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आइये जानते हैं क्या है इंटरनेट एनेबल्ड कार

आम तौर पर कनेक्ट कारों में वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क के जरिए कार में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, जिसे आप कार के डैशबोर्ड पर लगे स्क्रीन के जरिए इसे एक्सेस कर सकते हैं। इंटरनेट युक्त कार आपके...

आइये जानते हैं क्या है इंटरनेट एनेबल्ड कार
नई दिल्ली, स्मार्ट डेस्कSun, 07 Jul 2019 10:05 PM
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आम तौर पर कनेक्ट कारों में वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क के जरिए कार में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, जिसे आप कार के डैशबोर्ड पर लगे स्क्रीन के जरिए इसे एक्सेस कर सकते हैं। इंटरनेट युक्त कार आपके लिए कई तरह की सुविधाओं के द्वार खोलती है। कार के अंदर और बाहर की दुनिया के पल-पल की वह खबर आपको देती है जो आपके लिए जरूरी हैं। 

मसलन, आपकी कार की स्थित, आगे के  ट्रैफिक से जुड़ी सूचना, पार्किंग स्लॉट, फ्यूल स्टेशन, गैराज,  होटल और आसपास के मौसम का हाल। वॉयस फीचर के जरिए बोलकर भी आप कार की कई फंक्शन को निर्देशित कर सकते हैं। पार्किंग में रखी इस कार को आप अपने दफ्तर या घर से भी ऑपरेट कर सकते हैं। आप घर से निकलने के पहले ही इसका एसी चालू कर सकते हैं। चालक की पूरी रिपोर्ट भी आप कार से निकाल सकते हैं।  इतना ही नहीं अगर कभी रास्ते में आप किसी दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं तो इसकी सूचना तत्काल अपने आप उनलोगों तक पहुंचेगी जहां से आपको तुरंत सहायता मुहैया कराई जा सके। इसकी खूबियों को देखते हुए लगभग सभी बड़ी कार निर्माता कंपनियां अपनी कारों को इस सुविधा से लैस कर रही हैं। भारतीय कार बाजार में हाल ही में ब्रिटेन की कंपनी एमजी मोटर ने अपनी बहुप्रतीक्षित हेक्टर कार लॉन्च की है। 

कंपनी का दावा है कि इंटरनेट कनेक्ट सुविधा से लैस भारत की ये पहली कार होगी। हालांकि ऑटो मोबाइल क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय कारों में आंश्कि तौर पर इंटरनेट कनेक्शन की शुरुआत इससे पहले हो चुकी है। होंडा, फिएट, फॉक्सवैगन, बीएमडब्ल्यू, जेनरल मोटर्स, शेवरले, टोयोटा, निसान, हुंडई, मारुति जैसे ब्रांड की चुनिंदा कारों में पहले से ही ये सुविधा दी जा रही है। हालांकि इन कंपनियों की कारों में इंटरनेट एक्सेस की तकनीक में थोड़ी बहुत भिन्नता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भविषय में 5 जी तकनीक के आने के बाद इन कारों की मांग में जबर्दस्त इजाफा होगा। महानगरों और टीयर 2 शहरों में इसकी मांग बढ़ेगी। 

कैसे काम करती है कनेक्ट कार 
वाहनों में इंटरनेट तकनीक का इस्तेमाल अभी भी शैशवावस्था में है और इसे बेहतर बनाने के लिए ढेर सारे शोध किए जा रहे हैं। कनेक्ट कारों में इंटरनेट एक्सेस के लिए फोर्ड सिंक प्रणाली के जरिए स्मार्टफोन या वायरलेस यूएसबी से इसे कनेक्ट किया जाता है। कुछ कंपनियों की कारों में मोबाइल कंपनियों के डाटा सर्विस का इंबिल्ट कनेशन भी रहता है जो जीएसएम डाटा सर्विस को कैच करता है। अमेरिका में अधिककतर कनेक्ट कारों में इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं कनेक्टेड कारों में सुरक्षा फीचर्स डेडिकेटेड श्ॉर्ट रेंज कम्यूनिकेशन (डीआरएससी) तकनीक पर आधारित होते हैं जो वाई-फाई की तरह काम करता है। ऐसी कारों में कनेक्टिविटी के भी कई स्तर होते हैं। पहला है कार और उसके अंदर के बारे में यानी कार की सूचना उपलब्ध कराना। दूसरा कार और बाहर के वातावरण की सूचना देता है जो वेहिकल टू इंफ्र ास्टक्चर तकनीक पर आधारित होता है। तीसरी तकनीक वेहिकल टू पेडिस्ट्रीयन पर आधारित है जो कार और उसके बाहर किसी के मोबाइल से संवाद स्थापित करने में सक्षम होती है। इस तकनीक के माध्यम से किसी अन्य कनेक्ट कार में कोई सूचना भेजी जा सकती है। इसका वी टू सी तकनीक कार के डिवाइस को कंपनी द्वारा उपलब्ध कलाउड सिस्टम से जोड़ता है, जहां से जरूरी सूचना दी जाती है।  

कनेक्ट कार के नुकसान
कनेक्ट कार के फायदे के साथ कुछ नुकसान भी हैं। इसका पहला नुकसान ये है कि कार, चालक और सवारी की निजता खतरे में पड़ जाती है। इससे जुड़ी किसी भी सूचना और डाटा का इस्तेमाल कोई भी बाहरी व्यक्ति आसानी से कर सकता है। इस कार में एक और गंभीर खतरा इंटरनेट हैकिंग का होता है। यानी आपके डाटा और कार दोनों को बाहरी तत्व हैक कर अपने अनुसार उसमें बदलाव कर सकता है। कई बार उपलब्ध सूचना सही भी नहीं होती है और बार-बार इसमें तकनीकी समस्या भी आ जाती है। इसलिए यूरोपियन देशों में कनेक्टेड कारों में लगभग आधे लोग इस सुविधा का इस्तेमाल नहीं करते  हैं और इसे बंद रखते हैं। 

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