हिमाचल सरकार ने 5 स्टार होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को कब्जे में लिया, हाईकोर्ट ने लगाई रोक
शिमला से सटे छराबड़ा में ओबेरॉय समूह के 5 सितारा होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल (Hotel Wildflower Hal) के कब्जे के लिए सुक्खू सरकार की कार्रवाई पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

हिमाचल के मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान (Harshwardhan Chauhan) ने शनिवार को बताया कि हिमाचल सरकार ने होटल वाइल्डफ्लावर हॉल को अपने कब्जे में ले लिया है। हालांकि राज्य सरकार की कार्रवाई के कुछ घंटों बाद, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से सुक्खू सरकार को झटका लगा। अदालत ने सरकार से शिमला के चारबरा स्थित ईस्ट इंडिया होटल के वाइल्ड फ्लावर्स हॉल की संपत्ति में तब तक हस्तक्षेप नहीं करने के लिए कहा, जब तक कि निष्पादन आदेश पारित नहीं कर दिया जाता।
21 नवंबर तक रोक
शिमला से सटे छराबड़ा में ओबेरॉय समूह के पांच सितारा होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल के कब्जे के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा शनिवार को की गई कार्रवाई पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 21 नवंबर तक रोक लगा दी। हाईकोर्ट के जस्टिस सत्येन वैद्य ने ईस्ट इंडिया होटल कंपनी (ईआईएच लिमिटेड) और अन्य बनाम हिमाचल सरकार और अन्य के मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को इस संबंध में आदेश जारी किए। कोर्ट ने कहा गया है कि प्रतिवादी राज्य होटल के दैनिक प्रबंधन और कब्जे में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
कदम को हटाना पड़ा पीछे
इससे पहले हिमाचल सरकार ने 500 करोड़ की संपति वाले होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को अपने अधीन ले लिया था। हिमाचल प्रदेश सरकार ने ओबेरॉय समूह के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीतने के बाद यह कार्रवाई अमल में लाई। लेकिन दोपहर बाद हिमाचल सरकार को अपने इस कदम से पीछे हटना पड़ा। हाईकोर्ट द्वारा स्टे लगाने के बाद वाइल्ड फ्लावर हॉल पर दोबारा से ओबेरॉय समूह का कब्जा हो गया है। इस पूरे घटनाक्रम से शिमला में दिन भर शासन-प्रशासन सहित आम जनता में हलचल रही।
ओबराय ग्रुप को बड़ा झटका
दरअसल, हाईकोर्ट के पुराने आदेश पर अमल करते हुए प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुक्खू सरकार ने ओबराय ग्रुप को बड़ा झटका देते हुए प्रकृति की गोद में बसे इस खूबसूरत होटल पर कब्जा जमा लिया। एचपीटीडीसी और जिला प्रशासन की टीमों ने होटल में दबिश दी और संपति को कब्जे में ले लिया। प्रदेश पर्यटन विकास निगम की निदेशक मानसी ठाकुर को इस संपति का प्रशासक नियुक्त किया गया। वहीं एचपीटीडीसी के महा प्रबंधक अनिल तनेजा को इस संपत्ति के प्रबंधन के लिए ओएसडी नियुक्त किया गया।
सरकार को हटना पड़ा पीछे
हालांकि, जब हाईकोर्ट ने इस मामले में स्टे देते हुए हिमाचल सरकार के इस एक्शन पर रोक लगाई, तो सरकार को पीछे हटना पड़ा। पर्यटन विकास निगम की प्रबंध निदेशक मानसी सहाय ठाकुर ने बताया कि वाइल्ड फ्लावर हॉल का कब्जा ले लिया था लेकिन हिमाचल हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद कब्जा छोड़ दिया है।
हाईकोर्ट से मिली थी बड़ी राहत
