बनने लगे छठ के चूल्हे: अभी से आने लगी प्रसाद की सोंधी खुशबू

Malay, Last updated: Sat, 19th Oct 2019, 9:01 AM IST
मिट्टी का चूल्हा बनते देखकर ही आस्था के महापर्व छठ के प्रसाद की सोंधी खुश्बू आने लगती है। शहर में छठ पर्व के लिए मिट्टी का चूल्हा बनाने वाले अपने काम जुट गए हैं। दिन-रात एक कर पूरी पवित्रता और निष्ठा...
शहर के वीरचंद पटेल मार्ग में मिट्टी के चूल्हे बनते देख छठ महापर्व की आहट महसूस होने लगती है। पर्व के समय में दिक्कत न हो, इसलिए बहुत-से लोग पहले से ही मिट्टी के चूल्हे का ऑर्डर देकर इसे बुक करा लेते ह

मिट्टी का चूल्हा बनते देखकर ही आस्था के महापर्व छठ के प्रसाद की सोंधी खुश्बू आने लगती है। शहर में छठ पर्व के लिए मिट्टी का चूल्हा बनाने वाले अपने काम जुट गए हैं। दिन-रात एक कर पूरी पवित्रता और निष्ठा के साथ वे इसके निर्माण में लगे हैं। चूंकि छठ बिहार का सबसे बड़ा पर्व है, इसलिए यहीं की मिट्टी से बने चूल्हे का प्रसाद से गहरे अपनापन का बोध होता है।

मिट्टी के चूल्हे पर छठ पर्व का प्रसाद बनाने के पीछे मान्यता यह है कि धार्मिक दृष्टिकोण से मिट्टी को पावन माना गया है। छठ व्रती खरना का प्रसाद जैसे गुड़ की खीर, ठेकुआ और रोटी नए चूल्हे पर ही बनाते हैं। इन सब के पीछे जो सबसे मुख्य कारण है, वह है पवित्रता। मिट्टी के चूल्हे पर बने प्रसाद का स्वाद भी अनूठा होता है।  

वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार मिट्टी में ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जिससे स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। मिट्टी से निर्मित वस्तुओं को घर में रखने का धार्मिक महत्व भी है। मिट्टी के घड़े को अगर घर में रखा जाए तो बुध व चंद्रमा ग्रह के सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। ज्योतिष में मान्यता है कि मिट्टी के बर्तनों में चाय,पानी या लस्सी जैसे पेय पदार्थों का सेवन करने पर मंगल ग्रह के दोष दूर होते हैं। एल्युमीनियम बर्तन में खाना पकाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व, पीतल के बर्तन में 7 प्रतिशत पोषक और कांसे के बर्तन में 3 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। मिट्टी के बर्तन ही ऐसे हैं, जिनमें खाना बनाने से 100 प्रतिशत पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं। इसके अलावा भी मिट्टी के बर्तनों में खाना खाने या खाना पकाने के कई फायदे हैं। 

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें