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अपने अंदाज से विदेश मंत्रालय को बना दिया था देसी

भाजपा की कद्दावर नेता एवं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का असमय दुनिया को यूं अलविदा कह जाना न सिर्फ राजनीतिक हलके में एक शून्य छोड़ जाएगा बल्कि आम आदमी को भी उनकी कमी हमेशा सालती रहेगी। 1977 में 25...

अपने अंदाज से विदेश मंत्रालय को बना दिया था देसी
नई दिल्ली, स्मार्ट डेस्कThu, 08 Aug 2019 12:19 AM
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भाजपा की कद्दावर नेता एवं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का असमय दुनिया को यूं अलविदा कह जाना न सिर्फ राजनीतिक हलके में एक शून्य छोड़ जाएगा बल्कि आम आदमी को भी उनकी कमी हमेशा सालती रहेगी। 1977 में 25 साल की उम्र में हरियाणा कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाली सुषमा स्वराज ने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा। उन्हें दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री होने का भी गौरव हासिल है।  वह तीन बार राज्यसभा सांसद और चार बार लोकसभा सांसद रहीं। लेकिन देश सहित दुनिया भर में उनकी लोकप्रियता का ग्राफ उस वक्त अपने चरम पर रहा जब उन्हें मोदी की पहली सरकार में विदेश मंत्री का दायित्व सौंपा गया। 

वैश्विक मंचों पर उन्होंने आतंकवाद, कश्मीर, जाधव और देश हित से जुड़े मामलों में भारत का पक्ष प्रभावशाली तरीके से रखा। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए वह एक सर्वसुलभ विदेश मंत्री रहीं। उन्होंने ट्वीटर पर की गई छोटी से बड़ी सभी शिकायतों का संज्ञान लेकर उस पर कार्रवाई की। इराक में फंसे भारतीय मजदूर का मामला हो, पाकिस्तान की जेल में बंद हामिद या फिर पाकिस्तान से भटक कर भारत में आया रमजान, उन्होंने हर मामले में लोगों की मदद की। भारत से भटककर पाकिस्तान पहुंचने वाली मूक बधिर लड़की गीता को स्वदेश लाने में उन्होंने निजी स्तर पर पहल की। उनकी लोक स्वीकार्यता का आलम ये था कि जब गुर्दे की बीमारी के कारण उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया जाना था तो पाकिस्तान के नागरिकों ने अपनी किडनी उन्हें देने की पेशकश की थी। पाकिस्तानी नागरिकों ने इसका मलाल जाहिर किया कि काश सुषमा स्वराज उनकी देश की विदेश मंत्री होतीं। 

सुषमा जी ने अपनी कोशिशों के दौरान मेरे बेटे हामिद के बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों को 96 आधिकारिक पत्र लिखे। उन्होंने हमेशा हमारी सभी अपील का सकारात्मक जवाब दिया और आखिरकार मेरे बेटे को उनके हस्तक्षेप के बाद मुक्त कर दिया गया। सुषमा जी हमारे दिलों में हमेशा के लिए रहेंगी।
-नेहल अंसारी, हामिद के पिता

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के गुजर जाने से मैंने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि मेरी खैरियत के बारे में वह एक मां की तरह हमेशा चिंता करती थीं।
-गीता, मूक वाधिर युवती, इशारों में व्यक्त की अपनी वेदना

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