Hindi Newsविदेश न्यूज़Explained Why Elon Musk vs Trump Supporters fighting Over Indian Immigrants

श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति और छिड़ गया विवाद, भारतीय प्रवासियों को लेकर एलन मस्क से भिड़े ट्रंप समर्थक

  • इस विवाद की जड़ है श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति। भारतीय मूल के वेंचर कैपिटलिस्ट और एलन मस्क के करीबी माने जाने वाले श्रीराम को ट्रंप प्रशासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) नीति का नेतृत्व सौंपा गया है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनSat, 28 Dec 2024 06:42 PM
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अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और एलन मस्क, विवेक रामास्वामी जैसे इंडस्ट्री दिग्गजों के बीच एक बड़ी बहस छिड़ गई है। इस बहस का मुख्य मुद्दा है – आप्रवासन (Immigrants)। एक ओर एलन मस्क और उनके सिलिकॉन वैली के सहयोगी हैं, जो योग्यता-आधारित आप्रवासन सुधारों के पक्षधर हैं। दूसरी ओर, ट्रंप के कट्टर समर्थक हैं, जो आप्रवासन के प्रति कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं।

विवाद की शुरुआत

इस विवाद की जड़ है श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति। भारतीय मूल के वेंचर कैपिटलिस्ट और एलन मस्क के करीबी माने जाने वाले श्रीराम को ट्रंप प्रशासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) नीति का नेतृत्व सौंपा गया है। श्रीराम के पहले दिए गए एक बयान को ट्रंप समर्थकों ने सोशल मीडिया पर फिर से वायरल किया है। अपने बयान में उन्होंने कुशल आप्रवासियों के लिए ग्रीन कार्ड पर देश-वार प्रतिबंध हटाने की वकालत की थी।

एलन मस्क और रामास्वामी का पक्ष

एलन मस्क खुद एच-1बी वीजा पर अमेरिका आए थे। उन्होंने भी हमेशा वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने की वकालत की है। मस्क का कहना है, "अगर आप अपनी टीम को चैंपियनशिप जिताना चाहते हैं, तो आपको सबसे बेहतरीन प्रतिभाओं को अपनी टीम में शामिल करना होगा।" इसी तरह, विवेक रामास्वामी ने भी इस विचार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की संस्कृति औसत दर्जे को बढ़ावा देती है, जबकि उसे सबसे अच्छे को महत्व देना चाहिए।

ट्रंप समर्थकों का आक्रोश

इन विचारों ने ट्रंप के कट्टर समर्थकों को नाराज कर दिया है। लॉरा लूमर, एन कूल्टर और मैट गेट्ज जैसे फायरब्रांड नेताओं ने मस्क और रामास्वामी पर अमेरिकी श्रमिकों को कमजोर करने का आरोप लगाया। सोशल मीडिया पर "इंडिया फर्स्ट" जैसे ट्रेंड्स चलाए गए, जिसमें श्रीराम कृष्णन पर अमेरिकी श्रमिकों की जगह भारतीय श्रमिकों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया गया।

निक्की हेली का हस्तक्षेप

पूर्व अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने भी बहस में भाग लिया। उन्होंने अमेरिकी प्रतिभाओं में निवेश को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा, "अमेरिकी श्रमिकों या संस्कृति में कोई कमी नहीं है।" ट्रंप की खुद की अप्रवासन नीति इस मुद्दे को और जटिल बना रही है। उनके पहले प्रशासन ने एच-1बी वीजा पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे। हालांकि, हाल ही में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में उन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों के स्नातकों को ग्रीन कार्ड देने का समर्थन किया। कुल मिलाकर यह बहस इस बात को उजागर करती है कि अमेरिका में आप्रवासन नीति पर कितना गहरा मतभेद है। ट्रंप समर्थकों और तकनीकी विशेषज्ञों के बीच यह टकराव भविष्य में ट्रंप प्रशासन की आप्रवासन नीतियों को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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वैसे ट्रंप ने अपने प्रशासन में भारतीयों मूल के कई लोगों को शामिल किया है। सरकारी कार्यदक्षता विभाग (डीओजीई) के लिए विवेक रामास्वामी, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में तुलसी गब्बार्ड, एफबीआई के निदेशक के रूप में काश पटेल, नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में हरमीत के. ढिल्लों, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक के रूप में जय भट्टाचार्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वरिष्ठ नीति सलाहकार के रूप में श्रीराम कृष्णन उन भारतीय-अमेरिकियों में शामिल हैं जिनके ट्रंप 2.0 प्रशासन में प्रमुख भूमिका निभाने की उम्मीद है।

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