फोटो गैलरी

Hindi News हिन्दुस्तान सिटीरस्टी पर नहीं लिखना चाहता : रस्किन बॉन्ड

रस्टी पर नहीं लिखना चाहता : रस्किन बॉन्ड

1940 के दशक के आखिर में किसी बच्चे के लिए  किताबें ही होती थीं, जो उसे सारी दुश्वारियों से बचाने और एक नई दुनिया में ले जाने का जरिया होती थीं। रस्किन बॉन्ड की शरारत भरी कहानियां बच्चों के दिल...

रस्टी पर नहीं लिखना चाहता : रस्किन बॉन्ड
नवनीत व्यासन,नई दिल्लीThu, 22 Aug 2019 07:43 PM
ऐप पर पढ़ें

1940 के दशक के आखिर में किसी बच्चे के लिए  किताबें ही होती थीं, जो उसे सारी दुश्वारियों से बचाने और एक नई दुनिया में ले जाने का जरिया होती थीं। रस्किन बॉन्ड की शरारत भरी कहानियां बच्चों के दिल में एक खास जगह रखती थीं। पर अब, जब बॉन्ड 85 साल के हो चुके हैं, ऐसा लगता है कि उनकी कहानियों का जादू कभी खत्म नहीं हो सकता। एक भारतीय पाठक के लिए इससे अधिक खुशी की बात और क्या हो सकती है! उनकी ताजातरीन किताब ‘दि गैलरी ऑफ रास्कल्स’ उनकी कहानी के सबसे यादगार किरदारों को मनोरंजक अंदाज में एक साथ लाती है। पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश : 

याद है, आपने बचपन में कभी कहा था,‘मैं बस एक ऐसी किताब को हाथों में पकड़कर जोर से चिल्लाना चाहता हूं  जिस पर मेरा नाम लिखा हो...’ अपनी इस यात्रा से तो आप बेहद संतुष्ट होंगे?
(हंसते हुए) यह सच है। मैं काफी कम उम्र में किताबी कीड़ा बन गया था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मैं लंबे समय तक अकेला रहा। किताब लिखने का ख्याल  मन को लुभाता था। लेकिन किस तरह की किताब लिखूं, यह मेरे लिए बड़ा सवाल था। जब मैं छोटा था, तब सोचता था कि टिकटों के इतिहास या भारतीय राज्यों के वनों पर मैं एक किताब क्यों नहीं लिखता। लेकिन मैंने ऐसा कभी नहीं किया।

‘दि गैलरी ऑफ रास्कल्स’ का ख्याल कैसे आया?
उपन्यासकार डेविड डेविडार एक संकलन बनाना चाहते थे। उसमें वे मेरे अजूबे किरदारों की कहानियां और रेखाचित्र एक साथ रखना चाहते थे। फिर, मैंने इसमें कुछ नई चीजें जोड़ने का फैसला किया। अमूमन मैं वैसे किसी भी विचार के अनुकूल प्रतिक्रिया देता हूं जो मुझे बहुत मुश्किल नहीं लगता (हंसते हुए)। जब मैं उपन्यास लिखने बैठता हूं तो वह आमतौर पर लघु उपन्यास के रूप में पूरा होता है। तीस-चालीस हजार शब्द लिखने के बाद अकसर मुझे लगता है कि इससे ज्यादा लिखने का कोई मतलब नहीं है। जब मैं छोटी कहानियां लिखता हूं तो ज्यादा खुश होता हूं। हालांकि प्रकाशक लंबी चीजें पसंद करते हैं क्योंकि छोटी कहानियों को बेचना हमेशा से मुश्किल रहा है। 

आपका एक और दिलचस्प कबूलनामा है कि ‘अच्छे लोग आलसी होते हैं...’ अगर आपको अपने किरदारों में से ऐसे किसी एक का नाम लेना हो, जो बुरा है, पर अच्छे से ज्यादा करिश्माई है, तो आप किसका नाम लेंगे?
मुझे ‘ट्रेजर आइलैंड’ के युवा नायक का नाम याद नहीं है, लेकिन मैं लॉन्ग जॉन सिल्वर और उसके समुद्री डाकू दल को कभी नहीं भूला। अगर मुझे अपने किरदारों में से कोई एक नाम देना है, तो मैं खानसामा का नाम लूंगा। यह मेरी किताब ‘टाइगर्स फॉर डिनर : टॉल टेल्स बाय जिम कॉर्बेट्’स खानसामा’ का किरदार है, जो बताता है कि उसने जिम कॉर्बेट के आदमखोरों को कैसे गोली मारी थी।  

आपकी नई किताब के शुरुआती पन्नों में ‘रैप्स्क्लायंस’ अर्थात शरारती शब्द के लिए आपका प्यार उमड़ा है। क्या इसका स्रोत आपका बचपन है?
मैं कभी भी गलत अर्थों में शरारती नहीं रहा। मैं बचपन में शर्मीला और शालीन था। शरारती तब हुआ, जब  एक जगह, मसलन एक स्कूल या एक इलाके का अभ्यस्त हो गया। और दोस्त तब बने, जब मैं सामान्य से कुछ अलग करने में जुटा। मैं अपनी जिंदगी के बारे में काफी कुछ लिखता हूं और किरदार ज्यादातर वे लोग होते हैं, जिन्हें मैं जानता हूं।

अपने प्रशंसकों के बीच आप ज्यादातर रस्टी के जरिये पहचाने जाते हैं। क्या हम कभी इस किरदार को वापस आते हुए देखेंगे? 
(हंसते हुए) रस्टी वह लड़का है, जो कभी बड़ा नहीं हुआ। लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी एक और कहानी लिखूंगा। आज, मैं उस दौर में पहुंच चुका हूं, जहां मैं वास्तव में रस्किन के बारे में लिखना पसंद करता हूं। अब मैं खुद को किसी आवरण में नहीं छुपाता।       
                                               

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें