ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News हिमाचल प्रदेशराजस्थान, गुजरात के बाद हिमाचल में 'लंपी' वायरस का कहर, 50 से ज्यादा पशुओं की मौत

राजस्थान, गुजरात के बाद हिमाचल में 'लंपी' वायरस का कहर, 50 से ज्यादा पशुओं की मौत

'लंपी' वायरस एक तरह का त्वचा रोग है। जिसका मच्छरों, मक्खियों, जुओं आदि की वजह से फैलने का खतरा माना जाता है। मवेशियों में एक दूसरे के संपर्क में आने ये बीमारी जानवरों में फैल सकती है।

राजस्थान, गुजरात के बाद हिमाचल में 'लंपी' वायरस का कहर, 50 से ज्यादा पशुओं की मौत
Mohammad Azamवार्ता,शिमलाSun, 07 Aug 2022 04:20 PM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

गुजरात में पशुओं को मौत की नींद सुलाने वाला 'लंपी' वायरस देश भर में पांव पसारने लगा है। इस बीमारी से शिमला सहित देश भर में हड़कंप मच गया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में दहशत मचाने के बाद अब इसका संक्रमण हिमाचल में भी फैल रहा है। प्रदेश की राजधानी शिमला से सटे आनंदपुर और बड़ा गाँव व पंथाघाटी क्षेत्र में इससे दर्जन गायों की मौत हो गई है। वहीं कई पशु संक्रमित हो चुके हैं और 50 से अधिक पशुओं की मौत भी हो चुकी है।

क्या है 'लंपी' वायरस

'लंपी' वायरस एक तरह का त्वचा रोग है। जिसका मच्छरों, मक्खियों, जुओं आदि की वजह से फैलने का खतरा माना जाता है। मवेशियों में एक दूसरे के संपर्क में आने ये बीमारी जानवरों में फैल सकती है। ये बीमारी जानलेवा है। यही वजह है की इससे जानवर की मौत हो रही है। अभी तक ये बीमारी दुधारू गायों को मौत की नींद सुला रही है। हालांकि राहत की बात ये है कि इस बीमारी के इंसानों में फैलने का मामला सामने नहीं आया है। अब देखना है की पशुपालन विभाग इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाता है।

नाहन स्थित पशु पालन विभाग की उपनिदेशक नीरू शबनम ने बताया कि जिला सिरमौर के राजगढ़ ब्लाक के अंतर्गत नैना टक्किर और नारग, नाहन ब्लाक के अंतर्गत कालाअंब, सैनवाला और शंभूवाला के पशुओं में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने बताया कि यह रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैलता है। इसे गाठदार वायरस एलएसडीवी भी कहा जाता है। उन्होंने इस वायरस के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि इस वायरस के फैलने से पशुओं को 105 से 107 डिग्री सेल्सियस तेज बुखार हो सकता है। इसके अतिरक्ति पशुओं के शरीर में निशान बनते हैं और बाद में निशान घाव बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि पशुओं के मुंह से लार टपकनी शुरू होती है। इस वायरस का सबसे ज्यादा संक्रमण गायों में होता है।

क्या है इलाज

शबनम ने बताया कि पशुपालकों को अपने पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूर रखना चाहिए। लंपी त्वचा रोग से पशुओं को बचाने के लिए घर पर ही मौजूद चीजों की मदद से पारंपरिक विधि अपनाते हुए खुराक तैयार करनी होगी। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को यह खुराक तैयार करने के लिए पान के 10 पत्ते, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम नमक और गुड़ को मिलाने के बाद पीसकर एक खुराक तैयार करनी होगी और उसे कम से कम एक घंटे के अंतराल पर पशुओं को बार-बार खिलाना होगा ताकि जानवरों को बचाया जा सके।

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें