जिंदगी में ऐसा कभी नहीं देखा, रात में... बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा, क्या बोले लोग
- हिंसा को लेकर निर्मल ने कहा कि हम सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमारा जीवन विनाशकारी स्थिति में है। हम रात में जागकर अपने घरों और मंदिरों की रखवाली कर रहे हैं। मैंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा।
Attacks on Hindu in Bangladesh: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से वहां अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के खिलाफ जबरदस्त हिंसा हो रही है। दो हिंदू संगठनों ने दावा किया है कि अब तक बांग्लादेश के 52 जिलों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की कम से कम 205 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। द डेली स्टार समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद ने 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को एक खुले पत्र में यह आंकड़ा प्रस्तुत किया। यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली है।
आंकड़ों के अनुसार, सोमवार से 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर कम से कम 205 हमले दर्ज किए गए हैं, जब 76 वर्षीय हसीना ने नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध के बाद इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं। एकता परिषद के तीन अध्यक्षों में से एक निर्मल रोसारियो ने कहा, "हम सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमारा जीवन विनाशकारी स्थिति में है। हम रात में जागकर अपने घरों और मंदिरों की रखवाली कर रहे हैं। मैंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा। हम मांग करते हैं कि सरकार देश में सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करे।''
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता और बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद के अध्यक्ष बासुदेव धर द्वारा साइन किए गए लेटर में यूनुस का स्वागत एक नए युग के नेता के रूप में किया गया है, जो अभूतपूर्व छात्र-और जनता के नेतृत्व वाले जन-विद्रोह से पैदा हुआ है, जिसका उद्देश्य एक समतापूर्ण समाज और सुधार की स्थापना करना है। पत्र में कहा गया है, "जब लोगों की जीत अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही है, तो हम दुख और भारी मन से देखते हैं कि एक निहित स्वार्थी वर्ग अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अभूतपूर्व हिंसा करके इस उपलब्धि को धूमिल करने की साजिश रच रहा है।" इसमें कहा गया है कि चल रही सांप्रदायिक हिंसा ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के बीच व्यापक भय, चिंता और अनिश्चितता पैदा कर दी है और इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय निंदा भी हुई है। पत्र का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, "हम इस स्थिति को तुरंत समाप्त करने की मांग करते हैं।"
बता दें कि सोमवार को हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में भड़की हिंसा की घटनाओं में 230 से अधिक लोग मारे गए, जिससे जुलाई के मध्य में शुरू हुए आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के बाद से मरने वालों की संख्या 560 हो गई। ढाका में दो समुदाय के नेताओं के अनुसार, देश से भागने के बाद बांग्लादेश में हुई हिंसा में कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायों में तोड़फोड़ की गई, महिलाओं पर हमला किया गया और हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई।
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