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कार्तिक मास में स्नान करना बहुत लाभकारी

सभी मासों में कार्तिक मास को श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इस मास में श्रीहरि जल में ही निवास करते हैं। जिन लोगों की शनि की साढे़ साती (वृश्चिक, धनु और मकर) तथा शनि की ढैया (वृष, कन्या) चल रही है,...

कार्तिक मास में स्नान करना बहुत लाभकारी
नई दिल्ली, स्मार्ट डेस्कFri, 18 Oct 2019 11:23 PM
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सभी मासों में कार्तिक मास को श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इस मास में श्रीहरि जल में ही निवास करते हैं। जिन लोगों की शनि की साढे़ साती (वृश्चिक, धनु और मकर) तथा शनि की ढैया (वृष, कन्या) चल रही है, उन्हें कार्तिक स्नान करने का बड़ा लाभ होगा।

कार्तिक स्नान पूरे कार्तिक मास तक चलता है, जो इस वर्ष 13 अक्तूबर से 12 नवंबर तक है। कार्तिक में करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, आंवला नवमी, देव उठावनी एकादशी, बैकुंठ चतुर्दशी, देव दीपावली जैसे बड़े त्योहार आते हैं। 
स्नान को भोजन से भी ऊंचा माना जाता है। पुलस्त्य ऋषि ने कहा भी है कि स्नान के बिना न तो शरीर निर्मल होता है और न ही बुद्धि। अंगिरा ऋषि के अनुसार, स्नान करते समय हाथ में कुशा जरूर होनी चाहिए। पवित्र नदी, समुद्र, सरोवर, कुआं और बावड़ी जैसे प्राकृतिक जल स्रोतों में किया गया वरुण स्नान अति पावन माना गया है। 

मदन पारिजात के अनुसार- कार्तिक मास में जिते्द्रिरय रहकर नित्य स्नान करें। जौ, गेहूं, मूंग, दूध-दही और  घी आदि का भोजन करें, तो सब पाप दूर हो जाते हैं। पुण्य प्राप्ति के लिए सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करना चाहिए।  स्नान के लिए तीर्थराज प्रयाग, अयोध्या, कुरुक्षेत्र और काशी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इनके साथ ही सभी पवित्र नदियों और तीर्थस्थलों पर भी स्नान शुभ रहता है। अगर आप इन स्थानों पर नहीं जा सकते, तो इनका स्मरण करने से भी लाभ होता है। यह श्लोक प्रचलित भी है- ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेअस्मिन संनिधिं कुरु॥’

स्नान करने के समय ‘आपस्त्वमसि देवेश ज्योतिषां पतिरेव च। पापं नाशाय मे देव वाडंमन: कर्मभि: कृतम॥’ बोल कर जल की और ‘दु:खदरिद्रयनाशाय श्रीविष्णोस्तोषणाय च। प्रात:स्नान करोम्यद्य माघे पापविनाशनम॥’ कहकर परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए। स्नान जब समाप्त हो जाए, तो ‘सवित्रे प्रसवित्रे च परं धाम जले मम। त्वत्तेजसा परिभ्रष्टं पापं यातु सहस्त्रधा॥’ से सूर्य को अर्ध्य देकर श्रीहरि का पूजन या स्मरण करना बहुत अच्छा रहता है। नदी में स्नान नहीं कर सकते तो रातभर छत पर रखे तांबे या मिट्टी के बरतन में भरे जल से स्नान भी शुभ रहता है। दिन भर सूर्य की किरणों से तपे हुए जल के स्नान को भी लाभकारी माना जाता है।

कार्तिक में भूलकर भी न करें ये काम
हिंदू पंचांग में 12 महीने होते हैं और कार्तिक का महीना भगवान विष्णु का महीना है। कार्तिक के महीने में ही करवा चौथ, धनतेरस, नरक चतुर्दशी दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा आती है। इस महीने दान, स्नान और तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। कहते हैं कि कार्तिक के महीने में बह्म मुहूर्त में स्नान करके भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा करनी चाहिए। कार्तिक के महीने में तुलसी विवाह भी संपन्न कराए जाते हैं। इस महीने लोग सुबह सवेरे उठकर गंगा स्नान करते हैं। इसके अलावा इस महीने दीपदान का भी बहुत महत्व है। लेकिन इस महीने कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए:

शास्त्रों के मुताबिक कार्तिक के महीने में मांस-मछली और मट्ठा नहीं खाना चाहिए।
- कार्तिक के महीने में शरीर में तेल नहीं लगाना चाहिए। कहते हैं कि इस महीने शरीर पर तेल लगाना वर्जित होता है। केवल एक दिन यानी नरक चतुर्दशी के दिन शरीर पर तेल लगा सकते हैं।
- इस महीने उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई खाने से परहेज करना चाहिए।
- इस महीने भूमि पर सोना चाहिए और भगवान का जाप करते रहना चाहिए।
- कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है।

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