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हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः खुल गईं तरक्की की राहें, महिलाओं की मदद को तमाम योजनाएं

एक नया सूरज उगाना चाहती हूं... हर घर को बसाना चाहती हूं... मैं ही हुं हर घर की ख़ुशी...सच कहूं तो मैं ख़ुद को बचाना चाहती हूं...आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान द्वारा महिलाओं के स्वाभिमान और...

हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः खुल गईं तरक्की की राहें, महिलाओं की मदद को तमाम योजनाएं
हिन्दुस्तान टीम,बांदा चित्रकूटWed, 30 Dec 2020 12:10 PM
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एक नया सूरज उगाना चाहती हूं... हर घर को बसाना चाहती हूं... मैं ही हुं हर घर की ख़ुशी...सच कहूं तो मैं ख़ुद को बचाना चाहती हूं...आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान द्वारा महिलाओं के स्वाभिमान और सुरक्षा के लिए चलाए जा रहे अभियान मिशन शक्ति में शामिल महिलाओं के लफ्जों में एक तरफ आत्मनिर्भरता की झलक दिखी तो दूसरी तरफ उनके अंदर दबी शंकाएं भी बाहर आईं। चित्रकूटधाम मंडल के मिशन शक्ति वेबिनार में मुख्य अतिथि के मंडलायुक्त गौरव दयाल और आईजी के. सत्यनारायण ने महिलाओं के लिए जारी ढेरों सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर उनका हौसला बढ़ाया। महिलाओं ने अपने सवालों के जरिए जज्बातों को जाहिर किया।
हिन्दुस्तान मिशन शक्ति वेबिनार में सुने वक्ताओं को

महिलाओं की सुरक्षा, स्वाभिमान और स्वावलंबन हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। महिला उत्पीड़न, हिंसा और छेड़छाड़ के मामले में जीरो टालरेंस नीति का पालन किया जा रहा है। दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलग मानीटरिंग की जा रही है। घरों में छेड़छाड़ का शिकार बच्चियों को बचाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इस पर पूरी तरह लगाम तभी लगेगी जब बेटियों की तरह बेटों की भी जवाबदेही तय की जाए। उनपर भी नजर रखी जाए और संस्कार देकर उनके नजरिए में बदलावा लाया जाए। बेटों को संस्कारित कर दीजिए, बेटियां अपने आप सुरक्षित हो जाएंगी। ये कहना था मिश्नर चित्रकूटधाम मंडल गौरव दयाल और आईजी के. सत्यनारायण का, जिन्होंने आयोजन में शामिल महिलाओं के हर सवाल के सीधे और सरल जवाब दिए। उन्होंने हिन्दुस्तान की अभिनव पहल की तहे दिल से तारीफ की।

सोमवार को आयोजित इस आयोजन में बताया गया कि महिला योजनाओं का सीधा लाभ देने के लिए गांव-गांव जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। सरकारी नौकरियों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं लेकिन निजी सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए उन्हें ज्यादा शिक्षित करने की जरूरत है। हालांकि समाज बदलाव रहा है। बेटियों पर भी ध्यान दिया जा रहा है लेकिन बदलाव की प्रक्रिया और तेज करने की जरूरत है। महिलाओं को बताया गया कि कारोबार शुरू करना कठिन नही रहा। एनओसी लेने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि निवेश मित्र पोर्टल के जरिए घर बैठे काम हो रहा है।

