भारत के लिए शर्मनाक स्थिति बनती है तो... शेख हसीना की वापसी को लेकर यूनुस सरकार के सलाहकार का बड़ा बयान
- गौरतलब है कि बांग्लादेश में पांच अगस्त को सरकार विरोधी प्रदर्शन चरम पर पहुंचने के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भारत जाना पड़ा।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने शेख हसीना की भारत से वापसी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर बांग्लादेश की सरकार की तरफ से इस तरह की मांग रखी जाती है तो भारत को इस पर ध्यान देना होगा। उन्होंने ये भी कहा कि अगर इससे भारत के लिए शर्मनाक स्थित पैदा होती है तो इसे भारत को ही संभालना होगा।
गौरतलब है कि बांग्लादेश में पांच अगस्त को सरकार विरोधी प्रदर्शन चरम पर पहुंचने के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भारत जाना पड़ा। भारत में तीन हफ्तों से अधिक समय से हसीना की मौजूदगी ने बांग्लादेश में अटकलों को बढ़ावा दिया है। हालांकि भारत ने अभी तक शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है।
समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा, "शेख हसीना दिल्ली में, भारत में रह रही हैं...मैं (उनकी वापसी का) उत्तर देने के लिए सही व्यक्ति नहीं हूं। अगर वहां से (बांग्लादेश के गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय से) कोई अनुरोध आता है तो हमें उन्हें बांग्लादेश वापस भेजने के लिए कहना होगा। अगर वहां से कोई मांग आती है, और इससे भारत सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा होती है, तो इसे भारत को देखना होगा। मुझे लगता है कि भारत सरकार यह जानती है और मुझे यकीन है कि वे इसका ध्यान रखेंगे।"
वर्तमान में शेख हसीना भारत में रह रही हैं और उन्होंने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने उन्हें सत्ता से हटाने में भूमिका निभाई है। बांग्लादेश की विदेश नीति के बारे में हुसैन ने बताया कि उनका दृष्टिकोण सभी देशों के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखना है। तौहीद ने कहा, "हमारी नीति अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना है। हम सभी के साथ दोस्ती और किसी के साथ दुश्मनी नहीं चाहते हैं, हमारा लक्ष्य संतुलित संबंध स्थापित करना है। हमारा प्राथमिक कार्य अपने हितों की रक्षा करना है।"
हुसैन ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मान लेना गलत होगा कि अंतरिम सरकार केवल किसी विशेष दिशा पर ध्यान केंद्रित कर रही है, क्योंकि उनका उद्देश्य भारत और चीन सहित सभी देशों के साथ सहज और सकारात्मक संबंध बनाए रखना है। उन्होंने देश में आम चुनाव की संभावना का संकेत देते हुए कहा कि उनका प्राथमिक उद्देश्य निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करना है।
एक दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद से ढाका के साथ नयी दिल्ली के संबंध ‘‘उतार-चढ़ाव’’ वाले रहे हैं और यह स्वाभाविक है कि भारत वर्तमान सरकार के रुख के अनुरूप रवैया अपनाए। जयशंकर ने यहां एक पुस्तक के विमोचन अवसर पर अपने संबोधन में इस बात पर भी जोर दिया कि भारत को ‘‘हितों की पारस्परिकता’’ को देखना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश के लिए, पड़ोसी ‘‘हमेशा एक पहेली’’ होते हैं, और ‘‘प्रमुख शक्तियां’’ भी होते हैं।
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