्रवासी भारतीयों के प्रति दृष्टिकोण में और अधिक सूक्ष्मता लाने का आह्वान करते हुए शुक्ला ने कहा कि हम भारतीय अमेरिकी भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने के लिए मौजूद नहीं है। हम अमेरिकी नागरिक हैं। अपनी धरती में निहित अधिकारों, जिम्मेदारियों और निष्ठाओं को निभाने वाले नागरिक।

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Upendra Thapakलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