महिला हिंसा के पीछे हमारी सोच भी जिम्मेदार हैः कमिश्नर
चित्रकूटधाम मंडल के कमिश्नर गौरव दयाल ने कहा, मिशन शक्ति 180 दिन का सघन अभियान है। महिला स्वावलंबन, महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा पर हमारा खास फोकस है। महिला हिंसा को खत्म करने के लिए त्वरित फैसले लिए जा रहे हैं। नुक्कड़ नाटक और गांव-गांव रैली निकाल कर अभियान चलाया जा रहा है। महिला योजनाओं के क्रियान्वन में बजट की कमी को दूर किया जा रहा है। प्रत्येक योजना को महिलाओं तक पहुंचाया जा रहा है। महिलाएं कुशल बनें और आत्मनिर्भर बनें, समाज और देश के विकास में आगे बढ़कर योगदान दे सकें, यही मिशन शक्ति का उद्देश्य है। महिला हिंसा के पीछे हमारी सोच भी जिम्मेदार है। हम लड़कों की गल्तियों पर पर्दा डालते हैं और ल़ड़कियों पर पाबंदी लगाते हैं। उनपर रोकटोक नहीं लगाते जबकि लड़कियों से बहुत सवाल जवाब करते हैं। बहुत से मामले ऐसे आए हैं जिसमें अपराध ऐसे ही बिगड़ैल लड़कों ने किया।

महिलाओं पर है फोकस, हर कदम पर पुलिस साथः आईजी
चित्रकूटधाम मंडल के आईजी के. सत्यनारायण ने कहा, महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई योजनाएं शुरू की गई हैं। मुख्यमंत्री द्वारा हाल में महिला हेल्पडेस्क की शुरूआत की गई है। प्रत्येक थाने में महिलाओं के लिए व्यवस्था है। पत्र देने पर थाने से रसीद मिलेगी। शोहदों से निपटने के लिए एंटी रोमियो स्कवायड गठित किया गया है। सीधे कार्रवाई करके जेल भेजा जा रहा है। पाक्सो एक्ट के दर्ज होने वाले मुकदमों पर खास फोकस है। प्रत्येक थाने में हर महीने दस-दस मामलों की समीक्षा की जा रही है। अगर कोर्ट में हमारी पैरवी कमजोर है तो वहां दोषी को सजा दिलाने के लिए मजबूती से अपनी बात रख रहे हैं। कई लोगों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई है। एससी-एसटी एक्ट के तहत पीड़िता को पांच लाख का मुआवजा दिया जा रहा है ताकि पीड़िता अपने पैरों पर खड़ा हो सके। घरेलू हिंसा के तहत कार्यवाही की जा रही है। परिवार परामर्श केंद्र के जरिए बिखरते परिवारों को टूटने से बचाया जा रहा है। परिवार एकजुट होने के बाद भी लंबे समय तक मानीटरिंग की जा रही है। अब थानों में महिला सिपाही पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। अब थानों में मुंशी की जिम्मेदारी महिला सिपाहियों को दी जा रही है क्योंकि वे फरियादी की बात ध्यान से सुनती हैं और अच्छा व्यवहार करती हैं। इस मामले में पुरुषों से महिलाएं काफी आगे हैं। कई बार पूछताछ के दौरान पुरुष दरोगा या इंस्पेक्टर का लहजा खराब हो जाता है, इस वजह से मामला सुलझने के बजाय बिगड़ जाता है। इसलिए जहां महिला अपराध होगा, पहले महिला सिपाही या दरोगा पीड़िता से बात करेगी।

मंथन के मोतीः बेहतर कल के लिए सबको मिलकर चलना होगा

बांदा की शोभा चौहान का सवाल था- महिलाओं के साथ साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं? ऐसे में परिवार की तरफ से दो दबाव रहते हैं। पहला यह कि महिलाएं सोशल साइट पर न रहें। पहनावा अच्छा रखें। हम लड़कों को क्यों नहीं सिखाते हैं। दूसरा यह कि ऐसे अपराधों की पुलिस में शिकायत न करें। ऐसे अपराध रोकने के लिए क्या कर रहे हैं? इन परिस्थितियों से कैसे बचें?

