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देश के नाम संबोधन में नेपाली सेना प्रमुख के पीछे किस हिन्दू राजा का चित्र? उसमें छिपा क्या संदेश? चर्चा तेज

Nepal Crisis: गोरखा रियासत में 1723 में जन्मे पृथ्वी नारायण शाह 20 वर्ष की उम्र में ही गद्दी पर बैठे थे और आधुनिक नेपाल के निर्माता बन गए थे। वह राजपूत मूल के शाह वंश के एक धर्मनिष्ठ हिंदू थे।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 11 Sep 2025 09:39 AM
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देश के नाम संबोधन में नेपाली सेना प्रमुख के पीछे किस हिन्दू राजा का चित्र? उसमें छिपा क्या संदेश? चर्चा तेज

Nepal Crisis: पड़ोसी देश नेपाल में पिछले कुछ दिनों से जारी भारी अराजकता, हिंसा और उथल-पुथल के बाद मंगलवार की देर शाम वहां के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने देश के नाम एक संबोधन दिया और लोगों से शांति-व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आखिरी चेतावनी भी दी कि अगर रात 10 बजे के बाद कोई हिंसा हुई तो खैर नहीं। दरअसल, जब नेपाल के प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शनकारी उत्पात मचाने से बाज नहीं आए तो सेना प्रमुख को आगे आकर उन्हें चेतावनी देनी पड़ी। फिलहाल, नेपाल की शासन व्यवस्था सेना के कंट्रोल में है।

जब सेना प्रमुख सिगडेल देश के नाम संबोधन दे रहे थे, तो उनके पीछे नेपाल का राष्ट्रध्वज और एक तस्वीर दिख रही थी। इस तस्वीर ने नेपाल समेत अन्य जगहों के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है कि आखिर सिगडेल ने वह तस्वीर क्यों लगा रखी थी और वह किसकी तस्वीर है? इसके अलावा यह बात भी लोगों के जेहन में कौंधी कि सेना प्रमुख ने उस तस्वीर के जरिए पूरी दुनिया को क्या संदेश देने की कोशिश की है?

सोशल मीडिया पर खूब चर्चा

दरअसल, यह तस्वीर 18वीं सदी के मध्य के एक पूर्व हिन्दू राजा की है, जिनका नाम पृथ्वी नारायण शाह था। इस राजा ने क्षेत्रीय एकीकरण का अभियान चलाकर आधुनिक नेपाल की नींव रखी थी। इस तस्वीर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर खूब चर्चा होने लगी है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या इस चित्र में कोई खास संदेश छिपा था या कोई खास महत्व था? सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स जनरल सिगडेल के पीछे पृथ्वी नारायण शाह के चित्र की मौजूदगी को एक बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं तो कुछ इसे सबसे बड़ा संकेत बता रहे हैं।

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17 साल में 13 सरकार

बता दें कि नेपाल, अपने आधुनिक इतिहास के अधिकांश समय तक, शाह वंश के अधीन एक राजशाही व्यवस्था के अधीन शासित रहा है। 2008 में माओवादियों के विद्रोह ने शाह वंश के तत्कालीन प्रमुख, राजा ज्ञानेंद्र शाह को गद्दी से उतरने के लिए मजबूर कर दिया था। उसके बाद के 17 वर्षों यानी आज तक नेपाल में कुल 13 बार सरकारें बन चुकी हैं और गिर चुकी हैं। राजनीतिक अस्थिरताा की वजह से नेपाल में इस साल की शुरुआत में फिर से राजशाही व्यवस्था लागू करने के लिए विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। नेपाल की मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से उपजी निराशा के बीच राजशाही की वापसी की चर्चाओं का बाज़ार गरम है।

