सुप्रीम फैसला बनेगा राम मंदिर

Malay, Last updated: Sun, 10th Nov 2019, 1:16 PM IST
दशकों से निर्माण की बाट जोह रहे राममंदिर की बाधा सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने ऐतिहासिक फैसले से दूर कर दी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जजों की संविधान पीठ ने...
Supreme Courts verdict on Ayodhya

दशकों से निर्माण की बाट जोह रहे राममंदिर की बाधा सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने ऐतिहासिक फैसले से दूर कर दी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से दिए अपने फैसले में कहा कि अयोध्या की विवादित भूमि पर राममंदिर का निर्माण होगा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थल पर मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी। अपने 1045 पन्नों के फैसले में पीठ ने केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह तीन माह के भीतर एक ट्रस्ट बनाकर राममंदिर निर्माण की योजना पेश करे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही 134 साल से भी अधिक पुराने इस बेहद संवेदनशील विवाद का निबटारा हो गया। 

पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला विराजमान को सौंप दिया जाये, जो इस मामले में एक वादकारी हैं। हालांकि यह भूमि केन्द्र सरकार के रिसीवर के कब्जे में ही रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सभी पक्षों ने खुशी जाहिर की है। फैसले पर मुस्लिम पक्ष के वकील  जफरयाब जिलानी ने असंतोष जाहिर करते हुए  पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। 

न्यायालय ने कहा कि हिन्दू पक्ष यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विवादित ढांचे के बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था और उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड अध्योध्या विवाद में अपना मामला साबित करने में विफल रहा है। संविधान पीठ ने यह माना कि विवादित स्थल के बाहरी बरामदे में हिन्दुओं द्वारा व्यापक रूप से पूजा अर्चना की जाती रही है और साक्ष्यों से पता चलता है कि मस्जिद में शुक्रवार को मुस्लिम नमाज पढ़ते थे जो इस बात का सूचक है कि उन्होंने इस स्थान पर कब्जा छोड़ा नहीं था। अदालत ने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ने में बाधा डाले जाने के बावजूद साक्ष्य इस बात के सूचक हैं कि वहां नमाज पढ़ना बंद नहीं हुई थी। 

संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान-के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्तूबर को सुनवाई पूरी की थी। संविधान पीठ ने इस प्रकरण पर छह अगस्त से नियमित सुनवाई शुरू करने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने का प्रयास किया था। न्यायालय ने इसके लिये शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति भी गठित की थी लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली। इसके बाद, प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सारे प्रकरण पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई करने का निर्णय किया था।

खास बातें
- 2.77 एकड़ की विवादित भूमि केंद्र सरकार के पास रहेगी। सरकार मंदिर निर्माण के लिए उसे ट्रस्ट को सौंपेगी
- सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल सिंह विशारद को वहां पूजा करने का अधिकार दे दिया है, लेकिन यह फ़ैसला उनकी मौत के 33 साल बाद आया है
- सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के लिए पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन मिलेगी

आगे के विकल्प 
- यदि कोई पक्ष फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह 30 दिन के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकेगा। इसमें वकीलों की ओर से जिरह नहीं की जाती। पहले दिए गए फैसले की फाइल और रिकॉर्ड पर ही विचार होता है।

- पुनर्विचार याचिका पर आए फैसले से भी अगर संबंधित पक्ष असंतुष्ट रह जाता है तो उसके पास 30 दिन के भीतर क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने का विकल्प होता है। इस स्थिति में तीन वरिष्ठतम जज और तीन मौजूदा जजों को मिलाकर कुछ छह जज सुनवाई कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान केस के किसी तथ्य पर विचार नहीं होता, बल्कि कानूनी पहलुओं पर ही विचार होता है। 

हम सर्वसम्मति से फैसला सुना रहे हैं। इस अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए। 
- रंजन गोगोई, मुख्य न्यायाधीश

आज उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा अयोध्या मामले पर सर्वसम्मति से दिए फैसले के बाद, आवश्यक है कि हम पिछले विवादों को भूल कर भविष्य के सहिष्णु, सौहार्दपूर्ण, संपन्न और शांत भारत के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हों। इस निर्णय से सिर्फ भारत की विजय हुई है। सौहार्द से साथ में रहने की हमारी भावना की जीत हुई है। 
- एम वेंकैया नायडू, उपराष्ट्रपति

न्याय के मंदिर ने दशकों पुराने मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान कर दिया। यह फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा।   
- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री 

मैं श्री राम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत फैसले का स्वागत करता हूं। मुझे विश्वास है कि कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला अपने आप में एक मील का पत्थर साबित होगा।  
- अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री   

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