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PAK को अमेरिका ने दिखाई औकात, मिसाइल डील से क्यों पलटा; भारत के लिए अच्छी खबर क्या

  • बाइडेन प्रशासन का मानना है कि पाकिस्तान 12,000 किमी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर रहा है, जो अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 26 Dec 2024 01:55 PM
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PAK को अमेरिका ने दिखाई औकात, मिसाइल डील से क्यों पलटा; भारत के लिए अच्छी खबर क्या

अमेरिका ने पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए इस्लामाबाद की चार प्रमुख कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम पाकिस्तानी मिसाइल डील और चीन के साथ गहराते संबंधों के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश है। प्रतिबंधित कंपनियों में सरकारी संस्था 'नेशनल डेवेलपमेंट कॉम्प्लेक्स' (एनडीसी) के साथ कराची स्थित अख्तर एंड सन्स प्राइवेट लिमिटेड, एफिलिएट्स इंटरनेशनल और रॉकसाइड एंटरप्राइज शामिल हैं।

बाइडेन प्रशासन का मानना है कि पाकिस्तान 12,000 किमी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर रहा है, जो अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। हालांकि, पाकिस्तानी रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह मिसाइल अमेरिका के भूभाग को निशाना बनाने में सक्षम नहीं है, लेकिन भारत के हर शहर पर हमला कर सकती है।

पाकिस्तान और चीन के बीच लंबे समय से चली आ रही रक्षा साझेदारी का इतिहास इस विवाद की जड़ में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला 1998 में शुरू हुआ, जब अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागी थीं। इनमें से एक मिसाइल के पाकिस्तान के कब्जे में आने और उसे चीन को सौंपने के बाद चीन ने इसी तकनीक पर डीएच-10 मिसाइल विकसित की, जिसे बाद में पाकिस्तान को 'बाबर' मिसाइल के रूप में दिया गया।

अमेरिकी उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने हाल ही में पाकिस्तान की मिसाइल परियोजना पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। इसके बाद अमेरिकी प्रतिबंधों ने पाकिस्तान की मिसाइल परियोजना को गंभीर झटका दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम नई दिल्ली के लिए राहत भरा है, क्योंकि इससे पाकिस्तान की मिसाइल क्षमताओं पर अंकुश लगेगा।

इस प्रतिबंध से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका, पाकिस्तान और चीन के सैन्य संबंधों को लेकर गंभीर है और वह दक्षिण एशिया में अपनी रणनीतिक संतुलन बनाए रखना चाहता है। अमेरिका के इस कदम से न केवल पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम पर असर पड़ेगा, बल्कि यह नई दिल्ली के लिए कूटनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि भी साबित हो सकता है।

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