वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता
अभिभावकों के विरोध के बाद भी प्रतिभा सिंह ने भीख मांगने वाले और कूड़ा बीनने वाली लड़कियों का दाखिला स्कूलों में करवाया है। उनकी इस मुहिम से कई बालिकाओं और बालकों का जीवन बदल गया और आज वे समाज की मुख्यधारा में जुड़ने की ओर अग्रसर हैं। वह बताती हैं कि जब बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके परिवार के लोगों से सम्पर्क किया तो उन्हें भगा दिया गया था। महिलाएं विरोध करने को उतारू हो गई थीं, लेकिन उन्होंने बच्चों को किसी तरह बहला-फुसलाकर पहले उन्हें घर पर प्रशिक्षित किया। जब समझने योग्य बने तो सरकारी व निजी स्कूलों में दाखिला भी दिलाया। वह वर्तमान में घर के पास स्थित नट बस्ती के 118 बच्चों को पढ़ा रही हैं। इनमें से 47 का स्कूल में दाखिला भी करा चुकी हैं। इसके अलावा करीब 30 बच्चों का आरटीई के तहत निजी स्कूल में दाखिला करवाया। बच्चों को साक्षर बनाने के साथ ही विभिन्न संस्थाओं की मदद से स्वच्छता, संस्कार, कराटे, योग, संगीत व कला का प्रशिक्षण भी दिला रही हूं। बीएचयू से अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर व पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुकीं प्रतिभा सिंह के कार्य को नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने भी सराहा है।