नेतन्याहू को घर पर ही संकट, इजरायल में आज चुनाव हुए तो हार तय; कौन पड़ रहा भारी
- गाजा और लेबनान में आतंकियों को नरक दिखा रहे नेतन्याहू के लिए इजरायल में बुरी खबर है। ताजा पोल कहते हैं कि अगर आज चुनाव हुए तो उनकी हार तय है। उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी नेता के जीतने के ज्यादा चांस हैं।

गाजा और लेबनान में युद्ध के मोर्चे पर हमास और हिजबुल्लाह को नरक दिखा रहे इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के लिए अपने घर में बुरी खबर है। इजरायल में अगर आज चुनाव होते हैं तो नेतन्याहू के गठबंधन वाली पार्टी को भारी झटका लग सकता है। एक हालिया टेलीविजन पोल के मुताबिक, यदि पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो उनकी पार्टी को नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के बराबर सीटें मिल सकती हैं।
चैनल 12 के द्वारा किए गए इस पोल में सीटों का बंटवारा इस प्रकार था:
लिकुड: 24
बेनेट की पार्टी: 24
येश अतीद: 11
द डेमोक्रेट्स: 10
नेशनल यूनिटी: 9
शास: 9
यूनाइटेड टोरा जूडाइज्म: 8
इसराइल बेटेनू: 8
ओत्ज़मा येहुदीत: 7
हदाश-ताल: 5
राम: 5
नेतन्याहू को कितना नुकसान
इस पोल परिणाम से साफ है कि नेतन्याहू के समर्थक गठबंधन को कुल 48 सीटें मिल सकती हैं, जो पिछले पोल से कम है। पहले के पोल में ये आंकड़ा 51 सीटों तक था। इसके अलावा, दक्षिणपंथी धार्मिक सियॉनिज़्म पार्टी को भी संसद में जगह बनाने के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है।
बेनेट से मिल रही कड़ी टक्कर
चुनाव परिणाम में नेतन्याहू और उनके सहयोगियों को बहुमत की संभावना नहीं है। अगर केवल वर्तमान कनेस्सेट (इजरायल संसद) में मौजूद पार्टियां चुनावी मैदान में आती हैं, तो नेतन्याहू के गठबंधन को 54 सीटें मिल सकती हैं। लिकुड पार्टी सबसे बड़ी पार्टी होगी, इसके बाद नेशनल यूनिटी और येश अतीद जैसे दलों का स्थान रहेगा। इसके अलावा, पोल में नेतन्याहू और उनके प्रतिद्वंद्वियों के बीच प्रधानमंत्री बनने के लिए सीधी टक्कर भी दिखाई गई। नफ्ताली बेनेट 36% के साथ नेतन्याहू (34%) से आगे रहे, जबकि अन्य विपक्षी नेताओं में गदी एइसेंकोट को सबसे ज्यादा 28% समर्थन मिला।
जनता चाह रही नेतन्याहू का इस्तीफा
पोल के अनुसार, 60% जनता चाहती है कि नेतन्याहू इस्तीफा दे दें, जबकि केवल 31% लोग उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में बने रहने के पक्ष में हैं। इसी तरह, 64% लोगों का मानना है कि शिन बेट प्रमुख रोनन बार को इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही, 75% लोग 7 अक्टूबर को हुए आतंकवादी हमले की राज्य जांच आयोग से जांच करवाने के पक्ष में हैं, जबकि केवल 15% लोग इसका विरोध करते हैं।
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