अफसरों ने कहा- हमें अपनी सोच बदलने और नजरिया विस्तृत करने की जरूरत है। आज हम बेटियों के प्रति काफी जागरुक और सजग हो गए हैं। लड़कियां भी गांव से बाहर शहर जाकर पढ़ाई करने जा रही हैं। अपनी काबिलियत को साबित कर रही हैं। लेकिन आज भी क्या करें और क्या न करें वाली सूची लड़कों की अपेक्षा लड़कियों पर ज्यादा लागू की जाती है। पहनावे से लड़कियों के चाल-चलन पर सवाल उठाना नितांत गलत है। घर से ऐसे व्यक्तियों को संस्कार नहीं मिलते। अपनी गंदी सोच के लिए महिलाओं के कपड़ों पर सवाल उठाना मानसिक विकार है। बेटी पर तो तमाम बंदिशें लगाते हैं तो क्या हम अपने बेटों पर भी उतनी ही नजर रखते हैं। बेटा बाहर जाकर क्या कर रहा है? इसका पता नहीं लगाते तो ये हमारा दोगलापन है। परिवार में जब मां-बेटी होती हैं तो बेटे को अपनी सीमाओं का आभास होता है। ये बेहद जटिल विषय है जिसका समाधान रातोंरात संभव नहीं है। एक तरफ ऐसी घटनाओं के विरुद्ध जीरो टालरेंस नीति अपनाएं और दूसरी तरफ बच्चों को संस्कारित बनाएं। रातोंरात करिश्मा नहीं हो सकता। बदलाव धीरे-धीरे आते हैं और आज का दौर परिवर्तन का ही है। आज अच्छा है और कल इससे भी बेहतर होगा।

महोबा से राखी सोनी का सवाल था- प्राय: सार्वजनिक यातायात के साधनों पर सफर के दौरान महिलाओं के साथ अपराध होते हैं। घर से बाहर महिलाओं के असुरक्षित होने की धारणा के पीछे यह बड़ा कारण है। इसे रोकने के लिए और क्या-क्या तैयारी है?

अफसर बोले- आबादी ज्यादा है और संसाधन सीमित हैं। इसका फायदा पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाले उठाते हैं। बसों और टेम्पो की नियमित चेकिंग हो रही है। टैम्पो में निर्धारित संख्या 6 की है लेकिन 12-13 लोग बैठ जाते हैं। इतने साल के अनुभव में मैने देखा कि पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन जैसे बस या टैम्पो आदि में घटनाएं बहुत कम होती हैं लेकिन टैक्सी बुक करने पर ड्राइवरों के जरिए की गई घटनाएं जरूर सामने आई हैं। टैक्सी में जीपीआरएस सिस्टम के जरिए लोकेशन सिस्टम लागू किया जा रहा है।

 

                                   उद्यमिता के क्षेत्र में महिलाएं बढ़ रही हैं पर कई विभागों में महिलाओं को टाला जाता है। उन्हें अपने काम के लिए घर के पुरुष सदस्यों को ही आगे करना पड़ता है? यह कमी कैसे दूर होगी?

अफसर बोले-ये बात सही है कि कारोबार में पुरुषों की स्थिति बेहतर है। हर विभाग में जाकर हर तरह से अपनी बात रखते हैं। महिलाएं अपनी बात के लिए पैरवी नही कर पाती हैं। काफी उद्यमी यही नहीं जानते कि ज्यादातर सेवाएं आनलाइन हो गई हैं। निवेश मित्र के जरिए 200 विभागों की एनओसी मिल जाएगी। इसके लिए कहीं दौड़ने की जरूरत है। इसका अप्रूवल रेट काफी बेहतर है। उद्योग विभाग के अधिकारी जानबूझकर इसका प्रचार प्रसार नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनके निजी हित समाहित हैं। अगर कहीं कोई दिक्कत है तो सीधे हमसे शिकायत करें। तत्काल कार्यवाही और समाधान किया जाएगा।

 

                          महिलाओं के लिए सरकार की कई योजनाएं हैं, जबकि लाभार्थियों की संख्या कम है। इन योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचाने के लिए प्रचार प्रसार और जागरूकता की जरूरत है। तमाम मामलों में महिलाएं अपने साथ हुए उत्पीड़न की बात किसी से बयां नहीं पा रही हैं। इस दिशा में क्या प्रयास कर रहे हैं?