हिमाचल हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2022 में इस मामले में हिमाचल सरकार को बड़ी राहत दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस पांच सितारा होटल को सरकार की संपत्ति ठहराया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के पास संपत्ति को ओबरॉय ग्रुप और ईस्ट इंडिया होटल कंपनी से वापस लेने का पूरा अधिकार है। अदालत ने कंपनी के साथ किए करार को रद्द करने के निर्णय को सही ठहराया है।
30 साल पहले आग से तबाह हुआ था वाइल्ड फ्लावर हॉल
वर्ष 1993 में भीषण आग लगने से वाइल्ड फ्लावर हॉल पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इस स्थान पर नया होटल बनाने के लिए राज्य सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल कंपनी के साथ करार किया था। करार के अनुसार कंपनी को चार साल के भीतर पांच सितारा होटल का निर्माण करना था। ऐसा न करने पर कंपनी को दो करोड़ रुपये जुर्माना प्रतिवर्ष राज्य सरकार को अदा करना था। वर्ष 1996 में सरकार ने कंपनी के नाम जमीन का स्थानांतरण किया था।
हाईकोर्ट से भी मायूसी
छह वर्ष बीत जाने के बाद भी कंपनी ने पूरी तरह होटल को उपयोग के लिए नहीं बनाया। 2002 में सरकार ने कंपनी के साथ किए गए करार को रद्द कर दिया। सरकार के इस निर्णय को कंपनी लॉ बोर्ड के समक्ष चुनौती दी गई। बोर्ड ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। सरकार ने इस निर्णय को हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी।
कंपनी के पास यह अधिकार नहीं
हाईकोर्ट ने मामले को निपटारे के लिए मध्यस्थ के पास भेजा। मध्यस्थ ने कंपनी के साथ करार रद्द किए जाने के सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए सरकार को संपत्ति वापस लेने का हकदार ठहराया था। इसके बाद एकल पीठ के निर्णय को कंपनी ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। खंडपीठ ने कंपनी की अपील को खारिज करते हुए अपने निर्णय में कहा कि मध्यस्थ की ओर से दिया गया फैसला सही और तर्कसंगत है। कंपनी के पास यह अधिकार नहीं कि करार में जो फायदे की शर्तें हैं, उन्हें मंजूर करे और जिससे नुकसान हो रहा हो, उसे नजरअंदाज करे।
अंग्रेजों की आगरामगाह था वाइल्ड फलावर होटल
वाइल्ड फलावर होटल शिमला की शान माना जाता है। शिमला आगमन के दौरान वीवीआईपी लोग इसी होटल में ठहरते हैं। इस होटल की खूबसूरती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोनिया गांधी, अमिताभ बच्चन, एमएस धोनी, सचिन तेंदुलकर, राहुल गांधी जैसी सख्शियतें इस होटल में ठहरना पसंद करती हैं। पियंका गांधी ने इसी होटल के समीप अपना आशियाना बनाया है।
1990 में यह संपति ओबराय समूह के पास आई
खास बात यह है कि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान जब शिमला समर कैपिटल थी, तब अंग्रेजों ने इस होटल का निर्माण किया था। वर्ष 1902 में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के ब्रिटिश कमांडर इन चीफ लार्ड किचनर सबसे पहले इसी होटल में रहते थे। आजादी के बाद ये संपति भारत सरकार की हुई और बाद में इसे हिमाचल सरकार के पर्यटन विभाग को सौंपा गया। वर्ष 1990 में यह संपति ओबराय समूह के पास आई।
1993 में होटल को निजी होथों में देने का फैसला
1993 में अग्निकांड की भेंट चढ़ने के बाद पर्यटन विकास निगम ने इस होटल को निजी होथों में देने का फैसला लिया। 1995 मे इस संपति को लेकर ईस्ट इंडिया होटल के साथ एग्रीमेंट साइन हुई। वर्ष 2002 में तत्कालीन भाजपा सरकार के समय इस्ट इंडिया होटल के साथ एग्रीमेंट को रदद कर दिया गया। इस पर यह मामला हाईकोर्ट में गया। तब से यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। 8350 फुट की उंचाई पर स्थित यह होटल करीब 23 एकड़ जगह में फैला है।
