
भारत के बाद ट्रंप ने ब्रिक्स के एक और देश पर लगाया 50 फीसदी टैरिफ, जज तक को नहीं छोड़ा
संक्षेप: इस आदेश के तहत मौजूदा 10% टैरिफ के अलावा 40% टैरिफ लगाया जाएगा, लेकिन कुछ उत्पादों जैसे नागरिक विमान और उनके पुर्जे, एल्यूमिनियम, टिन, लकड़ी का गूदा, ऊर्जा उत्पाद और उर्वरक को इससे छूट दी गई है।
भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और ब्रिक्स देश को निशाना बनाया है। इस बार ट्रंप प्रशासन के निशाने पर ब्राजील है। ट्रंप ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ब्राजील पर 50% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का ऐलान किया। इस आदेश में ब्राजील की नीतियों और पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को 'आर्थिक आपातकाल' का आधार बताया गया है। ट्रंप ने ब्राजील के 1977 के एक कानून का हवाला दिया जिसके तहत बोल्सोनारो की गिरफ्तारी को उचित ठहराया गया है। इतना ही नहीं, जिस जज ने बोल्सोनारो के खिलाफ मामले की सुनवाई की है उस पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया है।
ट्रंप ने 9 जुलाई को ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा को एक पत्र भेजकर इस टैरिफ की धमकी दी थी, लेकिन तब इसका कानूनी आधार अमेरिका और ब्राजील के बीच व्यापार असंतुलन को बताया गया था। हालांकि, अमेरिकी जनगणना ब्यूरो के अनुसार, 2024 में अमेरिका ने ब्राजील के साथ 6.8 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष दर्ज किया- यानी अमेरिका ने ब्राजील को निर्यात ज्यादा किया और आयात कम रहा।
सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला
वाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ब्राजील की न्यायपालिका ने सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव बनाया और उनके यूजर्स को ब्लॉक करने की कोशिश की, हालांकि इसमें कंपनियों के नाम नहीं लिए गए। लेकिन माना जा रहा है कि इसमें X और रंबल जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप पहले से ही बोलसोनारो के समर्थन में दिखते रहे हैं। गौरतलब है कि ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो ने 2022 में अपनी हार के बाद चुनाव परिणामों को पलटने की कोशिश की थी- ठीक वैसे ही जैसे ट्रंप ने 2020 के अमेरिकी चुनावों के बाद किया, जिसके लिए उन पर 2023 में आपराधिक आरोप लगे।
लूला ने दी तीखी प्रतिक्रिया
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने बुधवार को पशु अधिकारों पर एक कार्यक्रम को बीच में छोड़ते हुए ट्रंप की घोषणा पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मुझे ब्राजीलियाई जनता की संप्रभुता की रक्षा करनी है, जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा घोषित कदमों से चुनौती मिली है।”
ट्रंप के इस आदेश के तहत अब ब्राजील से आने वाले कई उत्पादों पर मौजूदा 10% शुल्क के अलावा 40% अतिरिक्त शुल्क लगेगा, लेकिन सभी उत्पादों पर यह नहीं लगेगा। जिन वस्तुओं को छूट दी गई है, उनमें सिविल एयरक्राफ्ट और उनके पुर्जे, एल्युमिनियम, टिन, वुड पल्प, ऊर्जा उत्पाद और उर्वरक शामिल हैं। यह आदेश बुधवार को हस्ताक्षरित हुआ और सात दिनों बाद लागू होगा।
ब्राजील के जज पर अमेरिका ने लगाए प्रतिबंध
उसी दिन, ट्रंप प्रशासन के वित्त विभाग ने ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट जज अलेक्जांद्रे डे मोराइस पर भी प्रतिबंधों की घोषणा की। उन पर ‘अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने’ और बोलसोनारो के खिलाफ चल रहे मुकदमे के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है। डे मोराइस वही जज हैं, जो बोलसोनारो के खिलाफ उस कथित साजिश की निगरानी कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने अपनी 2022 की हार के बावजूद सत्ता में बने रहने की योजना बनाई थी। इससे पहले 18 जुलाई को अमेरिका के विदेश विभाग ने भी ब्राजील के न्यायिक अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाए थे, जिनमें जस्टिस डे मोराइस भी शामिल थे।
ब्रिक्स देशों को निशाना बना रहे ट्रंप
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने को लेकर ब्रिक्स समूह का भी हवाला दिया। ट्रंप ने वाइट हाउस में कहा, “हम अभी बातचीत कर रहे हैं और इसमें ब्रिक्स का मसला भी शामिल है। आप जानते हैं, ब्रिक्स मूलतः अमेरिका विरोधी देशों का एक समूह है और भारत इसका सदस्य है। यह अमेरिकी मुद्रा पर हमला है और हम किसी को भी ऐसा नहीं करने देंगे।”
ट्रंप ने कहा, “यह निर्णय आंशिक रूप से ‘ब्रिक्स’ की वजह से लिया गया है और इसमें कुछ हद तक घाटे की भूमिकी है। हमें बहुत बड़ा घाटा हुआ है। जैसा कि आप जानते हैं, प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी मेरे मित्र हैं लेकिन वे हमारे साथ व्यापार के मामले में बहुत ज्यादा जुड़े नहीं हैं।”

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