बस्ती। कार्यालय संवाददाता
असमय पिता का साया छिन जाने से अमूनन लोग टूट जाते हैं लेकिन विशाखा टूटी नहीं बल्कि संगीत को अपनी ताकत बना लिया। छात्राओं को भी सुर-ताल सिखाकर उन्हें संगीत में निपुण बना रही हैं।
2011 में जब पिता विष्णुदत्त ओझा की हत्या हुई, तब विशाखा की उम्र महज 16 साल थी। दो बहन और दो भाइयों में सबसे बड़ी होने के नाते जिम्मेदारी भी बड़ी थी। सबसे छोटा भाई महज तेरह माह का था। पिता के न रहने के बाद संघर्षों के बीच पली बढ़ी विशाखा ने हिम्मत नहीं हारी। संघर्षों से जूझते हुए संगीत को अपनी ताकत बनाई और 2014 में लखनऊ दूरदर्शन द्वारा आयोजित रियलिटी शो 'माटी के बोल' में प्रतिभाग किया। मां सुधा ओझा हमेशा उन्हें प्रेरणा देती रहीं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। भारतखंडे संगीत संस्थान लखनऊ से 2015 में स्नातक व 2017 में परास्नातक की परीक्षा 71 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण की। फिर गायन में विशारद किया।
विशाखा इस समय बेगम खैर गर्ल्स इंटर कॉलेज की छात्राओं में संगीत की मिठास घोल रही हैं। जागरूकता गीत स्वयं लिखकर सिखाती हैं। नृत्य की भी शिक्षा दे रही हैं। बताती हैं कि परिवार के खर्च की जिम्मेदारियों और छात्राओं को संगीत सिखाने के साथ ही जेआरएफ परीक्षा की तैयारी भी कर रही हैं। मुश्किलों ने कभी साथ नहीं छोड़ा लेकिन अपने परिवार व पढ़ाई की राह में आने वाली हर मुसीबतों का डटकर सामना किया।
एक नजर
विशाखा ओझा
निवासी : गांधीनगर, बस्ती
योगदान: छात्राओं को संगीत की शिक्षा देना