हे भगवान! नौ दिन तो बीत गए आखिर कब निकलेगा पानी
जलजमाव प्रभावित इलाके में बरसात का पानी सड़कर अब नाले की पानी में तब्दील हो गया है। पानी के पूरी तरह से सड़ जाने और इसमें नाला-नालियों का पानी मिश्रित हो जाने की वजह से कीड़े-मकोड़ों की भरमार हो गई है।...
जलजमाव प्रभावित इलाके में बरसात का पानी सड़कर अब नाले की पानी में तब्दील हो गया है। पानी के पूरी तरह से सड़ जाने और इसमें नाला-नालियों का पानी मिश्रित हो जाने की वजह से कीड़े-मकोड़ों की भरमार हो गई है। जलनिकासी की दिशा में करीब 10 दिन बाद भी नगर निगम का कोई कारगर कदम नहीं दिख रहा है। जल निकासी को पूरी तरह से भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। राजेंद्रनगर के गली नंबर 1 से 16 तक अभी भी 2 से ढाई फिट तक का जलजमाव बना हुआ है। कई परिवार अब भी घर में कैद है। लोग इसी गंदगी के बीच से गुजरकर अपनी दिनचर्या पूरी कर रहे हैं। इलाके के लोगों में आक्रोश है। उनका कहना है कि करीब 10 दिन के बाद भी इलाके के जलजमाव से मुक्ति दिलाने में निगम और प्रशासन लापरवाही है।
कैंप में कम हुए रोगी, अब घरों से निकल रहे हैं बीमार
जलजमाव ग्रस्त इलाके में स्थापित गैर सरकारी संगठन के स्वास्थ्य कैंप में रोगियों की संख्या में गिरावट आई है। अब 700 की बजाय 400 से 500 रोगियों का इलाज हो रहा है। इसमें 50 फिसदी रोगी डायरिया और चर्मरोग से पीड़ित हैं। लेकिन जलजमाव वाले ग्रसित क्षेत्र में अभी तक दवा की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। रविवार को कई स्वास्थ्य संगठनों ने राजेंद्रनगर और बहादुरपुर इलाके में बाढ़ से घिरे घरों में लोगों को दवा वितरण के लिए नगर निगम से वाहन की मांग की। लेकिन यह वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया।