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प्रदर्शनकारी पकड़वाओ या गोली खाओ; शेख हसीना की पुलिस ने मचाई मारकाट, तब भड़के लोग

  • प्रदर्शनों के चरम पर रहने के दौरान पुलिस थाने वीरान हो गए थे। छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर जाना पड़ा।

प्रदर्शनकारी पकड़वाओ या गोली खाओ; शेख हसीना की पुलिस ने मचाई मारकाट, तब भड़के लोग
Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, ढाकाSat, 10 Aug 2024 11:01 AM
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बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों के दौरान, कई नागरिकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि शेख हसीना शासन के तहत पुलिस ने उन्हें गंभीर धमकियां दी थीं। घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ितों के अनुसार, पुलिस ने उन्हें दो खतरनाक विकल्पों के बीच चुनने पर मजबूर किया। उन्हें कहा गया कि या तो वे प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने में पुलिस की मदद करें, या फिर उन्हें गोली मार दी जाएगी। प्रदर्शनकारी ने बताया कि "हमें जबरन पुलिस के साथ मिलकर हमारे ही लोगों को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर किया गया।"

टाइम्स ऑफ इंडिया ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकर्ताओं के हवाले से लिखा कि पुलिस ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। उनके कई साथियों को पुलिस ने पहले ही मार डाला था। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकर्ता निजामुद्दीन मिंटो और जाकिर हुसैन को ढाका में 22 जुलाई को गिरफ्तार किया गया। बुधवार को अवामी लीग सरकार के गिरने और महीने भर चले विरोध प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार किए गए सभी कैदियों को रिहा किए जाने के बाद वे ढाका सेंट्रल जेल से बाहर आए। मिंटो ऑटोमोबाइल उद्योग में काम करते हैं, जबकि जाकिर केबल व्यवसाय में हैं।

दोनों ने ढाका में आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों की मदद की थी। मिंटो ने उनके बीच पीने का पानी बांटा और जाकिर ने उन्हें बिरयानी लाकर दी। भयावह दिनों को याद करते हुए मिंटो ने ढाका से टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "22 जुलाई को सुबह 12.30 बजे सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों का एक समूह हमारे कमरे में घुस आया और मुझ पर और मेरे दोस्त जाकिर पर पिस्तौल तान दी। अधिकारियों में से एक ने हमें बताया कि हम गिरफ्तार हैं और वे हमें मार देंगे क्योंकि उनके मुताबिक हमने कई पुलिसकर्मियों को मार डाला था। अधिकारियों ने कहा कि वे पहले ही 25 युवाओं को मार चुके हैं और हम 26वें और 27वें नंबर पर होंगे।"

मिंटो ने बताया, "हमें कमरे से बाहर निकाला गया और 14 सीटों वाली बस में ठूंस दिया गया। हमारे चारों ओर 18-20 हथियारबंद सीआईडी ​​कर्मी थे। बस के अंदर घुसते ही उन्होंने हमें हथकड़ी लगा दी और किसी गैजेट से बिजली के झटके दिए और प्रदर्शनकारियों में से कुछ का पता पूछा।" उन्होंने कहा, "फिर हमें बुरीगंगा नदी पर बने पोस्टोगोला पुल पर ले जाया गया और रेलिंग पर खड़े होने को कहा गया। हमें दो विकल्प दिए गए- या तो कम से कम 10 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने में उनकी मदद करें या गोली खाएं। हमने कहा कि हम सहयोग करेंगे। हमें ढाका के मालीबाग में सीआईडी ​​मुख्यालय ले जाया गया और एक कोठरी में रखा गया, जहां पांच अन्य लोग थे। हमसे दिन में तीन बार पूछताछ की जाती थी, जिसके दौरान वे हमारे साथ दुर्व्यवहार करते थे और हमारे साथ मारपीट करते थे, आंदोलन के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश करते थे।"

मिंटो ने कहा, "चार दिनों की यातना के बाद, हमें अदालत ले जाया गया और ढाका सेंट्रल जेल भेज दिया गया। 5 अगस्त को, हमें बाहर की घटनाओं के बारे में जानकारी मिलनी शुरू हुई। हमने सुना कि शेख हसीना देश छोड़कर भाग गई हैं। हम पद्मा नामक एक सेल में थे। हम बगल की सेल मेघना से जोरदार जयकारे सुन सकते थे। अगली सुबह, हमें बताया गया कि हमें रिहा कर दिया जाएगा।"

बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के चरम पर रहने के दौरान पुलिस थाने वीरान हो गए थे। छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर जाना पड़ा। उसके बाद, सभी पुलिस थानों की गतिविधियां ठप्प हो गईं। कई पुलिस थानों पर हमला किया गया, लूटपाट की गई और आग लगा दी गई, जिसके कारण कई अधिकारी अपने थानों को खाली करके छिप गए क्योंकि उन्हें और हमले होने का खतरा था।

बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के चरम पर रहने के दौरान वीरान हो गए पुलिस थानों में सेना की सहायता से धीरे-धीरे सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू हो रही हैं। छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में पुलिस कर्मियों सहित 400 से अधिक लोग मारे गए। ‘ढाका ट्रिब्यून’ समाचारपत्र ने सैन्य और पुलिस अधिकारियों के हवाले से बताया कि लगभग चार दिनों के बाद सेना की सहायता से लगभग 29 पुलिस थानों में गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं। बृहस्पतिवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली। उन्होंने देश में कानून और व्यवस्था को बहाल करने की प्रतिबद्धता जतायी है।

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