अफसर बोले- महिलाओं में जागरुकता लाने के लिए पुलिस काफी प्रयास कर रही है। हर इलाके के सम्भ्रांत लोगों के जरिए पब्लिक तक पहुंच रहे हैं। गांव-गांव जाकर लोगों के बीच बैठ रहे हैं और उनकी बात सुन रहे हैं और अपनी बात रख रहे हैं। अगर थाने में कोई दुर्व्यवहार करता है तो सीसीटीवी सबूत बनेगा। थाने में जाने वाली महिलाओं का स्वागत किया जा रहा है। पुलिस के पास आने वाले फोन कॉल्स में 60 फीसदी महिलाओं के होते हैं। इससे साफ है कि उनमें जागरुकता बढ़ रही है। डायल 112 में एक कॉल करके देख लीजिए तो 15 मिनट के अंदर पीआरवी फोर्स आपके पास होगी। पूरी लोकेशन ट्रेस होती है। जागरुकता अभियान के लिए आप जहां बुलाएंगे, हम पहुंच जाएंगे।

वेबिनार में पूछे गए तीन प्रमुख सवाल

सवाल-1-उद्योग हो या व्यवसाय, महिलाओं की भागीदारी कम है। इसे बढ़ाने  के लिए सरकार के स्तर पर क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

अफसरों के जवाब- दो दशक पहले सरकार ने सरकारी नौकरियों में 20 फीसदी महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था दी थी। आज लेखपाल और पंचायत सेक्रेट्री पद पर महिलाएं बेहद कुशलता से काम कर रही हैं। निजी सेक्टर में महिलाओं की भागादारी के लिए अभी कोई रेगुलेटर नहीं है लेकिन राज्य सरकार की कई योजनाएं हैं जिसमें जिन उद्योगों में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है, उन्हें इन्सेंटिव दिया जाता है। निजी क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के लिए जरूरी है कि बेटियों को अच्छी शिक्षा और अपने पैरों पर खड़ा होने की आजादी दें। पढ़ाई पूरी करने के बाद महिलाओं ने हर क्षेत्र पर अपनी श्रेष्ठता साबित की है। अगर कार्यस्थल पर उत्पीड़न हो रहा है तो उसे रोकने के लिए भी अधिनियम है। शादी के बाद नौकरी में बाधा न आए, तो चाइल्ड केयर लीव की व्यवस्था है।

सवाल-2- उद्योग और कारोबार शुरू करने के लिए निचले स्तर पर सरकारी मशीनरी में खास सुधार नहीं है। महिलाओं की फाइलों को टाला जाता है और मानसिकता दूषित है।

अफसरों के जवाब- ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए निवेश मित्र पोर्टल है। इस आनलाइन व्यवस्था में आवेदन करना है और समयबद्ध रूप में सारी एनओसी मिल जाएगी। किसी अधिकारी या आफिस में जाकर दस्तावेज जमा करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर कोई समस्या आ रही है तो सीधे डीएम या संबंधित विभाग के शीर्ष अधिकारी से मिलिए।

सवाल 3- महिला अपराध की तमाम घटनाओं में करीबी लोग शामिल होते हैं जिनका खुलासा या तो नहीं होता है या फिर काफी देर से होता है। ऐसी महिलाओं की मदद के लिए पुलिस प्रशासन क्या करता है।

अफसरों के जवाब- तमाम आंकड़े यही साबित करते हैं कि तमाम घटनाओं में करीबी परिजन का हाथ सामने आता है। ज्यादातर मामलों में परिवार वाले ही मामले को बदनामी के डर से दबा देते हैं और पीड़िता के मन की व्यथा को नहीं समझते। छोटी बच्चियों को गलत हरकतों की जानकारी ही नहीं होती। यहां मां और शिक्षक की भूमिका बेहद अहम है। बच्ची के व्यवहार पर नजर रखें। अगर परिवर्तन पाते हैं तो दोस्त बनकर उससे पूछिए।

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