आदिवासियों से लेकर एमएफ हुसैन तक की पेटिंग्स हैं यहां
कला और संस्कृति एक दूसरे से इतनी स्पष्ट रूप से जुड़ी हुई हैं कि हम जब भी किसी एक की बात करते हैं, तो उसमें दूसरे का जिक्र होना लाजिमी है। विविधताओं को परिभाषित करती कला और संस्कृति का रिश्ता काफी गहरा...
कला और संस्कृति एक दूसरे से इतनी स्पष्ट रूप से जुड़ी हुई हैं कि हम जब भी किसी एक की बात करते हैं, तो उसमें दूसरे का जिक्र होना लाजिमी है। विविधताओं को परिभाषित करती कला और संस्कृति का रिश्ता काफी गहरा होता है। वह कला ही है, जिसके माध्यम से संस्कृति हमारे जीवन में अभिव्यक्ति पाती है और अपने सांस्कृतिक सरोकारों से आगे बढ़ती है। राजधानी दिल्ली हमेशा से कला और संस्कृति का एक बड़ा केंद्र रही है। किसी न किसी माध्यम से हम इससे जुड़े हैं। वहीं अब जल्द ही एक प्रदर्शनी के जरिये कला और संस्कृति, दोनों को ही एक छत के नीचे फिर एक बार देख सकेंगे।
हार्वेस्ट 2019 नामक इस प्रदर्शनी में अलग-अलग तरह की असंख्य पारंपरिक, आधुनिक, उत्तर आधुनिक कला, लोक कलाएं, तमाम जनजातियों से जुड़े चित्र और मूर्तियां देखने को मिलेंगी। शो के क्यूरेटर, कला समीक्षक सुनीत चोपड़ा बताते हैं, ‘हम इस प्रदर्शनी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि कला और संस्कृति बेहद समावेशी हैं। हमारा उद्देश्य अपनी संस्कृति की समग्रता और विविधता को प्रस्तुत करना है। इस प्रदर्शनी के जरिये हमें क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्कृति के कई आयामों की उचित समझ भी मिलेगी।’
इस शो में कुछ प्रतिष्ठित लोगों- बॉम्बे ग्रुप- एफएन सूजा, एमएफ हुसैन, एसएच रजा, राम कुमार, अकबर पदमसी और कृष्ण खन्ना के कार्य शामिल होंगे। इसके अलावा बंगाल के कई दिग्गजों- नंदलाल बोस, सुनील दास, शक्ति बर्मन, जोगन चौधरी, परेश मैती, संजय भट्टाचार्य और बृतिन खान सहित भारत के अन्य प्रतिष्ठित लोगों के कार्यों का भी प्रदर्शन किया जाएगा। शक्ति बर्मन, टूटू पटनायक, नंदिता जैन और जी रेगु जैसे गुरुओं द्वारा मूर्तियों की एक प्रभावशाली सरणी के अलावा, हार्वेेस्ट के इस संस्करण का उद्देश्य दुनिया भर के उभरते कलाकारों को एक मंच देना है। जाने-माने कलाकार गोपी गजवानी की रचना ‘ब्लूम्स इन रेड एंड पर्पल’ और कलाकार सीमा कोहली की दो रचना ‘कृष्णा’ और ‘दि गोल्डन वॉम्ब’ भी प्रदर्शनी में दिखाई जाएगी।