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हिन्दुस्तान मिशन शक्ति: नारी सुरक्षा और शिक्षा से ही समाज में परिवर्तन संभव

गाजियाबाद | संवाददाता आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान' ने बुधवार को नंदग्राम स्थित राजकीय इंटर...

हिन्दुस्तान मिशन शक्ति: नारी सुरक्षा और शिक्षा से ही समाज में परिवर्तन संभव
हिन्दुस्तान टीम,एनसीआऱThu, 31 Dec 2020 03:00 AM
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गाजियाबाद | संवाददाता

आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान' ने बुधवार को नंदग्राम स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में 'हिन्दुस्तान मिशन शक्ति स्कूल संवाद' के तीसरे कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान वक्ताओं ने छात्राओं को बताया कि नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन से ही समाज में बदलाव आएगा और नारी सशक्त बनेंगी। इन सभी के लिए बेटियों को शिक्षित करना जरूरी है।

कार्यक्रम में छात्रा शोभा ने कहा कि लोगों को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने की जरूरत है। एक पुरुष को शिक्षित करने से केवल एक परिवार संभलता है लेकिन एक महिला को शिक्षित करने से दो परिवार सशक्त बनते हैं। ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा तान्या ने कविता 'नारी तुम अबला नहीं हो' के माध्यम से अपने हित के लिए महिलाओं को स्वयं आगे आने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हमें जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने लिए जीना है। लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। छात्रा प्रियंका पांडेय ने कहा कि जब महिलाएं आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर इंजीनियर आदि बन सकती हैं तो वह किसी भी तरह पुरुषों से कम नहीं हैं। महिलाएं हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रही हैं। जबकि लोग आज भी बेटियों को घर का काम करने के लिए ही समझते हैं। छात्रा शीतल और शाहीन ने कविता के माध्यम से बताया कि देश आजाद है लेकिन लड़कियों को आज भी कहीं न कहीं आजादी नहीं है। कुछ लोग कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर देते हैं, जिससे उनके सपने अधूरे रह जाते हैं। लेकिन अगर किसी घर में बेटियां न हों तो वह घर रोशन नहीं होता। महिला कल्याण अधिकारी नेहा वालिया ने छात्राओं को मिशन शक्ति कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए छात्राओं को नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के बारे में जागरूक किया। इस दौरान बालिकाओं और महिलाओं से जुड़ी सरकार की योजनाओं और कानूनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कानूनों के बारे में जागरूक होकर हम स्वयं की सुरक्षा कर सकते हैं और योजनाओं का लाभ लेकर स्वावलंबी बन सकते हैं। समाज में लैंगिक असमानता को रोकने के लिए घर से ही इसकी शुरुआत करनी होगी। जिला उद्योग केंद्र के असिस्टेंट कमिश्नर संदीप कुमार ने छात्राओं को स्वरोजगार के लिए ऋण से संबंधित योजनाओं के बारे में जानकारी दी। साथ ही छात्राओं को बताया कि सामाजिक और आर्थकि सशक्तिकरण से स्वयं और दूसरों को सशक्त बनाया जा सकता है। कॉलेज के प्रधानाचार्य शैलेंद्र कुमार त्यागी ने हिन्दुस्तान के कार्यक्रम की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया। साथ ही अपने अनुभव साझा करते हुए छात्राओं को सशक्त बनने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी की प्रवक्ता प्रज्ञा सिंह ने किया।

संघर्ष कर महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं : मधु रानी

सहायक शिक्षिका मधु रानी ने महिला सशक्तिकरण पर विचार रखे। उन्होंने छात्राओं को बताया कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें स्वयं आगे आना होगा। आज महिलाएं संघर्ष करके हर क्षेत्र में नाम कमा रही हैं। खेल और सेना समेत सभी क्षेत्रों में वह देश को अपनी सेवा दे रही हैं। इस दौरान उन्होंने 'नतमस्तक हैं हम नारी को' कविता के माध्यम से नारी के विभिन्न रूपों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि घर में बहन, बेटी, पत्नी और मां के रूप में नारी है। अगर किसी भी घर में महिलाओं का यह रूप न हों तो वह घर अधूरा रहता है। महिलाओं को सम्मान देना जरूरी है।

खुद सशक्त बन दूसरों की मदद करें: शालू पांडेय

पैसा और शोहरत ही जीवन में सब कुछ नहीं होती बल्कि कुछ काम खुद को संतुष्टि देने के लिए भी करना चाहिए। ऐसा ही एक उदाहरण समाज सेविका शालू पांडेय हैं। पहले उन्होंने स्वयं को सशक्त बनाया और अब वह दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हुई हैं। अब तक वह हजारों महिलाओं को स्वावलंबी बनने का रास्ता दिखा चुकी हैं। वर्तमान में करीब 650 महिलाओं रोजगार दे रही हैं। इसके अलावा अब तक वह 82 गुमशुदा बच्चों को उनके घर तक पहुंचा चुकी हैं। उनका कहना है कि जब हम खुद को सशक्त बनाएंगे तभी दूसरी महिलाओं की मदद कर सकेंगे।

आर्थिक रूप से मजबूत होना होगा: कुसुम श्रीवास्तव

उद्यमी कुसुम श्रीवास्तव कई साल से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं। वह महिलाओं को विभिन्न प्रकार के आचार बनाने का प्रशिक्षण दे रही हैं। प्रशिक्षण देने के बाद वह महिलाओं का स्वरोजगार शुरू कराती हैं। इसके बाद उनके द्वारा बनाए गए आचार को खरीदकर बाजार और अपने आसपास बेचती हैं। उनका कहना है कि महिलाओं को सशक्त बनने के लिए सबसे पहले आत्मनिर्भर बनना होगा। जब हम आत्मनिर्भर होंगे तो आर्थकि रूप से मजबूर बनेंगे। आर्थकि रूप से मजबूत बनने से हमें सम्मान और सुरक्षा अपने आप मिलनी शुरू हो जाएगी। इसलिए इस पर भी ध्यान देना चाहिए।

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