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हिमाचल में उत्तराखंड टनल जैसा हादसा; पावर हाउस में फूटी धार, दर्जनों कर्मियों ने भागकर बचाई जान

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में उत्तराखंड टनल जैसी अनहोनी होने से बची है। पार्वती जल विद्युत परियोजना के एक पावर हाउस में वॉटर लीकेज के बाद धारा फूट पड़ी जिसके बाद दर्जनों कर्मियों ने भागकर जान बचाई।

हिमाचल में उत्तराखंड टनल जैसा हादसा; पावर हाउस में फूटी धार, दर्जनों कर्मियों ने भागकर बचाई जान
Krishna Singhवार्ता,शिमलाSun, 19 Nov 2023 12:09 AM
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हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कुल्लू में उत्तराखंड टनल जैसा हादसा होते-होते बचा है। बताया जाता है कि कुल्लू जिले में पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण दो के सिउंड स्थित पावर हाउस में वॉटर लीकेज होने के बाद जल की धारा फूट पड़ी। शुक्रवार देर शाम पावर हाउस की टनल से भारी मात्रा में पानी का बहाव फूटने से काम कर रहे दो दर्जन मजदूरों और कर्मचारियों ने किसी तरह भाग कर जान बचाई। इससे परियोजना को भारी नुकसान हुआ है। यह घटना ऐसे वक्त में हुई है जब उत्तरखंड में सिलक्यारा टनल हादसे के सात दिन बाद भी सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है।

अधिकारियों ने बताया कि पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण दो के पावर हाउस सियुंड में शुक्रवार देर शाम अचानक वॉटर लीकेज होने लगा। इससे स्टाफ में आफरी तफरी मच गई। जल के रिसाव के कारणों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। हाल ही में इस परियोजना की 32 किलोमीटर लंबी टनल की सफलतापूर्वक खुदाई कर एनएचपीसी ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। 

फिलहाल, परियोजना की एक टरबाइन को जीवा नाला का पानी डाइवर्ट कर बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इस हादसे से बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है। हादसे से कंपनी को नुकसान हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जल का रिसाव अभी भी जारी है। एकाएक पावर हाउस के टनल से पानी निकलने से स्थानीय लोगों में अफरातफरी मच गई। 

पावर हाउस के अधिकारियों से बात करने पर पता चला कि मौके पर काम कर रहे दो दर्जन मजदूरों और कर्मचारियों ने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई। इससे जानमाल की कोई भी क्षति नहीं हुई है। सभी सुरक्षित बताए जा रहे हैं। जल का रिसाव कहां से हो रहा है। इसकी जांच चल रही है। परियोजना का संचालन कर रही कंपनी एनएचपीसी के निदेशक नर्मिल सिंह ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम को पावर हाउस भेजा गया है। जल का बहाव रोकने की कोशिशें की जा रही हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई है। टीम जल के रिसाव के कारणों का पता लगाएगी।

यह हादसा ऐसे वक्त में सामने आया है जब उत्तराखंड के सिलक्यारा में टनल हादसे के सात दिन बाद भी ध्वस्त सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका है। अब तेजी से समय बीतने के बीच अधिकारियों ने मलबे के उस पहाड़ की चोटी से एक लंबवत छेद करने की तैयारी शुरू कर दी, जिसमें 41 श्रमिक फंसे हुए हैं। इंदौर से एक और उच्च क्षमता वाली ऑगर मशीन घटनास्थल पर पहुंचाई गई है। सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है। बचाव टीम की ओर से सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।

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