स्मार्ट एक्सक्लूसिव: मौज में कैदी- ऐसे तो पीएमसीएच से फिर भाग सकते हैं बंदी

Malay, Last updated: Fri, 7th Jun 2019, 6:11 AM IST
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैदी वार्ड में कोई भी आदमी बड़ी आसानी से आ-जा सकता है। टूटी खिड़कियों से जो चाहे वह सामान भी पहुंचा सकता है। बिना किसी रोक-टोक के कैदियों और बंदियों से घंटों बातें कर सकता...
ऐसे तो पीएमसीएच से फिर भाग सकते हैं बंदी

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैदी वार्ड में कोई भी आदमी बड़ी आसानी से आ-जा सकता है। टूटी खिड़कियों से जो चाहे वह सामान भी पहुंचा सकता है। बिना किसी रोक-टोक के कैदियों और बंदियों से घंटों बातें कर सकता है। वार्ड के अंदर कैदी भी बिना किसी रोक-टोक के कहीं भी आ जा सकते हैं। दो साल पहले इसी लापरवाही का फायदा उठाकर यहां से चार महीने में चार कैदी इलाज के दौरान फरार हो चुके हैं। उसके बाद कुछ दिनों के लिए व्यवस्था में सुधार हुआ लेकिन एक बार फिर यहां की व्यवस्था को आजाद छोड़ दिया गया है। 

छह दिन पहले ही झारखंड के सरायकेला जिला अस्पताल से नक्सलियों का बड़ा नेता फरार हो गया। जबकि अस्पताल में छह पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था में भी थे। बताते हैं कि पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उसे पकड़ा था। पटना में भी हालात इससे बदतर हैं। पीएमसीएच में बने कैदी वार्ड में सिर्फ नाम की सुरक्षा व्यवस्था है। वार्ड का गेट हमेशा खुला रहता है। गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी भी तैनात नहीं है। अधिकांश खिड़कियों के कांच टूटे हुए हैं। कोई भी व्यक्ति वार्ड की किसी भी खिड़की पर जाकर कुछ भी कर सकता है। 
कैदियों के वार्ड की व्यवस्था : कैदियों और जेल में बंद कुख्यात बदमाशों के इलाज के लिए सरकार ने पीएमसीएच में कैदी वार्ड की व्यवस्था की है। जेल के अस्पताल में तैनात डॉक्टर जब रेफर करते हैं, तो ऐसे कैदी या बंदी मरीजों का इलाज पीएमसीएच में भर्ती करके कराया जाता है। बंदियों और कैदियों को न्यायालय की अनुमति के बाद ही अस्पताल में भर्ती किया जाता है। 

जेल से निकलते ही पुलिस के जिम्मे
जेल अफसरों का कहना है कि किसी भी बंदी या कैदी की तबीयत खराब होती है तो न्यायालय से अनुमति लेकर इसकी सूचना पुलिस को दी जाती है। फिर पुलिस लाइन से बंदी के अनुसार सुरक्षा जवान मिल जाते हैं, जो मरीज को जेल से अस्पताल ले जाते हैं। इन जवानों की जिम्मेदारी तब तक होती है, जब तक कैदी या बंदी लौटकर जेल में नहीं आ जाते। कैदी वार्ड में भी सुरक्षा को लेकर फोर्स रहती है लेकिन वह कैदी को हिरासत में नहीं लेती है।

जुगाड़ कर पहुंच जाते हैं अस्पताल 
जेल के अस्पताल से कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें कैदी या बंदी बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल पहुंच जाते हैं। सूत्रों की मानें तो पटना की जेलों में भी ऐसे मामले हैं। कई बड़े अपराधियों को लेकर जेल प्रशासन पर आरोप भी लग चुका है। हिन्दुस्तान स्मार्ट की पड़ताल में जो खुलासा हुआ उससे यह बात साफ हो गई कि अस्पताल के वार्ड में कैदी और बंदी क्यों भर्ती होना चाहते हैं।

ऐसे शुरू हुई पड़ताल 
पीएमसीएच में अधीक्षक आवास के ठीक सामने दो मंजिला बिल्डिंग है। इसके सामने कैदी वार्ड है। बाहर एक बड़ा सा लोहे का दरवाजा है। रिपोर्टर जब अंदर पहुंचा तो वहां का नजारा चौंकाने वाला था। कैदी को जहां रखा गया था, उस कमरे की खिड़की बाहर की तरफ है। अधिकांश खिड़की के शीशे और दरवाजे टूटे हुए हैं। हर खिड़की के बाहर कोई न कोई खड़ा था। रिपोर्टर जब कैदी वार्ड की बिल्डिंग में अंदर जाने वाले रास्ते पर पहुंचा तो वहां सिपाही मिला। सिपाही से बात की तो उसने कहा खिड़की से जो भी देना है, जाइए दे दीजिए। जब खिड़की के पास रिपोर्टर पहुंचा तो वहां पहले से मौजूद लोग कैंदियों को सामान दे रहे थे। टूटी खिड़की और पतली सरिया खतरे का संकेत दे रही थी। बाहर निगरानी के लिए कोई जवान नहीं था। 

कैदी वार्ड के भवन व खिड़की दरवाजे के लिए अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार है, लेकिन सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। 
—डॉ राजीव रंजन प्रसाद, अधीक्षक, पटना मेडिकल कॉलेज

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