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अब पहले जैसी नहीं रही खान मार्केट : मानिनी मिश्रा

अपने बचपन के घर जाते ही बहुत सी पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। ऐसा ही कुछ मानिनी मिश्रा के साथ भी होता है, जब वह दिल्ली पहुंचती हैं। मुंबई में बसी मानिनी का जन्म और पढ़ाई दिल्ली में हुई है। जब वह...

अब पहले जैसी नहीं रही खान मार्केट : मानिनी मिश्रा
रुचिका गर्ग ,नई दिल्लीSun, 08 Sep 2019 03:24 PM
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अपने बचपन के घर जाते ही बहुत सी पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। ऐसा ही कुछ मानिनी मिश्रा के साथ भी होता है, जब वह दिल्ली पहुंचती हैं। मुंबई में बसी मानिनी का जन्म और पढ़ाई दिल्ली में हुई है। जब वह दिल्ली पहुंचीं, तो उन्होंने कुछ पुराने दिनों की यादों को साझा किया। 
वह कहती हैं, ‘दिल्ली मेरा घर है। मेरा जन्म, मेरी पढ़ाई सब यहीं पर हुई है। मैं श्री वेंकटेश्वरा कॉलेज (वेंकी) से पढ़ी हूं और कॉलेज के दौरान मैं अपने दोस्तों के साथ खान मार्केट बहुत घूमती थी। उस समय वह मार्केट इतनी सुंदर नहीं थी, जितनी आज है। वहां गोल-गप्पे का स्टॉल हुआ करता था, जो अब एक अच्छे-खासे आउटलेट में बदल गया है। दिल्ली का खाना मुझे सबसे अच्छा लगता है। मुझे छोले-कुल्चे बहुत पसंद हैं, वो भी रोड किनारे के, जो तांबे के बर्तन में बनते हैं। दिल्ली का खाना खास दिल्ली का है, यहां की चाट, पंडारा मार्केट, यहां सड़क के किनारे मिलने वाली सभी चीजें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं।’
18 साल पहले मुंबई में बस चुकी अभिनेत्री, जो एक बच्चे की मां भी हैं वहां के अपने पुराने दिनों के बारे में बताती हैं, ‘लोग मुझे दिल्ली की लड़की की तरह देखते थे और वह यह जानने की कोशिश करते थे कि मैं कौन हूं। लेकिन मेरा व्यक्तित्व बहुत मजबूत है और मुझे किसी की राय से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं साफ-साफ बोलती हूं और शायद इसी कारण मेरे पास कई प्रोजेक्ट भी हैं। यह एक चुनौती थी, जिससे मुझे निपटना था।’
बेशक मानिनी दिल्ली की रहने वाली हैं,लेकिन वह गुरुग्राम में भी रहती हैं और उन्हें लगता है कि गुरुग्राम की संस्कृति बहुत ग्लोबलाइज्ड है। बकौल मानिनी, ‘जब भी मैं दिल्ली आती हूं, तो हर बार गुरुग्राम भी जरूर जाती हूं। मेरा भाई वहीं रहता है। गुरुग्राम की अपनी संस्कृति है और यह दिलचस्प है, क्योंकि यह बहुत सारी संस्कृतियों से मिलकर बनी है। गुरुग्राम का खाना भी बहुत दिलचस्प है।’
‘मेड इन हेवेन’ सिरीज में काम कर चुकीं अभिनेत्री दिल्ली के सुंदर नगर की रहने वाली हैं, ‘सुंदर नगर की सबसे अच्छी चीज है, वहां की चाट। मुझे उसका स्वाद आज भी याद है, वह अभी भी मेरी जुबान पर चढ़ा हुआ है।’ 
वह बताती हैं कि अभिनेत्री बनना उनकी चाहत नहीं थी। वह सिविल सर्विस में अपना करियर बनाना चाहती थीं। मानिनी के अनुसार, ‘मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं सिविल सर्विस की परीक्षा दूं। अभिनेत्री बनने का सपना मैंने कभी नहीं देखा था। मैं यह कहते हुए बड़ी नहीं हुई कि ‘मुझे हीरोइन बनना है। मेरी अभिनय में कोई रुचि नहीं थी। दिल्ली शहर के ज्यादातर परिवारों में पुरुष ही परिवार का मुखिया होता है। मुझे नहीं पता ऐसा क्यों है, लेकिन मैं दिल्ली की अपेक्षा मुंबई में ज्यादा सहज और सुरक्षित महसूस करती हूं। दिल्ली की संस्कृति अपने आप में अलग है, लेकिन मुंबई में इतनी वर्जनाएं और बंदिशें नहीं हैं।’
      

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