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हिन्दुस्तान मिशन शक्ति: चित्रकूट की गुड़िया ने काला गेहूं और धान पैदाकर खोला रोजगार का रास्ता

शायद कोई सोच भी नहीं सकता कि चित्रकूट के दस्यु प्रभावित पिछड़े इलाके पाठा में रहने वाली एक अनपढ़ महिला इस तरह कामयाबी हासिल कर सकती है। अपनी मेहनत, लगन और संघर्ष के दम पर चित्रकूट जनपद में मानिकपुर...

हिन्दुस्तान मिशन शक्ति: चित्रकूट की गुड़िया ने काला गेहूं और धान पैदाकर खोला रोजगार का रास्ता
हिन्दुस्तान टीम,चित्रकूटWed, 20 Jan 2021 06:25 PM
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शायद कोई सोच भी नहीं सकता कि चित्रकूट के दस्यु प्रभावित पिछड़े इलाके पाठा में रहने वाली एक अनपढ़ महिला इस तरह कामयाबी हासिल कर सकती है। अपनी मेहनत, लगन और संघर्ष के दम पर चित्रकूट जनपद में मानिकपुर ब्लॉक के मगरहाई गांव के मजरा बांधा में रहने वाली गुड़िया देवी ने यह कर दिखाया। उन्होंने जैविक खेती से खुद के लिए रोजगार का रास्ता तलाशा और फिर गांव की अन्य महिलाओं को रोजगार से जोड़ने लगीं।

तीन वर्ष पहले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ीं। आईसीआरपी का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने गांव की 57 महिलाओं को समूह से जोड़ा। इन महिलाओं को वह अपनी तरह जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनके प्रेरित करने पर इस वर्ष सात महिलाओं ने गेहूं, चना, धनिया, बासमती धान की खेती की। गुड़िया गाय का गोबर, गौमूत्र, बेसन, गुड़, मिट्टी, पानी से जैविक खाद तैयार करती हैं। इसी खाद के जरिए वह जैविक खेती करती हैं।

वह तीन वर्ष से काला धान व गेहूं की खेती कर रही हैं। इसके अलावा अन्य प्रजाति का गेहूं, उड़द, मूंग, धान, चना, अरहर, बाजरा, ज्वार व सब्जी की खेती भी करती हैं। खेती में वह किसी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं करतीं। पिछले वर्ष एक बीघे में पांच कुंतल काला धान पैदा किया और इस वर्ष उत्पादन बढ़ा छह कुंतल कर लिया। उन्होंने पिछले वर्ष काले धान का चावल डेढ़ सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया। काला धान व गेहूं डायबिटीज पीड़ितों के लिए मुफीद होता है। वह कठिया गेहूं की भी खेती करती हैं। खेती कम होने के कारण वह दूसरों से बटाई पर खेत लेती हैं। गुड़िया को दो माह पहले मानिकपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जैविक खेती में अच्छा काम करने पर डीएम ने प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया था। वह कहती हैं कि तीन वर्ष पहले उनका परिवार बीमारियों से ग्रसित रहता था, लेकिन जैविक उत्पाद खाने के बाद अब सभी लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं। वह महिलाओं को यह समझाती हैं कि जैविक उत्पादन कर अपने परिवार की सेहत भी दुरुस्त रख सकती हैं। अगले वर्ष वह गांव की अन्य महिलाओं को भी काला धान व गेहूं का बीज उपलब्ध कराकर जैविक तरीके से खेती कराने के लिए तैयार कर रही हैं।

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