दिलचस्प हैं दिल्ली के दर्शक : आरिफ जकारिया
साल 2018 की जासूसी थ्रिलर ‘राजी’ को देखने वाले कई लोगों के लिए उसमें जो किरदार सबसे अलहदा था, वह था शक्की, चिड़चिड़ा पाकिस्तानी घरेलू नौकर अब्दुल। यह किरदार आरिफ जकारिया ने निभाया था। 1980...
साल 2018 की जासूसी थ्रिलर ‘राजी’ को देखने वाले कई लोगों के लिए उसमें जो किरदार सबसे अलहदा था, वह था शक्की, चिड़चिड़ा पाकिस्तानी घरेलू नौकर अब्दुल। यह किरदार आरिफ जकारिया ने निभाया था। 1980 के दशक के टीवी शो ‘चुनौती’ से पर्दे पर अभिनय की शुरुआत करने और ‘पृथ्वी’ (1998) व ‘माई नेम इज खान’ (2010) जैसी फिल्मों में अभिनय करने से लेकर हाल के वेब शो ‘लीला’ तक, आरिफ के नाम काफी विविधापूर्ण काम दर्ज हैं।
हालांकि 52 साल के हो चुके आरिफ को थियेटर भयभीत करता है। दिल्ली थियेटर फेस्टिवल के तहत अपने नाटक ‘गर्दिश में तारे’ के प्रदर्शन के लिए राजधानी पहुंचे आरिफ ने कहा, ‘प्रदर्शन से पहले मैं हमेशा किनारे रहता हूं। लेकिन फिर आप इसे सामने लाने के लिए अभ्यास करते हैं, फिर तलाश करते हैं कि जो आपने पहले किया है उसे फिर करें और कोशिश करते हैं कि चीजें सही तरीके से हों। उन्होंने कहा, हर चीज थोड़े से अनुभव के साथ होती है और बाकी बस... आपको उस पल को जीना होता है और उसे करना होता है।’
राजधानी में ही आरिफ ने ‘लीला’ और एक अन्य प्रोजेक्ट के लिए शूटिंग की थी। वह कहते हैं, मैं दिल्ली आता-जाता रहा हूं। मैं हमेशा दिल्ली का आनंद लेता हूं, घूमता हूं और सचमुच, अपने पांव फैलाता हूं। आरिफ ने कहा, दिल्ली के दर्शक अपनी हिंदी-उर्दू बोलने की संस्कृति के कारण काफी सराहनीय हैं। जबकि मुंबई काफी कॉस्मोपोलिटन है। दिल्ली हमारी मदद करता है क्योंकि यह थियेटर के काफी ज्यादा संपर्क में है। हमें अपने शो के जरिये सबसे अच्छी प्रतिक्रियाएं दिल्ली में ही मिली हैं।
नकारात्मक किरदार निभाने के बारे में बातचीत करते हुए आरिफ कहते हैं, ‘ऐसा नहीं करता तो मेरी जिंदगी उबाऊ हो जाती। जब कुछ डार्क, थोड़ा चालाकी भरा मिलता है तो इससे मेरा उत्साह काफी बढ़ जाता है। उन्होंने कहा, भूमिकाएं अच्छी तरह से लिखी जानी चाहिए और निर्देशक को इसे स्मार्ट तरीके से समझना चाहिए। सभी छोटे क्षेत्रों को कुछ अच्छा करने के लिए एक साथ होने की जरूरत है। ‘लीला’ के लिए दीपा (मेहता) थीं। ‘राजी’ के लिए मेघना (गुलजार) थीं। मुझे जो पेशकश की गई थी और जो कुछ सामने आया, उससे ये सब जुड़े हुए थे। यह सभी का सहयोग था।
दर्शकों की रुचि लगातार बदल रही है। आरिफ इस बदलाव के साथ अनुकूल होने की कोशिश करते हैं। इस पर वह कहते हैं, ‘यह थोड़ा डरावना है। हम तेजी से बदलते समय में पहुंच चुके हैं, जहां आपको हर समय अपने आप को प्रासंगिक रखना होगा। आप तीन दिन पहले कुछ देख सकते थे, कुछ बेहतर, जिंदादिल, बड़ा। इसलिए, आप शायद भूल गए हैं कि आपने तीन दिन पहले क्या देखा था। यह अनावश्यक है। आप छोटे नहीं हो रहे हैं। इसलिए समय बीतने के साथ-साथ आप मजबूत होते जाते हैं।’
देखें
क्या : गर्दिश में तारे
कहां : सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम, अगस्त क्रांति मार्ग
कब : 31 अगस्त
समय : रात 8 बजे
निकटतम मेट्रो स्टेशन : ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन, येलो लाइन पर