नेपाल में फिर बड़ा हवाई हादसा, पहाड़ों में जा घुसा हेलीकॉप्टर; पांच लोग थे सवार
- नेपाल के कठिन भौगोलिक क्षेत्र और बदलते मौसम के कारण यहां हवाई दुर्घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। हालांकि, लगातार दो हफ्तों में हुई दुर्घटनाएं बेहद चिंता का विषय हैं।
नेपाल की राजधानी काठमांडू के उत्तर-पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्र में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इस हेलिकॉप्टर में 5 लोग सवार थे। सभी लोगों के मारे जाने की आशंका है। एक महीने से भी कम समय में नेपाल में यह दूसरी हेलिकॉप्टर क्रैश की घटना सामने आई है। नेपाल पुलिस ने बताया, "हमें जानकारी मिली है कि एक हेलिकॉप्टर, जो कि पहाड़ी क्षेत्र में उड़ान भर रहा था, दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इस हेलिकॉप्टर में पांच लोग सवार थे। बचाव दल को तुरंत मौके पर भेजा गया है और हम दुर्घटना के कारणों की जांच कर रहे हैं।" नेपाल के कठिन भौगोलिक क्षेत्र और बदलते मौसम के कारण यहां हवाई दुर्घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। हालांकि, लगातार दो हफ्तों में हुई दुर्घटनाएं बेहद चिंता का विषय हैं।
इससे पहले काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 24 जुलाई को सुबह उड़ान भरने के दौरान एक निजी एयरलाइन का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में एक बच्चे समेत 18 यात्रियों की मौत हो गई तथा पायलट गंभीर रूप से घायल हो गया। सौर्य एयरलाइंस का नेपाल का घरेलू विमान ‘एन9एएमई’ नियमित रखरखाव कार्य के लिए पोखरा जा रहा था। पूर्वाह्न 11 बजकर 11 मिनट पर यह हादसे का शिकार हो गया। नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने एक बयान में बताया कि बमबॉर्डियर सीआरजे-200 विमान रनवे पर फिसल गया और उसमें तुरंत आग लग गयी। इसने कहा कि बचाव अभियान तत्काल शुरू किया गया और आग पर काबू पा लिया गया। बयान में कहा गया कि हादसे में एक व्यक्ति (कैप्टन रत्न शाक्या) को बचा लिया गया जबकि 18 लोग मृत मिले।
नेपाल में हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं अधिक क्यों होती हैं?
हाल के वर्षों में खराब हवाई सुरक्षा रिकॉर्ड के लिए नेपाल की आलोचना की गई है, लेकिन इन दुर्घटना की वजह में मानवीय भूल के अलावा आंशिक रूप से अचानक मौसम परिवर्तन और दुर्गम चट्टानी इलाकों में स्थित हवाई पट्टियां भी शामिल हैं। नेपाल के नागरिक उड्डयन निकाय के अनुसार, अगस्त 1955 में पहली दुर्घटना के बाद से देश में हवाई दुर्घटनाओं में 914 लोग मारे गए हैं।
पिछले साल जनवरी में, यति एयरलाइंस का एक विमान पोखरा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें पांच भारतीयों सहित सभी 72 लोग मारे गए थे। दुर्घटना का कारण मानवीय भूल बताया गया। इसके अलावा, नेपाल का भूगोल बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। हिमालयी क्षेत्र में ऊंचे पहाड़, गहरी घाटियाँ और असमान भू-भाग हैं। इन क्षेत्रों में उड़ान भरना और लैंड करना बेहद मुश्किल होता है।
नेपाल में मौसम बहुत ही तेजी से बदलता है, खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में। खराब मौसम, जैसे कि बर्फबारी, धुंध और तेज हवाएं, उड़ान की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। कई दूरस्थ क्षेत्रों में आधुनिक नेविगेशन और संचार सुविधाओं की कमी है। यह पायलटों के लिए उड़ान को और भी चुनौतीपूर्ण बना देता है, खासकर जब वे कठिन परिस्थितियों में उड़ान भर रहे हों। पुराने हेलिकॉप्टर और उनकी उचित देखरेख न होने के कारण तकनीकी समस्याएं भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। हेलिकॉप्टरों की नियमित मरम्मत और जांच बेहद महत्वपूर्ण है।
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