फोटो गैलरी

Hindi News हिन्दुस्तान सिटीकभी नहीं सोचा था, स्टार ट्रेक में काम करूंगा : आदिल हुसैन 

कभी नहीं सोचा था, स्टार ट्रेक में काम करूंगा : आदिल हुसैन 

एक बेहतरीन कलाकार  के रूप में पहचाने जाने वाले अभिनेता आदिल हुसैन बहुत जल्द अमेरिकी टीवी शृंखला ‘स्टार ट्रेक : डिस्कवरी सीजन 3’ में अभिनय करते नजर आएंगे। वह बताते हैं कि असम में अपने...

कभी नहीं सोचा था, स्टार ट्रेक में काम करूंगा : आदिल हुसैन 
नई दिल्ली | हिन्दुस्तान टीम Fri, 01 Nov 2019 05:52 PM
ऐप पर पढ़ें

एक बेहतरीन कलाकार  के रूप में पहचाने जाने वाले अभिनेता आदिल हुसैन बहुत जल्द अमेरिकी टीवी शृंखला ‘स्टार ट्रेक : डिस्कवरी सीजन 3’ में अभिनय करते नजर आएंगे। वह बताते हैं कि असम में अपने शुरुआती दिनों के दौरान उन्हें उनके रंग की वजह से उपेक्षा का सामना करना पड़ा था 

लोकप्रिय अमेरिकी टीवी शृंखला ‘स्टार ट्रेक: डिस्कवरी सीजन 3’ का ट्रेलर के आने के बाद अभिनेता आदिल हुसैन खुश हैं। आदिल कहते हैं कि यह अवसर मेरे पास आसमान से आ गिरा है। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह कभी स्टार ट्रेक शृंखला में काम करेंगे।

अपनी भूमिका के बारे में बताते हुए 56 वर्षीय यह अभिनेता कहते हैं, ‘मैंने इसमें एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका निभाई है, जिसे एक जिम्मेदार पद दिया गया था। मैंने दो शृंखलाओं को देखा था। मूल स्टार ट्रेक शृंखला की घटनाओं के 900 साल बाद यूएस डिस्कवरी का चालक दल भविष्य की यात्रा कैसे करता है। मुझे इसकी कहानी बहुत पसंद आई।’

स्टार ट्रेक क्रू से मिलने के अपने अनुभव को लेकर आदिल कहते हैं कि उन्हें वह परिवार की तरह महसूस हुआ। वह कहते हैं, ‘लोगों ने मेरा खुले दिल से स्वागत किया। मैंने उन्हें बताया कि मैं एक ऐसे शहर में पला-बढ़ा हूं, जहां तीन दिन देर से अखबार आते थे और उस शहर में 17 साल बिताने के बाद आज मैं यहां हूं।’ उन्होंने महसूस किया कि यह एक यात्रा है, जो असम के गोलपारा के एक छोटे से शहर से वहां तक की है, जहां वह आज हैं।

एक अभिनेता के रूप में आदिल स्वीकार करते हैं कि यह पश्चिम की एक कठिन यात्रा रही है और ऐसा इसलिए कि वह एक ऐसे माहौल में पले-बढ़े हैं, जहां उन्हें अपनी त्वचा के रंग के लिए चिढ़ाया जाता था। वह कहते हैं, ‘मुझे अभिनेता बनने से मना कर दिया गया था। लोग कहते थे-  तू तो काला है, तू क्या एक्टिंग करेगा। जब असमिया फिल्म के कैमरामैन को पता चलेगा कि आदिल सीन में है, तो वे ज्यादा लाइट्स के लिए कहेंगे।’ आदिल कहते हैं, ‘मेरे दिल में यह भरा गया था कि मैं अच्छा नहीं हूं। इससे बाहर आने में मुझे 35 साल लग गए।’

लेकिन जब वह पहली बार अपने नाटक ‘ओथेलो’ के साथ इंग्लैंड गए, तो चीजें बदल गईं। वह कहते हैं, ‘लोगों ने मेरे प्रदर्शन की प्रशंसा की और मुझे एहसास दिलाया कि मैं काफी अच्छा हूं। मुझे टॉल, डार्क एंड हैंडसम कहा जाता था। मेरी यूरोपियन प्रेमिका कहती है- हे भगवान, आपके पास चॉकलेट का शरीर है।’ 

आदिल कहते हैं कि इससे पहले किसी ने भी मुझे इस तरह नहीं देखा था और मुझे एहसास हुआ कि मैं अमान्य नहीं था। फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ (2012) में काम करने के बाद और फिल्म ‘व्हाट्स पीपल से’ (2017) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए नॉर्वे का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले आदिल बताते हैं कि पश्चिम ने उनके करियर में बहुत योगदान दिया है। यद्यपि अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में भारतीय अभिनेताओं का होना शृंखला में विविधता लाता है। बकौल आदिल, ‘एक समय था, जब कृष्णा पंडित भानजी को भूमिकाओं को पाने के लिए अपना नाम बेन किंग्सले में बदलना पड़ा था। लेकिन अब और नहीं। यह अब गरीबी और संघर्षरत अप्रवासियों की प्रशंसा के बारे में नहीं है।’

संगीता यादव

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें