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हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः चित्रकूट के बीहड़ों में रुकैया ने जलाई बालिका शिक्षा की लौ

बुन्दलेखण्ड के बीहड़ में बालिका शिक्षा की लौ जालाने का श्रेय रुकैया खातून को जाता है। चित्रकूट मुख्यालय से सटे तरौहा की रहने वाली रुकैया ने बीहड़ में जूनियर तक पढ़कर घरों में कैद रहने वाली...

हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः चित्रकूट के बीहड़ों में रुकैया ने जलाई बालिका शिक्षा की लौ
हिन्दुस्तान संवाद,चित्रकूटMon, 14 Dec 2020 04:08 AM
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बुन्दलेखण्ड के बीहड़ में बालिका शिक्षा की लौ जालाने का श्रेय रुकैया खातून को जाता है। चित्रकूट मुख्यालय से सटे तरौहा की रहने वाली रुकैया ने बीहड़ में जूनियर तक पढ़कर घरों में कैद रहने वाली बालिकाओं को आगे बढ़ने का मौका दिलाया। वह बेसिक शिक्षा विभाग में शक्षिक के पद पर तैनात रही हैं और 2017 में सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। बालिकाओं को शिक्षित कर उन्हें संस्कारी बनाने वाली रुकैया खातून को 2014 में शक्षिक दिवस पर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रिटायर होने के बाद आज भी वह बेटियों की शिक्षा को लेकर दौड़-भाग करती नजर आती हैं।
बालिका शिक्षा की मुहिम धीरे-धीरे रंग लाई
रुकैया कहती हैं कि शिक्षक बनने के बाद उन्हें प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में पढ़ाने का मौका मिला। ज्यादातर समय जूनियर स्तर के बालिका स्कूलों में ही तैनात रहीं। उस दौरान ग्रामीण अंचलों में लोग बालिकाओं को बहुत कम स्कूल भेजते थे। अभिभावकों से बातचीत कर उन्हें बालिका शिक्षा के प्रति जागरूक करने का लंबे संघर्ष का नतीता रहा कि स्कूल में बच्चियों की संख्या साल-दर-साल बढ़ने लगी। बालिकाओं को क्रीडा, सांस्कृतिक, स्काउट-गाइड आदि के क्षेत्र में प्रशक्षिण दिया। समय से स्कूल पहुंचकर बालिकाओं को शिक्षित करने का ही अपना मिशन बना लिया था। ताकि बालिकाएं पढ़-लिखकर आगे बढें और उनका भवष्यि उज्जवल हो सके। अभिभावक स्कूल में दाखिला कराने के बाद अपनी बच्चियां उन्हें सौंपने लगे। 
बाल विवाह पर लोगों को किया जागरूक 
रुकैया खातून बताती हैं कि दो दशक पहले बाल विवाह हुआ करते थे। इस प्रथा को समाप्त करने के लिए भी वह जिस गांव में तैनात रहीं, वहां के लोगों को जागरूक किया है। बाल विवाह के दो-मामले उनके संज्ञान में आए तो उनसे रहा नहीं गया। बालिका के पिता से मिलीं और उन्हें समझाया। इसका असर यह रहा कि विवाह रुक गए। सेवानिवृत्त होने के बाद भी रुकैया बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास में जुटी हैं। वह कहती हैं कि बालिका शिक्षा से ही समाज में विकास की रोशनी दिखेगी।   

 

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