पृथ्वी नारायण शाह के चित्र का प्रदर्शन एक संकेत

ऐसे में सिगडेल द्वारा राजा पृथ्वी नारायण शाह के चित्र का प्रदर्शन एक संकेत माना जा रहा है कि नेपाल में राजशाही व्यवस्था का दौर लौट सकता है। एक यूजर ने सोशल मीडिया पर लिखा भी कि क्या यह नेपाल में राजशाही और हिन्दू राष्ट्र की जल्द वापसी का संकेत है? हालांकि, कुछ लोगों ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर देखने से परहेज करने को कहा है और तर्क दिया है कि पहले से ही नेपाल के कई संस्थानों और सैन्य ढांचे पर राजा पृथ्वी नारायण शाह का नाम अंकित है और यह उनके प्रति सेना और देश का सम्मान दर्शाता है। सिगडेल ने जब 2024 के सितंबर में सेना प्रमुख की कमान संभाली थी, तब उस वक्त भी पृथ्वी नारायण शाह की तस्वीर उनके बैकग्राउंड में दिखी थी।

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राजशाही की वापसी की माँग

मौजूदा दौर और नेपाल के हालात के मद्देनजर यह चित्र महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस साल की शुरुआत में पूर्व माओवादी गुरिल्ला दुर्गा प्रसाई, जिन्होंने राजशाही की वापसी की माँग को लेकर काठमांडू में मार्च निकाला था, ने जेनरेशन ज़ेड के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया है। ऐसे में इस हिमालयी राष्ट्र के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा होने लगी है क्या वहां राजशाही की वापसी होने जा रही है?

कौन थे हिंदू राजा पृथ्वी नारायण शाह

ऐसे में चर्चा इस बात की भी होने लगी है कि आधुनिक नेपाल की नींव रखने वाले हिंदू राजा पृथ्वी नारायण शाह कौन थे और नेपाली सेना में उनका क्या योगदान था? गोरखा रियासत में 1723 में जन्मे पृथ्वी नारायण शाह 20 वर्ष की उम्र में ही गद्दी पर बैठे थे और आधुनिक नेपाल के निर्माता बन गए थे। वह राजपूत मूल के शाह वंश के एक धर्मनिष्ठ हिंदू थे, जिन्होंने रणनीतिक विजयों, कूटनीति और गठबंधनों के माध्यम से बैसे और चौबीसे राज्य जैसे 50 से अधिक खंडित राज्यों का एकीकरण किया था।

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नेपाली सेना की नींव रखी थी

उनका अभियान 1744 में तिब्बत के एक प्रमुख व्यापार मार्ग, नुवाकोट पर कब्ज़ा करने के साथ शुरू हुआ था और 1769 में काठमांडू घाटी के मल्ल राज्यों (काठमांडू, पाटन और भक्तपुर) के विलय के साथ समाप्त हुआ था। कुछ विद्वानों ने पृथ्वी नारायण शाह द्वारा नेपाल के एकीकरण की तुलना संयुक्त राज्य अमेरिका के निर्माण में जॉर्ज वाशिंगटन की भूमिका से की है। उन्होंने काठमांडू को राजधानी के रूप में स्थापित किया, ब्रिटिश भारत से स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए सीमाओं को सील किया और एक बहु-जातीय "चार जातियों और 36 नस्लों के उद्यान" को बढ़ावा दिया। शाह की सैन्य प्रतिभा ने नेपाली सेना की नींव रखी थी।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने गोरखा सेना को एक अनुशासित इकाई में पुनर्गठित किया था, जिसमें आधुनिक प्रशिक्षण, माचिस जैसे हथियार और पहाड़ी इलाकों के अनुकूल गुरिल्ला रणनीति शामिल थी। 1762 तक, उन्होंने गुरुंग, मगर, छेत्री और ठकुरी वंशों से श्रीनाथ, काली बख्श, बरदा बहादुर और सबुज नामक मुख्य बटालियनें गठित कर ली थीं, जिनमें अधिकतम 50,000 सैनिक होते थे। 1775 में उनका निधन हो गया था।

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